(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1: अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताओं (जल-स्रोत और हिमावरण सहित) और वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन तथा इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव) |
संदर्भ
नेचर फिजिक्स जर्नल में प्रकाशित नए शोध के अनुसार पृथ्वी के शुरुआती इतिहास के दौरान इसके तापमान में मामूली वृद्धि भी जटिल जीवन रूपों के उद्भव को गति दे सकती थी। निष्कर्ष इस बारे में नई जानकारी देते हैं कि पृथ्वी के आदिम पर्यावरण ने जीवन के विकास को किस प्रकार आकार दिया।
नवीनतम शोध
- पृथ्वी के प्रारंभिक जैवमंडल विकास पर तापमान में उतार-चढ़ाव की भूमिका का परीक्षण किया गया।
- यह सुझाव दिया गया है कि ज्वालामुखी गतिविधि या हाइड्रोथर्मल वेंट जैसे स्रोतों से ‘स्थानीयकृत ऊष्मा’ जीवन के लिए आवश्यक रासायनिक प्रतिक्रियाओं को प्रेरित कर सकती है।
तापमान का महत्त्व
- तापमान में मामूली वृद्धि (~10-20°C) जटिल कार्बनिक अणुओं के संश्लेषण को गति दे सकती है।
- इसने प्रीबायोटिक रसायन विज्ञान के लिए आदर्श परिस्थितियाँ प्रदान कीं, जिससे प्रोटीन, न्यूक्लिक एसिड एवं कोशिका जैसी संरचनाओं के निर्माण में सहायता मिली।
हाइड्रोथर्मल सिस्टम की भूमिका
- महासागरों में हाइड्रोथर्मल वेंट संभवतः ऊर्जा-समृद्ध क्षेत्रों के रूप में कार्य करते थे।
- इन वातावरणों में ऊष्मा, खनिज एवं रासायनिक प्रवणता का संयोजन होता था- जो प्रारंभिक जैव रासायनिक विकास के लिए आदर्श थे।
- रासायनिक प्रवणता (Chemical Gradient) किसी स्थान, जैसे- कोशिका झिल्ली या विलयन में किसी पदार्थ की सांद्रता में अंतर को दर्शाता है।
सरल से जटिल जीवन तक
- संभवतः इस प्रक्रिया ने एकल-कोशिका वाले जीवों से बहुकोशिकीय जीवों में परिवर्तन की नींव रखी।
- इसमें बताया गया है कि कैसे छोटी-छोटी भूगर्भीय घटनाओं (ज्वालामुखी विस्फोट, विवर्तनकी गतिविधि) ने विकासवादी हॉटस्पॉट का निर्माण किया होगा।
व्यापक महत्त्व
- नवीनतम शोध इस सिद्धांत का समर्थन करता है कि जीवन को हमेशा ‘पृथ्वी जैसी आदर्श परिस्थितियों’ की आवश्यकता नहीं होती है; बल्कि, स्थानीय ऊर्जा स्रोत ही पर्याप्त हैं।
- यह पृथ्वी से परे जीवन को समझने में सहायता करता है, जैसे- भूतापीय गतिविधि वाले क्षेत्र (अन्य ग्रहों पर) जीवन की खोज के लिए आशाजनक हैं।
- जलवायु परिवर्तन पर वैज्ञानिक बहस के लिए विकासवादी परिप्रेक्ष्य यह दृष्टिकोण प्रदान करता है कि कैसे मामूली तापमान परिवर्तन पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं।