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MSME की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए नीति आयोग की नई रिपोर्ट

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव-विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन)

संदर्भ 

2 मई, 2025 को नीति आयोग ने ‘भारत में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम की प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि करना’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की। 

रिपोर्ट के बारे में

  • रिपोर्ट का शीर्षक : ‘Enhancing Competitiveness of MSMEs in India’
  • प्रकाशन : यह रिपोर्ट Institute for Competitiveness (IFC) के सहयोग से नीति आयोग द्वारा जारी की गई है। 
  • उद्देश्य : इसका उद्देश्य MSME क्षेत्र के लिए व्यवस्थित सुधारों का रोडमैप प्रस्तुत करना तथा भारत के MSME क्षेत्र में छिपी अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को अनलॉक करना है।
  • फोकस क्षेत्र : रिपोर्ट MSMEs को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में बेहतर तरीके से एकीकृत करने, प्रौद्योगिकी अपनाने, वित्तीय पहुंच सुधारने, और कौशल विकास को गति देने पर केंद्रित है।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

वित्तीय पहुंच में सुधार

  • वर्ष 2020–2024 के बीच, बैंकिंग प्रणाली से ऋण प्राप्त करने वाले सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों का प्रतिशत 14% से बढ़कर 20% हो गया।
  • मध्यम उद्यमों में यह आंकड़ा 4% से 9% तक पहुंच गया।
  • फिर भी FY2021 तक केवल 19% ऋण मांग की पूर्ति हुई, और 80 लाख करोड़ का ऋण अंतर शेष रह गया

CGTMSE की सीमित क्षमता

  • यद्यपि क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE) का विस्तार हुआ है, फिर भी इसकी सेवा की सीमा और दक्षता सीमित है।

कौशल की भारी कमी

  • MSME क्षेत्र का बड़ा भाग प्रशिक्षणविहीन या अल्प प्रशिक्षित जनशक्ति पर निर्भर है।
  • इससे न केवल उत्पादकता प्रभावित होती है, बल्कि स्केलेबिलिटी और नवाचार क्षमता भी सीमित रहती है।

प्रौद्योगिकी एवं नवाचार में पिछड़ापन

  • R&D और गुणवत्ता सुधार में निवेश की कमी 
  • तकनीकी अधोसंरचना की कमी, उन्नत मशीनरी व उपकरणों की लागत
  • बिजली व इंटरनेट की अस्थिरता और तकनीकी अपनाने की उच्च लागत 

राज्य स्तरीय नीतियों में अंतर

  • कई राज्यों में नीतियों की जानकारी का अभाव 
  • राज्य-स्तर पर कार्यान्वयन में असंगति
  • नीति और जमीनी हकीकत के बीच असमानता MSME विकास में बाधक है।

बाजार तक सीमित पहुँच 

  • डिजिटल विपणन, ब्रांडिंग व लॉजिस्टिक सपोर्ट की कमी

रिपोर्ट की नीतिगत सिफारिशें

  • वित्तीय संरचना में सुधार:
    • CGTMSE को पुनर्गठित करना
    • वित्तीय संस्थानों और सरकार के बीच बेहतर संस्थानिक सहयोग
    • MSMEs को क्रेडिट स्कोरिंग मॉडल से जोड़ना
  • कौशल विकास और R&D को बढ़ावा:
    • स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना
    • उद्योग-शैक्षणिक संस्थानों के बीच साझेदारी
    • MSMEs को R&D टैक्स इंसेंटिव प्रदान करना
  • प्रौद्योगिकी को सुलभ बनाना:
    • क्लस्टर स्तर पर तकनीकी सहायता केंद्र
    • MSMEs को सब्सिडी के तहत मशीनरी उपलब्ध कराना
    • डिजिटल व ऑटोमेशन टूल्स में निवेश
  • राज्य स्तरीय नीति सुधार:
    • राज्य-केंद्र समन्वय तंत्र मजबूत बनाना
    • राज्यवार MSME प्रदर्शन मूल्यांकन तंत्र लागू करना
    • डेटा एकत्रीकरण और निगरानी प्रणाली में सुधार
  • डिजिटल और बाज़ार आधारित समर्थन:
    • MSMEs को ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जोड़ना
    • लॉजिस्टिक सेवा प्रदाताओं के साथ भागीदारी
    • डिजिटल मार्केटिंग एवं ब्रांडिंग प्रशिक्षण देना
  • क्षेत्रीय प्राथमिकता:
    • पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत जैसे उच्च संभावना वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता देना
    • इन क्षेत्रों में क्लस्टर आधारित MSME मॉडल लागू करना

निष्कर्ष

भारत के MSMEs में रोज़गार निर्माण, आर्थिक समावेशन, और नवाचार की जबरदस्त क्षमता है। नीति आयोग की यह रिपोर्ट इस क्षेत्र को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने की दिशा में एक दूरदर्शी दस्तावेज है। यदि रिपोर्ट की सिफारिशों को राज्य-केंद्र समन्वय, सशक्त संस्थागत भागीदारी, और नीति आधारित कार्यान्वयन के साथ अपनाया जाए, तो MSME क्षेत्र भारत की आत्मनिर्भरता और सतत विकास के प्रमुख स्तंभ के रूप में उभर सकता है।

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न

प्रश्न-भारत की अर्थव्यवस्था में MSME क्षेत्र की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, किंतु यह क्षेत्र कई संरचनात्मक चुनौतियों से जूझ रहा है। नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट के प्रकाश में MSMEs की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए आवश्यक सुधारात्मक उपायों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द)

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