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पीने के पानी में नोनीलफेनॉल 

चर्चा में क्यों

हाल ही में जारी एक अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि पूरे देश में पीने के पानी में उच्च स्तर का जहरीला रासायन नोनीलफेनॉल (Nonylphenol) की उपस्थिति पाई गई है। 

प्रमुख बिंदु

  • ‘टॉक्सिक केमिकल नोनीलफेनॉल: ए बैरियर टू सेफ ड्रिंकिंग वॉटर’ नामक शीर्षक से जारी किये गए अध्ययन में यह पाया गया कि पीने के पानी में जहरीले रसायन नोनीलफेनॉल की उपस्थिति अनुमेय सीमा (Permissible Limit) से 29 से 81 गुना अधिक है। 
  • अध्ययन के लिये देश के विभिन्न हिस्सों से पीने के पानी के नमूने एकत्र किये गए, जिसमें से बठिंडा (पंजाब) के एक बोरवेल के पानी के नमूने (80.5 भाग प्रति बिलियन) में नोनीलफेनॉल की उच्चतम सांद्रता पाई गई है।

नोनीलफेनॉल 

  • ‘नोनीलफेनॉल’ एक जहरीला रसायन है, जो मानव शरीर में अंतःस्रावी व्यवधान (Endocrine Disruptor) डालता है। 
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) ने भी नोनीलफेनॉल को वैश्विक चिंता के रसायन के रूप में नामित किया है। 

नोनीलफेनॉल का उपयोग

इसका उपयोग आमतौर पर नोनीलफेनॉल एथोक्सिलेट्स (एन.पी.ई.) के उत्पादन में किया जाता है। 

इसके अतिरिक्त, इसका उपयोग दिन-प्रतिदिन के उपभोक्ता उत्पादों जैसे डिटर्जेंट एवं डिस्पर्सेंट के रूप में भी किया जाता है।

भारतीय मानक ब्यूरो (बी.आई.एस.) के दिशानिर्देश

भारतीय मानक ब्यूरो ने फेनोलिक यौगिकों के लिये मानक निर्धारित किये हैं, जो पीने के पानी में 1 भाग प्रति बिलियन (पीपीबी) और सतही जल में 5 भाग प्रति मिलियन (पीपीएम) निर्धारित किया गया है। लेकिन वर्तमान में, भारत में पीने के पानी और सतही जल में विशेष रूप से नोनीलफेनॉल के लिये कोई मानक निर्धारित नहीं हैं। 

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