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 क्रम संख्या  | 
 लाभ  | 
 विवरण  | 
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 1.  | 
 मृदा की उर्वरता में सुधार  | 
 पोषक तत्वों का संतुलित अनुप्रयोग मिट्टी की गुणवत्ता और पोषक तत्वों के संतुलन को बनाए रखता है।  | 
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 2.  | 
 फसल उत्पादकता में वृद्धि  | 
 उपयुक्त पोषक तत्वों की उपलब्धता से पौधों की वृद्धि और पैदावार में वृद्धि होती है।  | 
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 3.  | 
 संधारणीय कृषि पद्धतियों को बढ़ावा  | 
 योजना पर्यावरण-अनुकूल और दीर्घकालिक कृषि रणनीतियों को प्रोत्साहित करती है।  | 
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 4.  | 
 उर्वरकों का तर्कसंगत उपयोग  | 
 केवल आवश्यक पोषक तत्वों के उपयोग से अंधाधुंध और असंतुलित उर्वरक प्रयोग की प्रवृत्ति में कमी आती है।  | 
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 5.  | 
 सरकार पर सब्सिडी बोझ में कमी  | 
 पोषक तत्वों पर आधारित प्रणाली से सब्सिडी लक्ष्यित रूप से वितरित होती है, जिससे व्यर्थ व्यय में कटौती होती है।  | 
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 6.  | 
 पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाले उर्वरकों के उपयोग में कमी  | 
 नाइट्रोजन जैसे उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से होने वाले प्रदूषण में कमी आती है।  | 
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 विशेषता  | 
 विवरण  | 
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 योजना का उद्देश्य  | 
 किसानों को रियायती कीमतों पर उर्वरक उपलब्ध कराना, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, कृषि उत्पादकता बढ़ाना  | 
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 योजना का प्रकार  | 
 केंद्रीय क्षेत्र की योजना  | 
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 सब्सिडी आधार  | 
 नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P), पोटाश (K), सल्फर (S) के आधार पर  | 
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 IMC की भूमिका  | 
 वित्त वर्ष के पहले सब्सिडी दरों की सिफारिश करना  | 
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 सब्सिडी भुगतान  | 
 प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से उर्वरक कंपनियों को  | 
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 निगरानी प्रणाली  | 
 एकीकृत उर्वरक निगरानी प्रणाली (iFMS)  | 
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 उर्वरक बैग पर आवश्यक अंकन  | 
 अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) स्पष्ट रूप से मुद्रित करना आवश्यक  | 
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 अनुकूलित उर्वरक  | 
 विनिर्माता/आयातक सब्सिडी पाने के पात्र, लेकिन अतिरिक्त सब्सिडी नहीं  | 
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 माल भाड़ा में छूट  | 
 रेल और सड़क मार्ग से विनियंत्रित उर्वरकों की आवाजाही पर छूट  | 
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 कंपनियों की जिम्मेदारियां  | 
 MRP की रिपोर्टिंग और प्रमाणित लागत डेटा प्रस्तुत करना  | 
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