(प्रारंभिक परीक्षा: आर्थिक एवं सामाजिक विकास- सतत् विकास, गरीबी, समावेशन, जनसांख्यिकी, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि, पर्यावरणीय पारिस्थितिकी और जलवायु परिवर्तन संबंधी सामान्य मुद्दे) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता, खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र) |
संदर्भ
- ग्रामीण भारत में लगभग 900 मिलियन लोग निवास करते है जहाँ कृषि 44% कार्यबल को रोज़गार प्रदान करता है। ‘पोषण-संवेदनशील कृषि (NSA)’ कुपोषण, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी व मोटापे को दूर करने के लिए खेती एवं पोषण को एकीकृत करती है।
- बायोफोर्टिफाइड फसलों, आहार विविधता, महिलाओं के सशक्तिकरण और जलवायु-लचीली खेती को बढ़ावा देकर NSA प्रत्यक्ष रूप से सतत विकास लक्ष्य 2 (SDG 2: शून्य भूखमरी) व 3 (SDG 3: अच्छा स्वास्थ्य एवं कल्याण) में योगदान देता है।
भारत का पोषण विरोधाभास
- दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक (220 मिलियन टन) और दालों व मसालों का प्रमुख निर्यातक होने के बावजूद भारत गंभीर कुपोषण का सामना कर रहा है।
- भारत की रैंक वैश्विक भूख सूचकांक 2024 में 127 देशों में 105वीं है और भारत का स्कोर 27.3 के साथ ‘गंभीर’ श्रेणी में है।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5), 2019–21 के अनुसार, 5 वर्ष से कम आयु के 35.5% बच्चे स्टंटेड (बौने) हैं, 19.3% वेस्टेड (कम वजन) हैं और 67.1% एनीमिक हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में एक ही तरह के अनाज-आधारित आहार का प्रभुत्व है जिससे पोषण संबंधी परिणाम में कमी आ रही है।
अवधारणा एवं मुख्य तत्व
- खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, पोषण-संवेदनशील कृषि (NSA) विविधीकरण, समानता एवं स्वास्थ्य संबंधों के माध्यम से पोषण परिणामों को बेहतर बनाने के लिए कृषि प्रणालियों को मजबूत करता है।
- इसके मुख्य घटक इस प्रकार हैं-
- फसल विविधीकरण: बाजरा, दालें, फल व सब्जियाँ
- बायोफोर्टिफिकेशन: जिंक-समृद्ध गेहूँ, आयरन-फोर्टिफाइड बाजरा, विटामिन ए शकरकंद
- महिला सशक्तिकरण: महिलाएँ कृषि कार्यबल का 70-80% हिस्सा हैं किंतु उनके पास <13% भूमि का स्वामित्व है (विश्व बैंक, 2020)।
- स्वास्थ्य संबंध: पोषण शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाओं के साथ तालमेल
- विश्व बैंक (2022) का अनुमान है कि NSA वर्ष 2030 तक बच्चों में स्टंटिंग को 20% तक कम कर सकता है जिससे कुपोषण से संबंधित नुकसान में $11 बिलियन की बचत होगी।
ग्रामीण पोषण बोझ
- व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (CNNS), 2016-18: पाँच वर्ष से कम आयु के 40% ग्रामीण बच्चे एनीमिक हैं (बनाम 28% शहरी)।
- विश्व में खाद्य सुरक्षा एवं पोषण की स्थिति (SOFI), 2023: 224 मिलियन भारतीय (16.6%) कुपोषित हैं।
- ग्रामीण गरीबी: 19.28% (नीति आयोग MPI, 2023)।
- सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी:
- 30% प्री-स्कूल बच्चों में जिंक की कमी पाई गई।
- विटामिन A की कमी से सालाना 6.1 मिलियन बच्चों में अंधापन होता है (WHO 2023)।
- 54.3% गर्भवती महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित हैं जिससे 18.2% अल्प वज़न वाले शिशु जन्म लेते हैं।
- जलवायु तनाव: अनियमित वर्षा से बारिश वाले क्षेत्रों में दालों का उत्पादन 15% कम हो गया (ICAR 2024)।
- फसल कटाई के बाद नाशवान वस्तुओं का नुकसान 40% तक पहुँच जाता है (FAO 2023)।
- आर्थिक नुकसान: वार्षिक GDP का 4% (~$1.4 ट्रिलियन, विश्व बैंक 2019)
भारत में कार्यान्वयन
NSA को कई राष्ट्रीय नीतियों एवं मिशनों में एकीकृत किया गया है:
- पोषण अभियान (2018): स्टंटिंग में वर्षिक 2% की कमी का लक्ष्य
- बायोफोर्टिफिकेशन मिशन (2022–25): 10 मिलियन किसानों के लिए पोषक तत्वों से भरपूर फसलों को बढ़ावा देने के लिए ₹10,000 करोड़
- ICAR ‘सीड फॉर न्यूट्रिशन’ (2020): 50 मिलियन बीज पैकेट वितरित किए गए; राजस्थान में आयरन-फोर्टिफाइड बाजरा की खेती में 30% की वृद्धि
- FAO प्रोजेक्ट (मध्य प्रदेश): डेयरी उत्पादों का सेवन 25% बढ़ा, बच्चों में एनीमिया 15% कम हुआ (2023)
- यूनिसेफ ‘न्यूट्रिशन-स्मार्ट विलेज’ (बिहार): 15,000 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया; आहार विविधता 3.5 से बढ़कर 4.7 खाद्य समूहों तक पहुँच गई (2023)
- वर्ल्ड बैंक क्लाइमेट प्लान (महाराष्ट्र): 2 मिलियन हेक्टेयर में सूखा प्रतिरोधी फसलों से पैदावार में 20% की वृद्धि हुई। फिर भी, लक्षित जिलों में से केवल 40% में ही NSA योजनाएँ संचालन में हैं (NITI आयोग 2024)
खाद्य सुरक्षा आयाम
1. उपलब्धता:
- हार्वेस्टप्लस (2017–23): 15 मिलियन किसानों ने विटामिन A-समृद्ध मक्का/आलू को अपनाया, जिससे पोषक तत्वों की उपलब्धता में 10–15% की वृद्धि हुई (IFPRI 2023)
- तमिलनाडु के मिलेट मिशन से उत्पादन बढ़कर 1.5 मिलियन टन हो गया है।
2. पहुँच:
- NRLM के तहत महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) की आय में 20-30% की वृद्धि हुई।
- विश्व बैंक (2022): उत्तर प्रदेश में SHG परिवारों में विविध खाद्य पदार्थों पर 18% अधिक खर्च।
3. उपयोग: USAID (2023) के अनुसार स्थानीय सुपरफूड रेसिपी के ज़रिए झारखंड के घरों में बच्चों के पोषक तत्वों का सेवन 22% बढ़ा है।
4. स्थिरता:
- अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र संघ (CGIAR), 2024: 10 राज्यों में पैदावार स्थिर हुई; मौसमी भूख में 12% कमी आई है।
- हंगर वॉच (2023): NSA वाले घरों में भोजन की कमी का सामना करने की संभावना 25% कम है।
स्वास्थ्य एवं आर्थिक प्रभाव
- केरल: NSA ज़िलों में बिहार की तुलना में 15% कम स्टंटिंग (NFHS-5) है।
- ओडिशा (IFPRI 2022): आयरन-फोर्टिफाइड फसलों से एनीमिया 16% कम हुआ, सोचने-समझने की क्षमता में 8% सुधार हुआ।
- पंजाब (WHO 2023): पशुधन-आधारित NSA से विटामिन D की कमी 20% कम हुई।
- यूनिसेफ 2024: फोलेट के सेवन में सुधार से समय पूर्व जन्म में 10% की कमी आई है।
- लैंसेट 2023: NSA को बढ़ाने से वर्ष 2030 तक 10 लाख बच्चों की मौत को रोका जा सकता है, ग्रामीण GDP में 2-3% की बढ़ोतरी हो सकती है।
- निमहंस (NIMHANS) 2024: NSA समुदायों में महिलाओं में अवसाद की दर में 15% की गिरावट आई।
केस अध्ययन
- राजस्थान (बूंदी): BAIF–FAO का “नरिश द फ्यूचर” (2019–24) — आहार विविधता 2.8→5.2 खाद्य समूहों तक बढ़ी, स्टंटिंग 12% कम हुई, आय 28% बढ़ी।
- आंध्र प्रदेश (RySS): वाटरशेड से जुड़े NSA ने सब्जियों की पैदावार 35% बढ़ाई, एनीमिया 22% कम हुआ (वर्ल्ड बैंक 2023)।
- केरल: 80% पंचायतों में NSA से कम वज़न वाले बच्चों की संख्या 18% कम हुई (2024)। पोषण (POSHAN) ट्रैकर जैसे डिजिटल इनोवेशन अब प्रतिमाह 10 करोड़ पोषण रिकॉर्ड की निगरानी करते हैं।
चुनौतियाँ
- NSA को कृषि बजट का केवल 5% मिलता है।
- इसकी पहुँच 30% छोटे किसानों तक (ICRIER 2024) है।
- लगातार लैंगिक असमानताएँ बनी हैं और मंत्रालयों के बीच तालमेल की कमी है।
आगे की राह
- डिजिटल एवं AI-आधारित फसल-पोषण सलाह का विस्तार करना
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी को मज़बूत करना
- राष्ट्रीय कृषि नीति 2025 (मसौदा): NSA को बढ़ाने के लिए ₹2.5 लाख करोड़, वर्ष 2030 तक 50% आहार विविधता का लक्ष्य।
- नवाचार और क्षमता निर्माण के लिए सी.जी.आई.ए.आर. (CGIAR) इंडिया हब (2024) के साथ सहयोग।