एक रिपोर्ट के अनुसार, ओखला पक्षी अभयारण्य में रख-रखाव की कमी एवं अव्यवस्था ने इसके प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यावरणीय गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
परिणामस्वरुप यहाँ की कई दुर्लभ व विशिष्ट पक्षी प्रजातियाँ लुप्त होती जा रही हैं तथा पिछले कुछ समय से अब केवल कौवे एवं बाबलर जैसी सामान्य प्रजातियाँ ही देखी जा रही हैं।
ओखला पक्षी अभयारण्य के बारे में
अवस्थिति : यह अभयारण्य दिल्ली-नोएडा सीमा पर ओखला बैराज के पास स्थित है जहाँ यमुना नदी दिल्ली से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है।
स्थापना :वर्ष 1990 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत
कुल क्षेत्रफल :लगभग 3.5 वर्ग किमी.
कृत्रिम झील :यह अभयारण्य में एक कृत्रिम झील है जिसका निर्माण यमुना नदी पर ओखला बैराज बनाकर किया गया है। यह झील विभिन्न स्थानीय एवं प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण आवास स्थल है।
प्रमुख चुनौतियाँ :शहरीकरण, वायु व जल प्रदूषण, अतिक्रमण और जल स्तर में गिरावट आदि।
जैव-विविधता
स्थानीय पक्षी :यहाँलगभग 300 से अधिक पक्षी प्रजातियाँ देखी गई हैं जिसमें भारतीय बगुला, ओरिएंटल स्काइलार्क, गुलाबी तोता, सफेद गर्दन वाला किंगफिशर, और कॉमन किंगफिशर जैसे पक्षी यहाँ स्थायी रूप से पाए जाते हैं।
प्रवासी पक्षी : प्रतिवर्ष सितंबर से मार्च के बीच हजारों प्रवासी पक्षी तिब्बत, यूरोप, साइबेरिया व भारत के ठंडे क्षेत्रों से यहाँ आते हैं। इनमें नॉर्दर्न शॉवेलर, यूरेशियन कूट, नॉर्दर्न पिंटेल, ग्रेलेग गूज़, यूरेशियन स्पूनबिल, ग्रेटर फ्लेमिंगो, ग्रीन सैंडपाइपर एवं ब्लैक-विंग्ड स्टिल्ट आदि शामिल हैं।
दुर्लभ प्रजातियाँ :कभी-कभी यहाँ दुर्लभ पक्षी, जैसे- व्हाइट कूट (White Coot), बेयर पोचार्ड (Baer’s Pochard) एवं सोसिएबल लैपविंग (Sociable Lapwing) आदि भी देखे गए हैं।
अन्य वन्यजीव :पक्षियों के अलावा इस अभयारण्य में कुछ अन्य वन्यजीव भी देखे जा सकते हैं जिनमें नीलगाय, ब्लैक-नेप्ड हेयर (Black-naped Hare) एवं सियार (Jackal) आदि।