भारतीय सेना ने तीस्ता फील्ड फायरिंग रेंज में 8-10 मई तक ‘तीस्ता प्रहार’ नामक एक व्यापक एकीकृत क्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास आयोजित किया।

ऑपरेशन तीस्ता प्रहार
- क्या है : यह भारतीय थलसेना के त्रिशक्ति कोर द्वारा पश्चिम बंगाल के तीस्ता फील्ड फायरिंग रेंज में आयोजित एक व्यापक एवं बहु-डोमेन युद्धाभ्यास (मिलिट्री एक्सरसाइज) है।
- उद्देश्य : इसका मुख्य उद्देश्य सीमा पर विभिन्न प्रकार की युद्ध परिस्थितियों में सेना की संयुक्त कार्रवाई, तकनीकी सामर्थ्य एवं त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता का परीक्षण व सुदृढ़ीकरण करना है।
- शामिल इकाइयाँ : पैदल सेना, तोपखाना, बख्तरबंद रेजिमेंट, मेकानाइज़्ड इन्फ़ेंट्री, सेना उड्डयन, इंजीनियर्स, सिग्नल्स, विशेष बल।
अभ्यास तीस्ता प्रहार की प्रमुख विशेषताएँ
- सभी भू-भागों में संचालन-क्षमता का परीक्षण : रेतीले मैदान, दलदली पट्टी, नदी-पारीय क्षेत्र व पहाड़ी ढाल—चारों प्रकार के भूदृश्य में लाइव-फायर अभ्यास कर ‘सिंगल-बैटल-स्पेस (Single-battle-space)’ सिद्धांत का परीक्षण
- नई पीढ़ी के हथियारों का परीक्षण : धनुष 155 mm/45 हॉवित्ज़र, M777 ULH, शोल्डर-लॉन्च्ड एंटी-टैंक मिसाइलें, स्वदेशी सामरिक ड्रोन और एच.ए.एल. रूद्र/ALH-Mk III हेलिकॉप्टरों का फायर-प्रूफ परीक्षण।
- ऑपरेशनल तत्परता को बढ़ाना : वास्तविक समय परिदृश्यों में तेजी से लामबंदी व त्वरित प्रतिक्रिया युद्धाभ्यास का परीक्षण करना।
- टेक-इनेबल्ड वारफ़ेयर : AI-आधारित फ़ायर-कंट्रोल, क्वांटम-रेज़िलियंट कम्युनिकेशन नेटवर्क, रीयल-टाइम ड्रोन-ISR फीड एवं डिजिटल बैटल मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग।
- भविष्य के युद्ध वातावरण का अनुकरण करना : हाइब्रिड एवं उच्च तकनीक वाले युद्ध के लिए सामरिक अभ्यास व युद्ध पूर्वाभ्यास करना।
सामरिक महत्व
‘तीस्ता प्रहार’ विशेष रूप से ‘चिकन नेक’ क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर केंद्रित है जो भारत के मुख्य भू-भाग को उत्तर-पूर्वी राज्यों से जोड़ता है। इस क्षेत्र की संवेदनशीलता को देखते हुए यह अभ्यास न केवल सैनिकों की युद्धक्षमता बढ़ाता है बल्कि सीमा सुरक्षा को मजबूत कर चीन व अन्य पड़ोसी देशों को संभावित खतरे का स्पष्ट संदेश भी देता है।