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गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र पर पकिस्तान की राजनीति

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, भारत एवं विश्व का भूगोल)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 व 2: स्वतंत्रता के पश्चात् देश के अंदर एकीकरण, भू-भौतिकीय विशेषताएँ, भारत एवं इसके पड़ोसी सम्बंध, भारत से सम्बंधित और भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में पाकिस्तान ने गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को एक पूर्ण प्रांत बनाने का फैसला किया है।
  • यद्यपि भारत पहले से ही स्पष्ट शब्दों में कह चुका है कि केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर,लद्दाख तथा गिलगित-बाल्टिस्तान आदि क्षेत्र भारत के वैधानिक और अभिन्न अंग हैं। विदित है कि भारत संयुक्त राष्ट्र संघ में भी इस बाबत अपनी बात कई बार रख चुका है और भारत के मानचित्र पर इस क्षेत्र को हमेशा भारत का आधिकारिक अंग ही दिखाया गया है।

विवाद की वजह:

  • वर्ष 2009 से गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र को एक ‘प्रांतीय स्वायत्त क्षेत्र’ (Provincial Autonomous Region) के रूप में प्रशासित किया जा रहा है और वर्तमान में इस क्षेत्र को पाकिस्तान नियंत्रित कर रहा है।
  • हाल ही में पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने एक विवादित आदेश देते हुए इस क्षेत्र में आम चुनाव कराने हेतु गिलगित-बाल्टिस्तान सरकार, आदेश 2018 में संशोधन करने की बात की है।

गिलगित-बाल्टिस्तान की अवस्थिति:

  • गिलगित-बाल्टिस्तान उत्तर में चीन,पश्चिम में अफगानिस्तान और दक्षिण पूर्व में कश्मीर के साथ सीमा साझा करता है।
  • पाक अधिकृत कश्मीर के साथ भौगोलिक सीमा साझा करने वाले इस क्षेत्र को भारत अविभाजित जम्मू और कश्मीर का हिस्सा मानता है, जबकि पाकिस्तान इस क्षेत्र विशेष को पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) से अलग मानता है।
  • ध्यातव्य है कि गिलगित-बाल्टिस्तान की एक क्षेत्रीय विधान सभा और एक निर्वाचित मुख्यमंत्री भी होता है।
  • ध्यातव्य है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (China-Pakistan Economic Corridor-CPEC) गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र से होकर गुज़रता है।
  • ‘आठ हज़ार’ मीटर से अधिक ऊँचाई के पाँच पर्वत-शिखरों वाले इस क्षेत्र में पचास से अधिक पर्वत-शिखरों की ऊँचाई 7,000 मीटर (23,000 फीट) से अधिक है।
  • ध्रुवीय क्षेत्रों के अलावा दुनिया के तीन सबसे बड़े ग्लेशियर/हिमनद गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में ही अवस्थित हैं।

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गिलगित-बाल्टिस्तान का इतिहास:

  • पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के पश्चिमी सिरे पर गिलगित और इसके दक्षिण में बाल्टिस्तान स्थित है। यह इलाका 4 नवम्बर, 1947 के बाद से ही पाकिस्तान के प्रशासन में है।
  • भारत की आज़ादी से पहले गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू-कश्मीर रियासत का ही हिस्सा था। लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान के इलाके को अंग्रेज़ों ने वहाँ के महाराजा से साल 1846 से लीज़ पर ले रखा था।
  • यह इलाका ऊँचाई पर स्थित है, ऐसे में यहाँ से निगरानी रखना आसान था। यहाँ गिलगित स्काउट्स नाम की सेना की टुकड़ी तैनात थी।
  • जब अंग्रेज़ भारत छोड़कर जाने लगे तो इसे जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह को वापस कर दिया गया।
  • हरि सिंह ने ब्रिगेडियर घंसार सिंह को यहाँ का गवर्नर बनाया। गिलगित स्काउट्स वहीं तैनात रही। उस समय इस फौज के अधिकांश अधिकारी अंग्रेज़ ही हुआ करते थे।
  • वर्ष 1947 में जब कश्मीर पर पाकिस्तानी फौज ने हमला कर दिया तो 31 अक्टूबर को महाराजा हरिसिंह ने भारत के साथ विलय के समझौते पर हस्ताक्षर कर दिये।
  • इस तरह गिलगित-बाल्टिस्तान भी भारत का हिस्सा बन गया। लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान में मौजूद अंग्रेज़ फौजी अधिकारियों ने इस समझौते को नहीं माना और गवर्नर घंसार सिंह को जेल में डाल दिया।
  • इन अधिकारियों ने गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान के साथ मिलाने का समझौता कर लिया।
  • 2 नवम्बर, 1947 को गिलगित में पाकिस्तान का झंडा फहरा दिया गया। पाकिस्तान की सरकार ने सदर मोहम्मद आलम को यहाँ का नया प्रशासक नियुक्त कर दिया। यह हिस्सा अनौपचारिक रूप से पाकिस्तान के प्रशासन में चला गया।
  • वर्ष 1949 में पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर और पाकिस्तानी सरकार के बीच हुए कराची समझौते के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान को सौंप दिया गया।
  • 1970 में इसे अलग प्रशासनिक इकाई का दर्जा दे दिया गया और इसका नाम नॉर्दर्न एरिया रखा गया। वर्ष 2007 में वापस इसका नाम बदलकर गिलगित-बाल्टिस्तान कर दिया गया।
  • पाकिस्तान में चार राज्य हैं। इनके अलावा पाक प्रशासित कश्मीर और गिलगित- बाल्टिस्तान को स्वायत्त इलाके का दर्जा दिया गया है।
  • वर्ष 2009 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी ने गिलगित-बाल्टिस्तान एम्पॉवरमेंट एंड सेल्फ गवर्नेंस ऑर्डर 2009 जारी किया।
  • इस कानून के तहत गिलगित-बाल्टिस्तान में एक विधानसभा बनाने और गिलगित-बाल्टिस्तान काउंसिल बनाने के आदेश दिये गए।
  • गिलगित-बाल्टिस्तान में मुख्यमंत्री और गवर्नर दोनों होते हैं। किसी भी मामले का अंतिम फैसला लेने का अधिकार गवर्नर के पास सुरक्षित है। हालाँकि, सारे ज़रूरी फैसले लेने का अधिकार गिलगित-बाल्टिस्तान काउंसिल के पास है।
  • इसके अध्यक्ष पाकिस्तान के प्रधानमंत्री होते हैं। वर्ष 2009 के बाद गिलगित-बाल्टिस्तान में तीन मुख्यमंत्री रहे हैं।
  • वर्ष 2009 के सरकारी आदेश को वर्ष 2018 में बदला गया और गिलगित-बाल्टिस्तान की विधानसभा को कई महत्त्वपूर्ण अधिकार दिये गए।
  • गिलगित-बाल्टिस्तान की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 30 जून, पाकिस्तान के साथ 2020 को खत्म हो गया है। इसके 60 दिनों के अंदर यहाँ चुनाव करवाने की बात की गई थी।

नया विवाद:

  • पाकिस्तान में चुनाव होने से पहले एक कार्यकारी सरकार का गठन होता है। यही कार्यकारी सरकार अपनी देखरेख में चुनाव करवाती है।
  • वर्ष 2009 से गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव शुरू हुए लेकिन यहाँ चुनाव से पहले कभी कार्यकारी सरकार का गठन नहीं होता था।
  • 30 अप्रैल, 2020 को पाकिस्तानी उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली सात न्यायाधीशों की एक बेंच ने अपने आदेश में यहाँ वर्ष 2017 के चुनाव कानून के तहत सम्बंधित कानून बदलकर कार्यकारी सरकार बनाने और चुनाव करवाने के आदेश दिये हैं।
  • इस फैसले में वर्ष 2018 में गिलगित-बाल्टिस्तान को दी गई कई छूटों में भी कटौती की गई है।
  • उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2019 में गिलगित-बाल्टिस्तान में लोगों को अधिकार देने से सम्बंधित गवर्नेंस सुधार कानून संसद में पास कराने को कहा था,जिस पर अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है। इसमें वहाँ चुनाव से पहले कार्यकारी सरकार बनाने का प्रावधान होता।

आगे की राह:

  • भारत हमेशा से इस बात पर ज़ोर देता आया है कि गिलगित-बाल्टिस्तान जम्मू-कश्मीर का अभिन्न हिस्सा है और इस तरह के कदम से कश्मीर सम्बंधी मामले में गम्भीर नुकसान हो सकता है।
  • 13 अगस्त,1948 और 5 जनवरी,1949 में पारित संयुक्त राष्ट्र संघ के दो प्रस्तावों द्वारा गिलगित-बाल्टिस्तान(GB)और कश्मीर मुद्दे के मध्य एक कड़ी को स्पष्ट रूप से स्थापित किया गया है।
  • इस प्रकार, इस क्षेत्र को पाँचवाँ प्रांत बनाने से कराची समझौते और संयुक्त राष्ट्र द्वारा पारित प्रस्तावों का उल्लंघन होगा जो भविष्य में किसी भी बातचीत के लिये बहुत ही नकारात्मक माहौल उत्पन्न कर सकता है।
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