New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Special Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 06 Nov., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Special Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 06 Nov., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

पाल-दाधव नरसंहार

चर्चा में क्यों

हाल ही में, पाल-दाधव नरसंहार के 100 वर्ष पूरे हुए। गुजरात सरकार ने इसे जलियांवाला बाग हत्याकांड से भी बड़े नरसंहार के रूप में वर्णित किया है। इस बार गणतंत्र दिवस की झाँकी में गुजरात ने इसको प्रदर्शित किया था।

प्रमुख बिंदु

  • पाल-दाधव नरसंहार 7 मार्च, 1922 को साबरकांठा जिले के ‘पाल-चितरिया’ और ‘दधवाव’ गाँव में हुआ था, जो तत्कालीन समय में इदार (Idar) राज्य का हिस्सा था। इस दिन अमलकी एकादशी थी, जो आदिवासियों का एक प्रमुख त्योहार, जो होली से ठीक पहले आती है। 
  • मोतीलाल तेजावत के नेतृत्व में 'एकी आंदोलन' के हिस्से के रूप में पाल, दधव और चितरिया के ग्रामीण ‘हेइर नदी’ के तट (Banks of River Heir) पर एकत्र हुए थे।
  • यह आंदोलन अंग्रेजों और सामंतों द्वारा किसानों पर लगाए गए भू-राजस्व कर (लगान) के विरोध में था। 
  • तेजावत के नेतृत्व में लगभग 2000 भीलों ने अपने धनुष-बाण उठा लिये। अंग्रेजों ने प्रत्युत्तर में उन पर गोलियां चला दीं जिसमें लगभग 1,000 आदिवासी मारे गए। 
  • आदिवासी नेता मोतीलाल तेजावत को आदिवासी अनुयायियों के बीच प्राय: 'गांधी' के नाम से जाना जाता था। 
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X