पेरिस हाउट कॉउचर फैशन सप्ताह (Paris Haute Couture Fashion Week), 2025 का आयोजन 7 से 10 जुलाई के बीच किया गया, जिसमें दुनिया के प्रसिद्ध फैशन डिज़ाइनर्स ने अपने अद्भुत और कभी-कभी ‘अव्यवहारिक दिखने वाले’ वस्त्र प्रदर्शित किए।
पेरिस फैशन सप्ताह के बारे में
- क्या है : यह दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित फैशन शो है, विशेषकर हाउट कॉउचर सप्ताह इसका सबसे विशिष्ट भाग होता है।
- यह मंच फैशन को एक कला के रूप में प्रस्तुत करता है जहाँ डिज़ाइनर अपनी रचनात्मकता की चरम सीमा तक जाकर कपड़े बनाते हैं।
- भागीदार : इसमें केवल सीमित एवं विशिष्ट फैशन हाउस को भाग लेने की अनुमति मिलती है, जैसे– Chanel, Dior, Rahul Mishra, Schiaparelli, आदि।
- आयोजनकर्ता : ‘Fédération de la Haute Couture et de la Mode’ के अंतर्गत
क्या है हाउट कॉउचर (Haute Couture)
- यह एक फ्रेंच शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘उच्च दर्जे की सिलाई’।
- यह कपड़े अत्यंत उच्च गुणवत्ता के महंगे फैब्रिक से, हाथ से बनाए जाते हैं।
- ये वस्त्र प्राय: ग्राहक की व्यक्तिगत माप के अनुसार बनाए जाते हैं।
- आधिकारिक मान्यता केवल उन्हीं डिज़ाइन हाउस को मिलती है जिनकी कार्यशाला पेरिस में हो, जहाँ कम-से-कम 20 पूर्णकालिक कर्मचारी हों और वर्ष में दो बार (जनवरी और जुलाई में) कम-से-कम 25 मौलिक डिज़ाइनों का प्रदर्शन किया जाए।
- इसका उद्देश्य व्यावसायिक लाभ से अधिक ब्रांड की प्रतिष्ठा एवं रचनात्मकता को प्रदर्शित करना होता है।
फैशन में ट्रिकल डाउन प्रभाव
- समाजशास्त्री जॉर्ज सिमेल (Georg Simmel) के अनुसार, फैशन समाज में ऊँच-नीच का प्रतीक बन गया है।
- उच्च वर्ग पहले कोई नया एवं अनोखा फैशन अपनाता है। जब निचले वर्ग उसे अपनाने लगते हैं तब उच्च वर्ग नए और अलग अंदाज़ की ओर बढ़ जाता है।
- यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है और इसे ही ट्रिकल डाउन प्रभाव कहा जाता है।
- हाउट कॉउचर द्वारा इस प्रक्रिया की शुरुआत होती है।
- अर्थशास्त्री थॉर्स्टन वेबलन (Thorstein Veblen) ने इसे ‘कॉन्सपिक्युअस कंजम्पशन’ (Conspicuous Consumption) कहा है, अर्थात दिखावे के लिए खर्च करना।
- ये महंगे और कभी-कभी अव्यवहारिक कपड़े सामाजिक स्थिति का प्रदर्शन करते हैं, न कि उपयोगिता का।
फैशन का मानव जीवन में महत्व
- फैशन केवल दिखावा नहीं है बल्कि यह पहचान, आत्मविश्वास एवं सामाजिक अभिव्यक्ति का माध्यम है।
- यह हमारी संस्कृति, विचारधारा, आर्थिक स्थिति व रचनात्मक क्षमता का प्रतिबिंब है।
- वर्तमान में फैशन सामाजिक संवाद का तरीका बन चुका है, चाहे वह लैंगिक समानता हो या जलवायु परिवर्तन का मुद्दा।
भारतीय इतिहास में फैशन
- प्राचीन भारत में भी फैशन एवं वस्त्रों का गहरा महत्व था।
- हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त वस्त्र और आभूषण यह दर्शाते हैं कि उस समय भी सौंदर्यबोध और सामाजिक स्तर का संकेत वस्त्रों से दिया जाता था।
- मौर्य एवं गुप्त काल में वस्त्रों व आभूषणों के माध्यम से सामाजिक स्थिति को दर्शाया जाता था।
- मुगल काल में वस्त्रों में कढ़ाई, ज़री, ब्रोकेड का भरपूर उपयोग हुआ।
- भारत की हस्तशिल्प परंपरा, बुनाई, कढ़ाई एवं रंगाई सदियों से वैश्विक फैशन को प्रभावित करती रही हैं।