(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना) |
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय ने दिव्यांग व्यक्तियों (PwD) के लिए 'डिजिटल पहुँच' को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। न्यायालय ने ‘डिजिटल पहुँच के अधिकार’ की संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत पुनर्व्याख्या की है।
भारत में डिजिटल पहुँच का अधिकार
- भारत में डिजिटल पहुँच का अधिकार एक मौलिक अधिकार के रूप में माना जाता है, जो सभी नागरिकों को डिजिटल प्लेटफार्मों पर बिना किसी भेदभाव के पहुंच प्रदान करता है।
- यह अधिकार, विशेष रूप से दिव्यांग व्यक्तियों के लिए, समान अवसर एवं न्याय सुनिश्चित करता है।
- डिजिटल दुनिया में समावेशिता एवं सुलभता सुनिश्चित करने के लिए कई विधायी व न्यायिक प्रयास किए जा रहे हैं।
सर्वोच्च न्यायालय का हालिया निर्णय
- राजीव रतूड़ी बनाम भारत संघ (2024) के निर्णय में न्यायालय ने ‘डिजिटल पहुँच’ को मौलिक अधिकार मानते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद 21 से जोड़ा।
- संविधान का अनुच्छेद 21 जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने इसे डिजिटल पहुँच से जोड़ते हुए कहा कि ‘डिजिटल बाधाएँ’ जीवन व स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती हैं।
- दिव्यांग व्यक्तियों के लिए डिजिटल सेवाएँ सुलभ होनी चाहिए, ताकि वे अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें।
- न्यायालय ने निर्देश दिया कि डिजिटल KYC प्रक्रियाओं में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समावेशी उपायों को लागू किया जाए।
दिव्यांगजनों हेतु आवश्यकता
- दिव्यांगजन (PwD) को सामान्य नागरिकों के समान डिजिटल सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
- विशेष रूप से दृष्टिहीनता, सुनने में कठिनाई एवं शारीरिक अक्षमताओं से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए डिजिटल सेवाओं को सुलभ बनाना अनिवार्य है।
- दिव्यांग व्यक्तियों को पहचान सत्यापन, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और सरकारी लाभों तक पहुँच में अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
सरकारी प्रयास
- दिव्यांग व्यक्ति अधिकार (RPwD) अधिनियम, 2016 : इस अधिनियम का उद्देश्य दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्रों में समावेशिता, सुलभता व समर्थन सुनिश्चित करना है।
- डिजिटल इंडिया : सुगम्य भारत अभियान (Accessible India Campaign) के तहत वेबसाइट्स एवं ऐप्स को सुलभ बनाने का लक्ष्य।
- RBI दिशानिर्देश : वीडियो-आधारित KYC (V-CIP) शुरू किया गया है किंतु यह अभी PwD के लिए पूरी तरह सुलभ नहीं है।
- सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (ICT) मानक, 2021-22 : डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के लिए सुलभता अनिवार्य।
- आधार सुधार : बायोमेट्रिक सत्यापन में वैकल्पिक विधियों की अनुमति।
चुनौतियाँ
- वर्तमान डिजिटल KYC ढांचा दिव्यांग व्यक्तियों के लिए कई कठिनाइयाँ उत्पन्न करता है, जैसे- दृष्टिहीनता, अंगूठे के निशान की अनिवार्यता एवं कैमरा-संरेखण समस्याएँ।
- बैंक एवं वित्तीय संस्थानों के लिए KYC विवरण एकत्र करना अनिवार्य है किंतु यह प्रक्रिया दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बहुत जटिल हो सकती है।
- KYC प्रक्रिया में दृष्टिबाधित व्यक्तियों, एसिड अटैक सर्वाइवर्स और अन्य विकलांग व्यक्तियों को विशेष ध्यान नहीं दिया जाता है जिससे वे डिजिटल सेवाओं से बाहर हो जाते हैं।
आगे की राह
- भारत को डिजिटल प्लेटफार्मों की सुलभता व समावेशिता को प्राथमिकता देना
- RPwD अधिनियम के तहत बनाए गए ढांचे को और मजबूत करना तथा डिजिटल KYC प्रक्रियाओं में समावेशिता को सुनिश्चित करना
- सरकार को KYC प्रक्रियाओं में विशेष सुविधाएँ जोड़ना, जैसे- ‘टेक्स्ट-टू-स्पीच’ और ‘स्व-सत्यापन’ की सुविधा
- दिव्यांग व्यक्तियों को डिजिटल अधिकारों की पूरी जानकारी के लिए सरकार द्वारा अधिक जागरूकता का प्रसार करना
- बैंकों एवं टेक कंपनियों को सुलभ KYC व ऐप्स विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना