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पूनल फ्रेमवर्क और यूनिवर्सल थर्मल क्लाइमेट इंडेक्स (UTCI)

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)

सन्दर्भ

  • 27 सितंबर 2025 को तमिलनाडु के करूर में हुए तमिलगा वेत्त्रि कझगम (TVK) की रैली के दौरान मची भगदड़ में 41 लोगों की मौत हो गई थी।
  • चेन्नई-स्थित पर्यावरण संगठन ‘पूवुलगिन नबरगल’ द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, यह दुर्घटना केवल भीड़ प्रबंधन की विफलता नहीं थी, बल्कि अत्यधिक तापीय तनाव (Heat Stress) ने भी इसमें प्रमुख भूमिका निभाई। 
  • इस अध्ययन में ‘पूनल फ्रेमवर्क’ (Punal Framework) और ‘यूनिवर्सल थर्मल क्लाइमेट इंडेक्स (UTCI)’ का उपयोग किया गया, जिसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि अत्यधिक गर्मी, घनी भीड़ और अपर्याप्त आयोजन व्यवस्था ने मिलकर एक घातक स्थिति उत्पन्न कर दी थी।

क्या है पूनल फ्रेमवर्क 

  • ‘पूनल’ तमिल शब्द है, जिसका अर्थ “जल” या “प्रवाह” होता है।
  • यह फ्रेमवर्क चेन्नई-स्थित पर्यावरण संगठन ‘पूवुलगिन नबरगल’ द्वारा विकसित किया गया है, जो जलवायु, पर्यावरणीय और मानवीय कारकों के संयुक्त प्रभाव का विश्लेषण करता है।
  • इसका उद्देश्य है :-
    • स्थानीय तापीय परिस्थितियों (Thermal Conditions) का मूल्यांकन करना।
    • भीड़ घनत्व, स्थल का भू-आकृतिक स्वरूप का अध्ययन करना।
    • वायु प्रवाह व नमी जैसे तत्वों का एकीकृत अध्ययन करना।
  • यह फ्रेमवर्क किसी भी सार्वजनिक आयोजन या भीड़ वाले स्थान में तापीय जोखिम (Heat Risk Assessment) का आकलन करने में सहायक होता है।

यूनिवर्सल थर्मल क्लाइमेट इंडेक्स (UTCI) के बारे में

  • यह एक वैज्ञानिक मापदंड है जो मानव शरीर पर तापमान, आर्द्रता, हवा की गति और सौर विकिरण के संयुक्त प्रभाव का आकलन करता है।
  • यह बताता है कि किसी व्यक्ति को वास्तविक रूप में गर्मी या ठंड का कितना प्रभाव महसूस होगा, न कि केवल वायुमंडलीय तापमान।

UTCI के प्रमुख मापदंड

  1. वायु तापमान (Air Temperature)
  2. सापेक्ष आर्द्रता (Relative Humidity)
  3. वायु वेग (Wind Speed)
  4. सौर विकिरण (Solar Radiation) 
    • इन सभी कारकों को मिलाकर UTCI यह अनुमान लगाता है कि किस तापमान पर व्यक्ति को स्वास्थ्य पर खतरा हो सकता है।

हालिया अध्ययन के निष्कर्ष

  • करूर रैली में दोपहर के समय UTCI मान 40°C से अधिक था, जबकि 38°C से ऊपर की स्थिति में बेहोशी या हीट स्ट्रेस का खतरा बहुत बढ़ जाता है।
  • यह दर्शाता है कि हीट स्ट्रेस और भीड़ घनत्व ने संयुक्त रूप से भगदड़ को बढ़ावा दिया।
  • पूवुलगिन ननबरगल पर्यावरण संगठन ने सुझाव दिया कि:
    • फरवरी से अक्टूबर तक बड़ी रैलियों पर रोक लगाई जाए।
    • छायादार स्थान और पर्याप्त पेयजल की व्यवस्था की जाए।
    • UTCI आधारित हीट अलर्ट सिस्टम को लागू किया जाए।
    • अत्यधिक गर्मी को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत एक “अधिसूचित आपदा” के रूप में मान्यता दी जाए।

निष्कर्ष

पूनल फ्रेमवर्क और UTCI जैसे उपकरण यह दर्शाते हैं कि किसी भी सार्वजनिक आयोजन में केवल भीड़ नियंत्रण ही पर्याप्त नहीं, बल्कि जलवायु सुरक्षा और तापीय जोखिम मूल्यांकन भी अनिवार्य हैं। तमिलनाडु सरकार ने हीट स्ट्रेस को राज्य आपदा के रूप में मान्यता देकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जो भारत के अन्य राज्यों के लिए भी एक अनुकरणीय मॉडल हो सकता है।

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