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साही सिद्धांत 

चर्चा में क्यों 

हाल ही में, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पैलौसी के ताइवान दौरे के पश्चात् चीन-ताइवान विवाद के परिप्रेक्ष्य में साही सिद्धांत चर्चा का विषय बना हुआ है।  

क्या है साही सिद्धांत (Porcupine Doctrain) 

  • इस सिद्धांत को सर्वप्रथम वर्ष 2008 में यू.एस. नेवल वॉर कॉलेज के शोध प्रोफेसर विलियम एस. मुर्रे ने प्रस्तावित किया था। 
  • यह रणनीति मुख्य रूप से असममित युद्ध की धारणा पर केंद्रित है, जो कमजोर राज्य की सुरक्षा को मजबूत करने पर आधारित है। यह रणनीति एक कमज़ोर राज्य की सुरक्षा हेतु दुश्मन देश की मजबूती के बजाय उसके कमजोरियों का फायदा उठाने पर ध्यान केंद्रित करती है। 
  • विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस सिद्धांत के पालन की अवस्था में ताइवान को क्षतिग्रस्त किया जा सकता है परंतु पराजित नहीं।

सिद्धांत के तीन रक्षात्मक आवरण 

  • पहला आवरण ख़ुफ़िया विभाग और सैनिक परीक्षण से संबंधित है जिसके माध्यम से सैन्य बल की तैयारियों को सुनिश्चित किया जाता है। इसका उद्देश्य आकस्मिक आक्रमण को रोकना है।
  • दूसरे आवरण में अमेरिका द्वारा प्रदत्त परिष्कृत विमानों के माध्यम से हवाई सहायता के साथ समुद्र में गोरिल्ला युद्ध की तैयारियों को शामिल किया जाता है। 
  • तीसरे और अंतिम आवरण के अंतर्गत ताइवान के पहाड़ों एवं अन्य स्थलाकृतियों के माध्यम से चीनी सेना के समक्ष व्यवधान उत्पन्न किया जाता है।
  • इस सिद्धांत का अंतिम उद्देश्य हवाई हमले के लिए रणनीतियों का निर्धारण करना है जिसके माध्यम से चीन की बढ़ती आक्रामकता के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का विकास संभव हो सकेगा।
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