New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM July Mega Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 21st July 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 14th July, 8:30 AM July Mega Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 21st July 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 30 July, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 14th July, 8:30 AM

प्रलय मिसाइल एवं संजय निगरानी प्रणाली

इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में बैलिस्टिक मिसाइल ‘प्रलय’ और युद्धक्षेत्र निगरानी प्रणाली ‘संजय’ का प्रदर्शन किया जाएगा।  

प्रलय मिसाइल के बारे में 

  • क्या है : पारंपरिक हमलों के लिए भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित कम दूरी की अर्ध-बैलिस्टिक (Quasi-ballistic) मिसाइल
  • विकास : रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा
  • मारक क्षमता : 400 किमी. (सतह-से-सतह पर मार करने में सक्षम)
  • तैनाती : नियंत्रण रेखा (LOC) एवं वास्तविक नियत्रण रेखा (LAC) पर 
  • विशेषता : इस प्रणाली में अशोक लीलैंड 12x12 हाई-मोबिलिटी वाहन पर लगे ट्विन लॉन्चर कॉन्फ़िगरेशन की सुविधा
    • प्रलय मिसाइल को 500 से 1,000 किग्रा. की पेलोड क्षमता वाले ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर द्वारा संचालित किया जाता है।

बैलिस्टिक एवं अर्द्ध बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली में अंतर 

अंतर का आधार

बैलिस्टिक मिसाइल

अर्द्ध-बैलिस्टिक मिसाइल

प्रक्षेप पथ 

बैलिस्टिक मिसाइल अपने प्रारंभिक संचालित चरण के बाद वृहद् चापाकार (Arc) प्रक्षेप पथ का अनुसरण करती है।  

अर्द्ध-बैलिस्टिक मिसाइल लघु, अधिक लचीले प्रक्षेप पथ का अनुसरण करती है।

गतिशीलता

एक बार प्रक्षेपित होने के बाद बैलिस्टिक मिसाइलों के मार्ग में परिवर्तनशीलता सीमित होती है।  

अर्द्ध-बैलिस्टिक मिसाइलें उड़ान के बीच में अपना मार्ग महत्वपूर्ण रूप से बदल सकती हैं।

सटीकता

इनकी गतिशीलता कम होने के कारण सटीकता में भी कमी होती है।  

अपनी उच्च गतिशीलता के कारण, अर्द्ध-बैलिस्टिक मिसाइलें पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में संभावित रूप से अधिक सटीकता प्राप्त कर सकती हैं। 

संजय प्रणाली

इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में युद्धक्षेत्र निगरानी प्रणाली ‘संजय’ को भी प्रदर्शित किया जाएगा। 24 जनवरी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘संजय’ प्रणाली को हरी झंडी दिखाई। 

संजय प्रणाली की विशेषताएँ

  • विकास : भारतीय सेना एवं भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित 
  • परियोजना लागत : 2402 करोड़ रुपए
  • यह प्रणाली स्थलीय एवं हवाई युद्धक्षेत्र सेंसर से इनपुट को एकीकृत करती है और युद्धक्षेत्र की एक सामान्य निगरानी तस्वीर तैयार करती है।
  • यह निगरानी प्रणाली अत्याधुनिक सेंसर एवं एनालिटिक्स से लैस है जो विशाल स्थलीय सीमाओं की निगरानी करने, घुसपैठ को रोकने और अत्यधिक सटीकता के साथ स्थितियों का आकलन करने में मदद करेगी।
  • यह कमांडरों को नेटवर्क केंद्रित वातावरण में पारंपरिक और उप-पारंपरिक दोनों तरह के ऑपरेशन में काम करने में सक्षम बनाएगा। इसे मार्च 2025 से तीन चरणों में भारतीय सेना में शामिल किया जाएगा।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR