28 जून को पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
पीवी नरसिम्हा राव के बारे में
- परिचय : इनका पूरा नाम पामुलपति वेंकट नरसिम्हा राव है जो भारत के नौवें प्रधानमंत्री थे।
- वे पहले दक्षिण भारतीय प्रधानमंत्री थे और आर्थिक सुधारों के लिए उनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
- भारतरत्न : वर्ष 2024 में उन्हें मरणोपरांत भारत सरकार ने भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया ।
- निधन : 23 दिसंबर, 2004 को नई दिल्ली में उनका निधन हो गया।

राजनीतिक करियर
- प्रारंभिक वर्ष : राव ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य के रूप में की। वे स्वतंत्रता संग्राम में शामिल थे और हैदराबाद रियासत के भारत में विलय के लिए आंदोलन में सक्रिय थे।
- आंध्र प्रदेश में भूमिका : 1971 से 1973 तक वे आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने भूमि सुधार एवं शिक्षा जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य किए।
- केंद्रीय मंत्री : 1980 के दशक में वे इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकारों में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों (गृह, रक्षा एवं विदेश मंत्रालय) के मंत्री रहे।
- प्रधानमंत्री के रूप में : वर्ष 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद राव को अप्रत्याशित रूप से कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पद के लिए चुना। उनकी सरकार अल्पमत में थी किंतु उन्होंने इसे स्थिरता प्रदान की।
आर्थिक सुधार एवं योगदान
राव की सबसे बड़ी उपलब्धि वर्ष 1991 के आर्थिक सुधार थे, जिन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्वीकरण की दिशा में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उस समय भारत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था और विदेशी मुद्रा भंडार लगभग समाप्त हो चुका था। राव ने अपने वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के साथ मिलकर निम्नलिखित सुधार लागू किए:
- उदारीकरण : लाइसेंस राज को समाप्त कर औद्योगिक नीतियों को उदार बनाया गया, जिससे निजी क्षेत्र को बढ़ावा मिला।
- वैश्वीकरण : विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए नीतियां बनाई गईं, जिससे भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बना।
- विनिवेश : सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में विनिवेश की शुरुआत हुई।
- वित्तीय सुधार : बैंकिंग एवं वित्तीय क्षेत्र में सुधार किए गए, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली। इन सुधारों ने भारत को आर्थिक संकट से उबारा और मध्यम वर्ग के विकास को गति प्रदान की।
अन्य योगदान
- विदेश नीति : राव ने ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ की शुरुआत की, जिसने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ भारत के संबंधों को बढ़ावा दिया। यह नीति आज भारत-आसियान संबंधों की आधारशिला बनी हुई है।
- परमाणु नीति : राव ने भारत के परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाया, जिसकी नींव पर वर्ष 1998 में पोखरण में परमाणु परीक्षण किए गए।