भारत सरकार निर्यात क्षेत्र को सब्सिडी देने के बजाय गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों (QCOs) के माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देने का निर्णय ले रही है।
गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCOs) के बारे में
- यह ऐसे नियम हैं जिनके तहत उत्पादों को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा निर्धारित न्यूनतम गुणवत्ता मानकों को पूरा करना आवश्यक होता है।
- मार्च 2025 तक 187 QCOs को 769 उत्पादों के लिए अधिसूचित किया जा चुका है।
- सरकार का मानना है कि सिर्फ सब्सिडी देने से निर्यात में वृद्धि नहीं हो सकती है।
- इसलिए, अब नई नीति के अनुरूप गुणवत्ता मानकों के माध्यम से निर्यातकों को सुधारने का दबाव बनाया जाएगा।
निर्यातकों के लिए अन्य सहायक उपाय
- सरकार निर्यातकों को भूमि अधिग्रहण और अन्य नियामक बाधाओं को दूर करने में मदद देने के लिए तैयार है।
- हालाँकि, सब्सिडी बढ़ाने की कोई योजना नहीं है, केवल कुछ विशेष मामलों, जैसे- दुर्लभ पृथ्वी बैटरियों के उत्पादन में, जिनके लिए आपूर्ति संकट उत्पन्न हुआ है।
निर्यात पर प्रभाव
- गुणवत्ता में सुधार : QCOs भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के न्यूनतम गुणवत्ता मानकों को लागू करते हैं जिससे निर्यातित उत्पादों की वैश्विक स्वीकार्यता बढ़ेगी।
- प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि : वैश्विक बाजार में गुणवत्ता मानकों को पूरा करने से भारतीय निर्यातक यूरोप, अमेरिका जैसे बाजारों में प्रतिस्पर्धी बनेंगे।
- निर्यात लागत पर प्रभाव : QCOs के अनुपालन के लिए प्रारंभिक लागत बढ़ सकती है, खासकर MSME के लिए, जो उत्पादन प्रक्रिया को अपग्रेड करेंगे।
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रभाव : दुर्लभ पृथ्वी बैटरी जैसे उत्पादों पर QCOs लागू होने से भारत की निर्भरता कम होगी। स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे निर्यात में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
आलोचना एवं समर्थन
- विरोध : नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने QCOs को विकृति हस्तक्षेप बताया है जिसका प्रभाव MSMEs पर हो सकता है।
- समर्थन : सरकार का मानना है कि गुणवत्ता में सुधार से भारतीय उत्पादों की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और इस प्रकार निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
- उद्योगों की मांग : भारतीय खनिज उद्योग संघ (FIMI) ने खनन के लिए वैकल्पिक ईंधन भारी मशीनरी की खरीद पर सब्सिडी देने की मांग की है ताकि इलेक्ट्रिक ट्रकों की उच्च लागत को कम किया जा सके।