चर्चा में क्यों ?
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने भारत के विकसित होते डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को विनियमित और निगरानी करने के लिए भुगतान नियामक बोर्ड (PRB) का गठन किया।
- PRB, पूर्ववर्ती BPSS (भुगतान एवं निपटान प्रणालियों के विनियमन एवं पर्यवेक्षण बोर्ड) का स्थान लेगा।
- उद्देश्य: घरेलू और सीमा-पार भुगतान प्रणालियों में पारदर्शिता, दक्षता और सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- यह कदम डिजिटल भुगतान के तेजी से विस्तार और अधिक केंद्रित निगरानी की आवश्यकता को देखते हुए उठाया गया।

कानूनी आधार और संरचनात्मक परिवर्तन
- PRB को अधिकार भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 से प्राप्त है।
- यह अब RBI केंद्रीय बोर्ड की उप-समिति नहीं है, बल्कि DPSS द्वारा समर्थित अलग इकाई है।
- PRB अधिक स्वायत्त और मजबूत विनियामक ढांचे का प्रतीक है, जो भारत की डिजिटल भुगतान में वैश्विक महत्वाकांक्षा के अनुरूप है।
उद्देश्य:
- सुरक्षा सुनिश्चित करना
- अंतर-संचालन (Interoperability) बनाए रखना
- लचीले और भरोसेमंद डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण
संरचना:-
- अध्यक्ष: RBI गवर्नर (वर्तमान -संजय मल्होत्रा)
- कुल सदस्य: 6, जिसमें 5 अन्य सदस्य शामिल
- RBI सदस्य:
- भुगतान प्रणालियों के प्रभारी उप-गवर्नर
- भुगतान प्रणालियों के लिए जिम्मेदार एक कार्यकारी निदेशक
- सरकारी नामांकित सदस्य:
- वित्तीय सेवा सचिव
- इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी सचिव
- अरुणा सुंदरराजन, पूर्व दूरसंचार सचिव
लक्ष्य: तकनीकी, वित्तीय और नीतिगत दृष्टिकोणों को एकीकृत करना और उभरती चुनौतियों के प्रति उत्तरदायी रहना।
निर्णय नियम
- निर्णय बहुमत से लिए जाएंगे।
- बराबरी की स्थिति में, अध्यक्ष (या उप-गवर्नर) के पास निर्णायक मत होगा।
- वर्ष में कम से कम दो बैठकें आयोजित होंगी।
- अध्यक्ष की अनुमति पर संचलन के माध्यम से निर्णय लेने की अनुमति।
- RBI का प्रधान कानूनी सलाहकार स्थायी आमंत्रित सदस्य के रूप में कानूनी सुनिश्चितता प्रदान करेगा।
प्रमुख कार्य
PRB को सभी भुगतान प्रणालियों की व्यापक निगरानी और विनियमन का कार्य सौंपा गया है, जिसमें शामिल हैं:
- इलेक्ट्रॉनिक भुगतान:
- UPI, NEFT, RTGS, IMPS, कार्ड नेटवर्क
- गैर-इलेक्ट्रॉनिक भुगतान:
- चेक समाशोधन प्रणाली
- घरेलू और सीमा पार लेनदेन
- सार्वजनिक और निजी भुगतान प्लेटफ़ॉर्म
प्रश्न :-भुगतान नियामक बोर्ड (PRB) की स्थापना किसके स्थान पर हुई ?
(a) NPCI
(b) BPSS
(c) SEBI
(d) PFRDA
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