New
The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June. The Biggest Summer Sale UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 31 May 2025 New Batch for GS Foundation (P+M) - Delhi & Prayagraj, Starting from 2nd Week of June.

भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार

 (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं कल्याणकारी योजनाएं)

संदर्भ 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA) के डाटा से स्पष्ट है कि हाल के वर्षों में स्वास्थ्य पर सार्वजनिक व्यय में वृद्धि से देश की स्वास्थ्य प्रणाली में काफी सुधार हुआ है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (NHA) के डाटा के प्रमुख बिंदु 

सरकारी स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि

  • सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में सरकारी स्वास्थ्य व्यय (GHE) में 2014-15 से 2021-22 के बीच 63% की अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। 
  • प्रति व्यक्ति के संदर्भ में वर्ष 2014-15 से 2019-20 के बीच सरकारी स्वास्थ्य व्यय (GHE) 1,108 रुपए से बढ़कर 2,014 रुपए हो गया।

स्वास्थ्य संबंधी बीमा व्यय में वृद्धि 

  • सरकार द्वारा वित्तपोषित बीमा पर व्यय में वर्ष 2013-14 की तुलना में वर्ष 2021-22 में 4.4 गुना की वृद्धि हुई है। यह आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना एवं राज्य स्वास्थ्य आश्वासन/बीमा योजनाओं में बढ़ते निवेश को दर्शाता है।
  • कुल स्वास्थ्य व्यय में स्वास्थ्य पर सामाजिक सुरक्षा व्यय वर्ष 2014-15 में 5.7% से बढ़कर 2019-20 में 9.3%  हो गया। इस व्यय में सरकार द्वारा वित्त पोषित स्वास्थ्य बीमा, सरकारी कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति एवं सामाजिक स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम शामिल हैं।

आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE) में कमी 

  • कुल स्वास्थ्य व्यय के हिस्से के रूप में आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (OOPE) 2014-15 से 2019-20 के बीच 62.6% से कम होकर 47.1% हो गया है। 
  • राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (2017-18) के अनुसार, आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय को कम करने में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, सरकारी सुविधाओं का उपयोग, विशेष रूप से आंतरिक रोगी देखभाल एवं संस्थागत प्रसव, मुफ्त एम्बुलेंस सेवाएं, मजबूत सरकारी माध्यमिक व तृतीयक सेवाएं तथा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम महत्वपूर्ण कारक हैं।
    • प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत वर्ष 2016 से 2.59 करोड़ से अधिक मुफ्त डायलिसिस सत्र आयोजित किए गए हैं

दवाएं एवं डायग्नोस्टिक्स व्यय में कमी 

  • 1,69,000 से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों (AAM, स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र) सहित अन्य सुविधाओं में नि:शुल्क दवाओं एवं निदान सेवाओं से परिवारों की अत्यधिक वित्तीय बचत हुई है। 
  • वर्तमान में व्यावहारिक रूप से सभी जिलों में 10,000 से अधिक जन औषधि केंद्रों के माध्यम से जेनेरिक दवाएं एवं सर्जिकल आइटम कम कीमत पर उपलब्ध हैं। 

स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण सामाजिक निर्धारक

  • आर्थिक सर्वेक्षण के अनुमानों में स्वास्थ्य सेवाओं एवं वस्तुओं पर व्यय के अलावा विशेष रूप से जलापूर्ति एवं स्वच्छता पर खर्च भी शामिल होता है।
  • वर्ष 2019 में जल जीवन मिशन के शुभारंभ के समय केवल 17% ग्रामीण परिवारों के पास नल का पानी था। वर्तमान में लगभग 76% के पास कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन है। स्वास्थ्य पर इसका उल्लेखनीय सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

                                                                 राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017

  • 15 मार्च, 2017 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 लॉन्च की थी। 
  • इस नीति में सरकार का ध्यान ‘बीमार की देखभाल’ की बजाय ‘बीमार के कल्याण’ पर केंद्रित है। 
  • यह भारत सरकार की तीसरी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति है। भारत की पहली स्वास्थ्य नीति 1983 में बनी थी, जबकि दूसरी स्वास्थ्य नीति 2002 में बनी थी। 
  • इस नीति में सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र पर खर्च बढ़ाकर सकल घरेलू उत्पाद का 2.5% करने का लक्ष्य है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 का उद्देश्य
    • स्वास्थ्य प्रणाली के सभी आयामों स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश
    • स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं के व्यवस्थापन और वित्त पोषण
    • रोगों की रोकथाम
    • प्रौद्योगिकियों तक पहुँच
    • मानव संसाधन विकास
    • विभिन्न चिकित्सीय प्रणाली को प्रोत्साहन
    • बेहतर स्वास्थ्य के लिए आपेक्षित ज्ञान आधार तैयार करना।

चुनौतियां 

  • अपर्याप्त आधारभूत संरचना : देश के अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तरों (Beds) का घनत्व प्रति 1,000 जनसंख्या पर 0.7 है, जोकि वैश्विक औसत (2.6 बिस्तर) एवं WHO द्वारा निर्धारित मानक (3.5 बिस्तर) से काफी कम है।
  • राज्यों के बीच स्वास्थ्य देखभाल असमानताएँ : भारत में विभिन्न राज्यों में स्वास्थ्य सेवा चुनौतियाँ व्यापक रूप से भिन्न हैं। कुछ राज्यों ने ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल में सुधार करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है जबकि अन्य राज्य स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे एवं संसाधनों में क्षेत्रीय असमानताओं के कारण संघर्ष कर रहे हैं।
  • पर्यावरण प्रदूषण एवं जीवन शैली : शराब का सेवन, धूम्रपान, उच्च वसायुक्त खानपान तथा गतिहीन जीवनशैली के कारण देश में मधुमेह, हृदय संबंधी समस्याओं एवं कैंसर जैसी बीमारियों की दर में वृद्धि हुई है।
  • गैर-संचारी रोग : ‘इंडिया: हेल्थ ऑफ़ द नेशंस स्टेट्स’ के अनुसार, वर्ष 2016 में होने वाली कुल मौतों में गैर-संचारी रोगों का योगदान 61.8% था।
  • स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की कमी : 
    • आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार, भारत में डॉक्टर एवं मरीज़ का अनुपात 1:1456 है, जबकि WHO के अनुसार इसका आदर्श अनुपात 1:1000 है।
    • सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आवश्यकता की तुलना में 79% से अधिक विशेषज्ञों की कमी है।
  • स्वास्थ्य पर कम व्यय : भारत विश्व में दूसरा सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है, जो अपनी GDP का लगभग 1-1.5% ही स्वास्थ्य सेवा पर खर्च करता है जो अन्य विकासशील देशों की तुलना में भी काफी कम है।

आगे की राह 

  • स्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देकर वर्ष 2025 तक स्वास्थ्य पर होने वाले व्यय को GDP के 2.5% के लक्ष्य को प्राप्त करना।  
  • ग्रामीण स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे के निरंतर सुदृढ़ीकरण करना। 
  • स्वास्थ्य देखभाल शैक्षिक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना और मुद्रीकरण करना।
  • प्रधानमंत्री जन आरोग्य, एकीकृत बाल विकास योजना (ICDC) जैसी पोषण एवं स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं का क्रियान्वयन ज़मीनी स्तर पर करना।   
  • स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों पर तेज़ी से ध्यान देना।  
  • ग्रामीण क्षेत्रों में निःशुल्क विभिन्न स्वास्थ्य जांच अभियान चलाना। 
  • गैर-संचारी रोगों एवं इसके प्रति जागरूकता का प्रसार करना।   
  • दवा के वितरण व बिक्री को विनियमित करना।  
  • बुनियादी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान देना और बुनियादी ढांचे को विकसित करना।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR