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वनों के वित्तयन संबंधी रिपोर्ट

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 3: जैव-विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन : संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण व क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

संदर्भ 

अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस (21 मार्च) पर वन संरक्षण की दिशा में वैश्विक वित्तपोषण की आवश्यकता के संदर्भ में एक रिपोर्ट जारी की गयी है। 

रिपोर्ट के बारे में 

  • शीर्षक : ‘वन वित्त में रूपांतरण’ (Transforming Forest Finance)
  • जारीकर्ता : ‘संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)’, ‘जलवायु एवं भूमि उपयोग गठबंधन’ और अन्य साझेदारों द्वारा समर्थित ‘वन घोषणा आकलन (Forest Declaration Assessment)’ द्वारा 

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष 

  • रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर वनों के लिए वित्तीय सहायता न केवल कम पड़ रही है, बल्कि यह वनों की कटाई को भी बढ़ावा दे रही है क्योंकि अरबों डॉलर का निवेश ऐसे उद्योगों में हो रहा है जो पर्यावरण को नष्ट कर रहे हैं।
  • कई विकासशील देश कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं जिनका सामूहिक कर्ज़ 11 ट्रिलियन डॉलर है। इस कारण उनको प्राय: अल्पकालिक आर्थिक लाभ के लिए वनों का दोहन करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा वन वित्तयन तंत्र चुनौती के अनुरूप नहीं हैं। पिछले दो दशकों में वन वित्तयन पोषण तंत्र विशेष रूप से, REDD+ ने आवश्यक वन वित्तयन स्तर प्रदान नहीं किया है। 
  • पर्यावरण के लिए हानिकारक सब्सिडी वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक व्यय की एक सतत एवं महत्वपूर्ण विशेषता बनी हुई है। हानिकारक कृषि सब्सिडी प्राय: एक निर्धारित वस्तु या उत्पादन स्तर के साथ मिलकर पर्यावरण की कीमत पर औद्योगिक प्रथाओं को बढ़ावा देती है।  
    • यद्यपि, विकृत सब्सिडी के नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव को ब्रुंडलैंड रिपोर्ट अवर कॉमन फ्यूचर के प्रकाशन के साथ 1980 के दशक से पहचाना गया है किंतु इस दिशा में सुधार बहुत ही धीमा रहा है।
  • वर्ष 2023 में निजी वित्तीय संस्थानों ने वनों की कटाई से जुड़े क्षेत्रों में 6.1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया जबकि सरकारों द्वारा प्रतिवर्ष 500 बिलियन डॉलर की सब्सिडी प्रदान की जाती रहीं, जो संरक्षण के बजाय पर्यावरण विनाश को प्रोत्साहित करती हैं।
  • निजी निवेश द्वारा मजबूत आर्थिक प्रोत्साहन कई वन क्षेत्रों में वनों को वैकल्पिक भूमि उपयोग में बदलने के पक्ष में हैं जो त्वरित लाभ, कर राजस्व एवं नौकरियां प्रदान करते हैं। 
  • विशेषज्ञों के अनुसार वर्तमान वित्तीय प्रणाली दीर्घकालिक स्थिरता के बजाय अल्पकालिक लाभ को महत्व देती है। ऐसे में वनों को वित्तीय प्राथमिकता बनाने के लिए प्रणालीगत बदलावों की आवश्यकता है। 
  • रिपोर्ट में मेसोअमेरिकन प्रादेशिक निधि और पोडाली निधि जैसे सफल वित्तपोषण मॉडलों पर भी प्रकाश डाला गया है जिनसे पता चला है कि स्वदेशी समुदायों को सीधे वित्तपोषण से बेहतर संरक्षण परिणाम प्राप्त होते हैं।

सुधार के लिए प्रमुख सिफारिशें

  • बहुपक्षीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक वित्त में सुधार : इस रिपोर्ट में राजकोषीय लचीलापन बढ़ाने के लिए बहुपक्षीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक वित्त में सुधार की सिफारिश की गई है ताकि विश्व बैंक जैसी संस्थाएँ वन संरक्षण के लिए अधिक धन मुहैया करा सकें। 
  • संप्रभु ऋण में सुधार : रिपोर्ट में दीर्घकालिक वन निवेश के लिए राजकोषीय पर्याप्तता के लिए संप्रभु ऋण प्रणालियों में सुधार की सिफारिश की गई है क्योंकि उच्च ऋण स्तर देशों को आर्थिक अस्तित्व के लिए वनों का दोहन करने के लिए मजबूर करता है।
  • हानिकारक सब्सिडी का पुनरनिर्देशित करना : वनों की क्षति एवं जैव-विविधता संकट को बढ़ावा देने वाली हानिकारक सब्सिडी को पुनर्निर्देशित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है जिससे वनों की कटाई को बढ़ावा देने वाले उद्योगों से धन डाइवर्ट करके उसे संधारणीय विकल्पों की ओर लगाया जा सके। 
  • स्थानीय समुदायों का वित्त पोषण: रिपोर्ट में स्थानीय समुदायों के लिए प्रत्यक्ष वित्तपोषण बढ़ाने की सिफारिश की गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मूल निवासियों एवं स्थानीय समूहों को अपनी भूमि की रक्षा के लिए वित्तीय सहायता मिल सके।
  • नए वित्तपोषण मॉडल की आवश्यकता: इस रिपोर्ट में ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी जैसे नए वित्तपोषण मॉडल की की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है जो वित्त के नए स्रोतों को उत्प्रेरित करके उच्च प्रभाव वाली गतिविधियों को प्राथमिकता देते हैं तथा स्थानीय शासन को मजबूत करते हैं।
  • वन-संबंधी जोखिमों को राष्ट्रीय वित्तीय विनियामक ढाँचे में शामिल करना : वित्तीय संस्थानों को वनों की कटाई और पारिस्थितिकी तंत्र परिवर्तन जोखिमों को अपने शासन, जोखिम प्रबंधन एवं निर्णयन ढाँचे में शामिल करना चाहिए।
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