संदर्भ
देश की अनुसंधान व नवाचार प्रणाली को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनुसंधान, विकास एवं नवाचार (RDI) योजना को मंजूरी दी है जो भारत को वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की ओर अग्रसर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
अनुसंधान, विकास एवं नवाचार (RDI) योजना के बारे में
- परिचय : यह योजना निजी क्षेत्र को अनुसंधान, विकास एवं नवाचार में निवेश के लिए प्रोत्साहित करने पर केंद्रित है।
- उद्देश्य :
- उभरते क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देना : निजी क्षेत्र को सनराइज (Sunrise) क्षेत्रों और आर्थिक सुरक्षा, रणनीतिक महत्व व आत्मनिर्भरता से संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ाने के लिए प्रेरित करना
- उच्च प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर (TRL) परियोजनाओं का वित्तपोषण : परिवर्तनकारी परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना, जो उच्च प्रौद्योगिकी तत्परता स्तर पर हों।
- महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का अधिग्रहण : रणनीतिक महत्व की प्रौद्योगिकियों के अधिग्रहण को समर्थन देना
- डीप-टेक फंड ऑफ फंड्स की स्थापना : नवाचार को बढ़ावा देने के लिए डीप-टेक फंड ऑफ फंड्स की स्थापना को सुगम बनाना
- योजना की संरचना एवं प्रशासन : योजना का संचालन एवं कार्यान्वयन एक सुव्यवस्थित ढांचे के माध्यम से किया जाएगा:
- अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (ANRF) : प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाला ANRF का शासी निकाय योजना को रणनीतिक दिशा प्रदान करेगा।
- कार्यकारी परिषद (EC) : यह परिषद योजना के दिशानिर्देशों को मंजूरी देगी, द्वितीय स्तर के फंड मैनेजरों की सिफारिश करेगी और सनराइज क्षेत्रों में परियोजनाओं के दायरे एवं प्रकार को निर्धारित करेगी।
- सचिवों का अधिकार प्राप्त समूह (EGoS) : कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में यह समूह योजना में बदलाव, क्षेत्रों, परियोजनाओं के प्रकार और द्वितीय स्तर के फंड मैनेजरों को मंजूरी देगा। साथ ही, योजना के प्रदर्शन की समीक्षा करेगा।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) : यह विभाग योजना के कार्यान्वयन के लिए नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा।
- वित्तपोषण : इस योजना में द्वि-स्तरीय वित्तपोषण तंत्र अपनाया गया है:
- विशेष प्रयोजन कोष (SPF): ANRF के अंतर्गत स्थापित यह कोष योजना के धन का संरक्षक होगा।
- द्वितीय स्तर के फंड मैनेजर : SPF से धन को विभिन्न द्वितीय स्तर के फंड मैनेजरों को आवंटित किया जाएगा। यह मुख्य रूप से लंबी अवधि के रियायती ऋण के रूप में होगा, जिसमें कम या शून्य ब्याज दरें होंगी।
योजना का महत्व
- निजी क्षेत्र की भागीदारी : निजी क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक और सस्ती वित्तीय सहायता प्रदान करके यह योजना नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देगी।
- आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा : यह योजना भारत को आत्मनिर्भर बनाने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेगी।
- नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र : यह योजना एक सशक्त नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगी, जो भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगी।