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सिंधु जल संधि में संशोधन

प्रारंभिक परीक्षा – सिंधु जल संधि
मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - भारत एवं इसके पड़ोसी देशों के साथ संबंध 

सन्दर्भ 

indus-water-treaty

  • हाल ही में भारत द्वारा घोषणा की गयी कि वह पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि (IWT) को संशोधित करना चाहता है। 
  • भारत द्वारा संधि के अनुच्छेद XII (3) के अनुसार संधि में संशोधन की मांग की गयी है।
  • भारत की कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान पिछले पांच वर्षों से किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं पर बातचीत और मुद्दे को हल करने से इनकार कर रहा है।

सिंधु जल संधि

IWT

  • सिंधु जल संधि, सिंधु तथा इसकी सहायक नदियों के जल के अधिकतम उपयोग के लिये भारत और पाकिस्तान के मध्य एक समझौता है। 
  • 19 सितम्बर, 1960 को कराची में विश्व बैंक की मध्यस्थता में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा इस संधि पर हस्ताक्षर किये गए थे।
  • यह संधि भारत को तीन पूर्वी नदियों - ब्यास, रावी और सतलुज  के पानी पर नियंत्रण का अधिकार देती है, जबकि तीन पश्चिमी नदियों - सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी पर पाकिस्तान को नियंत्रण का अधिकार देती है। 
  • यह संधि भारत को सीमित सिंचाई उपयोग, नेविगेशन, मछली पालन आदि जैसे गैर-उपभोग अनुप्रयोगों के लिए पश्चिमी नदियों के पानी का उपयोग करने की अनुमति देती है।
  • भारत पश्चिमी नदियों पर रन ऑफ द रिवर प्रोजेक्ट के रूप में पनबिजली परियोजनाओं का निर्माण भी कर सकता है।
  • संधि के अंतर्गत दोनों देशों ने एक स्थाई सिंधु आयोग का गठन किया है, जो संधि के कार्यान्वयन हेतु नीतियाँ बनाता है, साथ ही, यह आयोग प्रतिवर्ष बैठकें एवं यात्राएँ आयोजित करता है तथा दोनों सरकारों को अपने कार्य की रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।
  • संधि के अनुच्छेद 8 (5) के अंतर्गत स्थायी सिंधु आयोग की बैठक बारी-बारी से एक बार भारत और एक बार पाकिस्तान में आयोजित की जाती है। 
  • इन बैठकों में सरकारों के प्रतिनिधियों के अलावा इंजीनियर और तकनीकी विशेषज्ञ भी शामिल होते हैं। 
  • ये बैठकें काफी अहम होती हैं, इनमें वे बाढ़ के आकड़ें, परियोजना विवरण, जल प्रवाह और वर्षा की स्थिति जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करते हैं।
  • इस संधि में एकतरफा निकासी का प्रावधान नहीं है, और माना जाता है कि यह तब तक लागू रहेगा जब तक कि दोनों देश एक और पारस्परिक रूप से सहमत समझौते की पुष्टि नहीं कर देते।

संधि के तहत विवाद समाधान प्रक्रिया

  • संधि का अनुच्छेद IX मतभेदों और विवादों के निपटारे से संबंधित है।
  • अनुच्छेद IX के अनुसार, किसी भी पक्ष द्वारा उठाई गई आपत्तियों पर निर्णय लेने के लिए तीन संभावित उपाय किए जा सकते हैं -
    • स्थायी सिंधु आयोग के माध्यम से विवादों को सुलझाना।
    • विश्व बैंक द्वारा नियुक्त तटस्थ विशेषज्ञ से परामर्श करना।
    • विश्व बैंक और स्थाई मध्यस्थता न्यायालय के साथ एक अदालती प्रक्रिया के माध्यम से विवादों को सुलझाना।
  • 2015 में, परियोजनाओं के निर्माण पर करीब 10 साल के गतिरोध के बाद, पाकिस्तान ने एक तटस्थ विशेषज्ञ नियुक्त करने के लिए विश्व बैंक से संपर्क किया, लेकिन बाद में पाकिस्तान ने अपना रुख बदल दिया और स्थाई मध्यस्थता न्यायालय में चला गया।
  • स्थाई मध्यस्थता न्यायालय में मामले की पहली सुनवाई 27 जनवरी को अदालत में शुरू हुई और भारत ने अदालती प्रक्रिया का बहिष्कार किया है।
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