(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-1: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन) |
संदर्भ
29 मई, 2025 को पुणे की राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एन.डी.ए.) से 17 महिला कैडेटों के पहले बैच के स्नातक होने के साथ, भारतीय सेना में लैंगिक समानता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया।
भारतीय सेना में महिलाओं की भूमिका
- शुरुआत में महिलाओं को केवल मेडिकल और नर्सिंग कोर में शामिल किया जाता था, लेकिन अब वे सेना, नौसेना, और वायुसेना में विभिन्न गैर-लड़ाकू और लड़ाकू भूमिकाओं में शामिल हो रही हैं।
- एन.डी.ए. के माध्यम से स्थायी कमीशन, शॉर्ट सर्विस कमीशन, और अन्य प्रवेश मार्गों ने महिलाओं के लिए अवसरों को बढ़ाया है।
- वायुसेना में फाइटर पायलट, नौसेना में युद्धपोतों पर तैनाती, और सेना में कर्नल रैंक तक पदोन्नति जैसे कदम इस दिशा में महत्वपूर्ण हैं।
- उदाहरण के लिय , कर्नल सोफ़िया कुरैशी एवं विंग कमांडर व्योमिका सिंह द्वारा ऑपरेशन सिन्दूर संबंधी प्रेस वार्ता से देश में महिलाओं की सैन्य छवि मजबूत हुई है।
- सर्वोच्च न्यायालय के वर्ष 2021 के फैसले के बाद, महिलाओं को एन.डी.ए. और अन्य सैन्य प्रवेश परीक्षाओं में शामिल होने का अवसर मिला है।
महिलाओं का प्रथम बैच
- एन.डी.ए. के 148वें पाठ्यक्रम के दीक्षांत समारोह में 17 महिला कैडेटों ने स्नातक किया, जो भारतीय सशस्त्र बलों के इतिहास में एक मील का पत्थर है।
- कैडेटों को दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जे.एन.यू.) से बी.एस.सी., बी.ए. और बी.टेक. की डिग्री प्रदान की गई।
महिलाओं के सेना में शामिल होने से लाभ
- विविधता और नवाचार: महिलाओं की भागीदारी सेना में विभिन्न दृष्टिकोण लाती है, जो रणनीति और नेतृत्व में सुधार करता है।
- लैंगिक समानता: महिलाओं का समावेश सेना को अधिक समावेशी बनाता है और समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है।
- प्रेरणा: सफल महिला सैनिक अन्य युवा महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनती हैं।
- राष्ट्रीय सुरक्षा: अधिक मानव संसाधनों का उपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करता है।
विभिन्न सिफारिशें
- सर्वोच्च न्यायालय (2021): महिलाओं को एन.डी.ए. में प्रवेश की अनुमति देने का ऐतिहासिक फैसला, जिसने लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया।
- उदय शंकर समिति (2016): सेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन की सिफारिश की, विशेष रूप से गैर-लड़ाकू भूमिकाओं में।
- रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट: समय-समय पर महिलाओं की भर्ती और प्रशिक्षण में सुधार के लिए सुझाव, जैसे- बुनियादी ढांचे में सुधार और लैंगिक संवेदनशीलता प्रशिक्षण।
महिलाओं के समक्ष सैन्य क्षेत्र में चुनौतियां
- लैंगिक रूढ़ियां: सेना में पुरुष-प्रधान संस्कृति और समाज में रूढ़िगत धारणाएं महिलाओं के लिए बाधा उत्पन्न करती हैं।
- शारीरिक और मानसिक दबाव: सैन्य प्रशिक्षण और तैनाती की कठिन परिस्थितियां सभी के लिए चुनौतीपूर्ण हैं, लेकिन महिलाओं को अतिरिक्त सामाजिक दबाव का सामना करना पड़ता है।
- कम प्रतिनिधित्व: उच्च रैंकिंग पदों पर महिलाओं की संख्या अभी भी सीमित है, जो उनके करियर विकास को प्रभावित करती है।
- कार्य-जीवन संतुलन: सैन्य जीवन की मांगें और पारिवारिक जिम्मेदारियां महिलाओं के लिए विशेष चुनौती पेश करती हैं।
आगे की राह
- नीतिगत सुधार: महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन और उच्च रैंकिंग पदों पर समान अवसर सुनिश्चित किए जाएं।
- संरचनात्मक सुधार: सैन्य सुविधाओं में लैंगिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देना, जैसे अलगावास और मातृत्व अवकाश नीतियां।
- जागरूकता और प्रशिक्षण: समाज और सेना में लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ने के लिए जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएं।
- प्रोत्साहन: अधिक महिलाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु प्रचार और छात्रवृत्ति योजनाएं लागू की जाएं।
निष्कर्ष
एन.डी.ए. से पहली महिला कैडेट बैच की स्नातक उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि महिलाएं सैन्य क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं। हालांकि, चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं, जिन्हें नीतिगत सुधारों, सामाजिक जागरूकता, और संरचनात्मक बदलावों के माध्यम से हल किया जा सकता है।