चर्चा में क्यों ?
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने आज नई दिल्ली में दक्षिण एशिया की पांडुलिपि परंपराओं और गणितीय योगदान पर SAMHiTA सम्मेलन का उद्घाटन किया।

विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का वक्तव्य
- जैसे-जैसे भारत का वैश्विक जुड़ाव तेज हो रहा है, वैसे-वैसे आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और भी मजबूत होती जा रही है।
- इस प्रक्रिया में बौद्धिक नेतृत्व की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- भारत की समृद्ध ज्ञान-संपदा, विशेषकर पांडुलिपियों और गणितीय परंपरा से, वैश्विक स्तर पर एक अद्वितीय योगदान प्रस्तुत करता है।
SAMHiTA पहल क्या है ?
- पूरा नाम: South Asian Manuscript Histories and Textual Archive (SAMHiTA)
- उद्देश्य:
- भारत एवं दक्षिण एशिया की पांडुलिपि परंपराओं को संरक्षित और प्रचारित करना।
- विभिन्न देशों के पुस्तकालयों, अभिलेखागारों और संस्थानों में सुरक्षित भारतीय व दक्षिण एशियाई पांडुलिपियों का डेटाबेस तैयार करना।
- इन पांडुलिपियों का एक डिजिटल संग्रह बनाना ताकि शोधार्थी और विद्वान आसानी से इन तक पहुँच सकें।
- विशेषता:
- यह पहल संस्थागत भागीदारों के सहयोग से आगे बढ़ाई जा रही है।
- विदेशों में सुरक्षित पांडुलिपियों को भी इस डेटाबेस से जोड़ा जाएगा।
महत्व:
- ज्ञान संरक्षण: हजारों वर्षों की सांस्कृतिक व वैज्ञानिक परंपराएँ संरक्षित होंगी
- शोध को बढ़ावा: इतिहास, संस्कृति, गणित, दर्शन व अन्य विषयों पर शोध के लिए प्रामाणिक स्रोत उपलब्ध होंगे
- वैश्विक पहचान: भारतीय और दक्षिण एशियाई बौद्धिक विरासत को दुनिया के सामने लाने का अवसर
- डिजिटल भारत की दिशा में कदम: सांस्कृतिक धरोहर का डिजिटलीकरण
प्रश्न. हाल ही में आयोजित SAMHiTA सम्मेलन का उद्देश्य क्या है ?
(a) केवल भारतीय गणितज्ञों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करना
(b) भारत और दक्षिण एशिया की पांडुलिपियों का संरक्षण और डिजिटल संग्रह बनाना
(c) विदेशी पुस्तकालयों के डेटा का विश्लेषण करना
(d) केवल भारतीय विश्वविद्यालयों में शोध को बढ़ावा देना
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