(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय) |
संदर्भ
असम मंत्रिमंडल ने छह प्रमुख समुदायों को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की सिफारिश वाली मंत्रियों के समूह (GoM) की रिपोर्ट को मंज़ूरी दे दी है। यह निर्णय आगामी 2026 विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ा राजनीतिक एवं सामाजिक कदम माना जा रहा है।
पृष्ठभूमि
- असम में कई समुदाय विगत कई वर्षों से ST दर्जे की मांग कर रहे थे।
- ST दर्जा मिलने से इन समुदायों को शिक्षा, रोजगार, राजनीतिक प्रतिनिधित्व और सामाजिक सुरक्षा में आरक्षण सहित कई लाभ मिलते हैं।
- GoM की स्थापना इन समुदायों की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए की गई थी।
- यदि केंद्र सरकार इस सिफारिश को मंज़ूरी देती है तो असम ST बहुल (Tribal State) के रूप में वर्गीकृत हो जाएगा।
GoM रिपोर्ट की मुख्य बातें
असम मंत्रिमंडल की बैठक में जिस रिपोर्ट को मंज़ूरी दी गई, उसमें निम्न छह समुदायों को ST दर्जा देने की सिफारिश की गई:
- ताई-अहोम (Tai Ahom)
- चुटिया (Chutia)
- मोरन (Moran)
- मोतोक (Motok)
- कोच-राजबंशी (Koch-Rajbongshi)
- चाय बागान समुदाय/आदिवासी (Tea Tribes/Adivasis)
GoM का नेतृत्व शिक्षा मंत्री डॉ. रानोज पेगू कर रहे थे। रिपोर्ट को पहले असम विधान सभा में रखा जाएगा, उसके बाद इसे केंद्रीय गृह मंत्रालय भेजा जाएगा।
ST दर्जा मिलने से संभावित लाभ
- शैक्षणिक आरक्षण
- सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व
- जनजातीय कल्याण योजनाओं का लाभ
- राजनीतिक सशक्तिकरण
- सामाजिक पहचान और सांस्कृतिक सुरक्षा को मजबूती
मणिपुर पर प्रभाव
- असम के इस निर्णय ने मणिपुर में भी नई चर्चा को जन्म दिया है।
- वर्ष 2013 में केंद्र सरकार ने मणिपुर सरकार से मैतेई समुदाय की जातीय और सामाजिक-आर्थिक रिपोर्ट भेजने के लिए कहा था, ताकि ST दर्जे की पात्रता का मूल्यांकन किया जा सके।
- किंतु मणिपुर सरकार ने इस पर कार्रवाई नहीं की, जिसके चलते अनुसूचित जनजाति मांग समिति, मणिपुर (STDCM) ने बड़े स्तर पर आंदोलन किया।
चुनौतियाँ
- ST सूची में नए समुदायों को जोड़ने से मौजूदा जनजातीय समूहों में असंतोष पैदा हो सकता है।
- असम के कुल आरक्षण ढांचे में बदलाव की आवश्यकता होगी।
- केंद्र सरकार को संविधान संशोधन सहित विस्तृत मूल्यांकन करना होगा।
- कानूनी, सामाजिक और राजनीतिक संतुलन बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होगा।
आगे की राह
- व्यापक सामाजिक-आर्थिक अध्ययन पर आधारित निर्णय आवश्यक है।
- सभी समुदायों के हितों को संतुलित कर समावेशी आरक्षण नीति बनाना होगी।
- केंद्र व राज्य सरकारों में बेहतर समन्वय ज़रूरी है।
- पूर्वोत्तर में बढ़ते सामाजिक तनाव को देखते हुए विस्तृत राजनीतिक संवाद आवश्यक है।
- मणिपुर जैसे राज्यों में भी लंबित रिपोर्टों पर कार्रवाई तेज की जानी चाहिए।
निष्कर्ष
असम सरकार द्वारा छह समुदायों को ST दर्जा देने की सिफारिश पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक ढांचे में बड़ा बदलाव ला सकती है। यह कदम जहाँ एक ओर इन समुदायों के ऐतिहासिक संघर्ष को मान्यता देता है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक और सामाजिक समतुल्यता की नई चुनौतियाँ भी उत्पन्न करता है। यह निर्णय न केवल असम बल्कि मणिपुर और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में भी व्यापक प्रभाव डाल सकता है।