हाल ही में, चीन के कोस्ट गार्ड जहाज़ों ने जापान-प्रशासित सेनकाकू द्वीप के जल क्षेत्र में गश्त किया, जिससे यह क्षेत्र एशिया-प्रशांत में एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक हॉटस्पॉट बन गया है।
सेनकाकू द्वीपों के बारे में
- यह पूर्वी चीन सागर में स्थित छोटे व निर्जन द्वीपों का समूह है। वर्तमान में द्वीपों का प्रशासनिक नियंत्रण जापान के पास है।
- जापान इन्हें सेनकाकू द्वीप कहता है जबकि चीन इन्हें दिओयु द्वीप नाम देता है। इनका कुल क्षेत्रफल बहुत कम है किंतु इनका समुद्री क्षेत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- इनके पास प्रचुर मछली संसाधन, संभावित तेल व गैस भंडार तथा महत्वपूर्ण समुद्री मार्ग हैं। ताइवान भी इन द्वीपों पर दावा करता है।

सामरिक महत्त्व
- भू-राजनीतिक : यह क्षेत्र चीन-जापान तनाव का प्रमुख कारण है जो पूरे पूर्वी एशिया की सुरक्षा व्यवस्था को प्रभावित करता है।
- द्वीपों पर नियंत्रण का अर्थ पूर्वी चीन सागर में प्रभुत्व है जो अमेरिका, जापान एवं चीन की हिंद-प्रशांत रणनीतियों के लिए अत्यंत संवेदनशील बिंदु है।
- ऊर्जा सुरक्षा : इन द्वीपों के आसपास तेल एवं प्राकृतिक गैस के संभावित भंडार पाए जाने की संभावना है। यह संसाधन चीन व जापान दोनों के लिए ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
- मछली संसाधन : इस क्षेत्र में मछली पकड़ने के समृद्ध क्षेत्र मौजूद हैं। स्थानीय समुद्री अर्थव्यवस्था एवं खाद्य सुरक्षा के लिए इन संसाधनों तक पहुँच का महत्त्व बहुत है।
- सामरिक समुद्री मार्ग : सेनकाकू द्वीप महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्गों के पास हैं। इन मार्गों की सुरक्षा जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान व चीन सभी के लिए महत्वपूर्ण है।
- सैन्य महत्त्व : द्वीपों के आसपास की समुद्री व वायु सीमाएँ अत्यंत महत्वपूर्ण सैन्य क्षेत्र का निर्माण करती हैं। चीन प्राय: यहाँ अपने जहाज़ और सैन्य विमान भेजकर A2/AD (Anti-Access/Area-Denial) रणनीति को मजबूत करता है।