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शंघाई सहयोग संगठन शासनाध्यक्ष परिषद बैठक

प्रारंभिक परीक्षा 

(समसामयिक घटनाक्रम)

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ 

16 अक्तूबर, 2024 को पाकिस्तान के इस्लामाबाद में शंघाई सहयोग संगठन के शासनाध्यक्ष परिषद की बैठक (SCO CHG) में भारत, पाकिस्तान, चीन, रूस सहित अन्य सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 

शंघाई सहयोग संगठन के बारे में

  • क्या है : एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन 
  • स्थापना : 15 जून, 2001 को शंघाई (चीन) में 
  • मुख्यालय : बीजिंग (चीन)
  • उद्देश्य : यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा एवं रक्षा संगठन को मजबूत बनाना
  • संस्थापक सदस्य : कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान एवं उज्बेकिस्तान
  • पूर्ववर्ती तंत्र : शंघाई फाइव
    • गठन वर्ष 1996 में चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस एवं ताजिकिस्तान द्वारा।
  • आधिकारिक भाषाएँ : रूसी एवं चीनी (मंडारिन)।
    • SCO चार्टर : वर्ष 2002 में सेंट पीटर्सबर्ग में हस्ताक्षर और 19 सितंबर, 2003 को लागू।
    • यह चार्टर संगठन के लक्ष्यों, सिद्धांतों, गतिविधियों एवं संरचना के प्रमुख क्षेत्रों को निर्धारित करता है।
  • SCO के प्रमुख तंत्र 
    • CHS : यह SCO का सर्वोच्च निर्णयकारी निकाय ‘राष्ट्राध्यक्षों की परिषद’ (CHS) है। 
      • इसकी बैठक वर्ष में एक बार होती है जो संगठन के सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लेता है।
      • इसकी नवीनतम 24वीं बैठक 29 जून से 2 जुलाई, 2024 तक कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में आयोजित की गई थी।  
    • CHG : ‘शासनाध्यक्षों (सरकार प्रमुखों) की परिषद’ (CHG) की बैठक वर्ष में एक बार आयोजित होती है, जिसमें इस संगठन के भीतर बहुपक्षीय सहयोग एवं प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की रणनीति पर चर्चा की जाती है। साथ ही, आर्थिक एवं अन्य क्षेत्रों में मौलिक व सामयिक मुद्दों का निर्धारण किया जाता है और SCO के बजट को मंजूरी प्रदान की जाती है।

  • SCO में शामिल देश
    • 10 सदस्य राज्य : भारत, ईरान, कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूसी संघ, ताजिकिस्तान, उजबेकिस्तान एवं बेलारूस।
      • भारत एवं पाकिस्तान जून 2017 में, ईरान जुलाई 2023 में और बेलारूस जुलाई 2024 में शामिल हुए।
    • 2 पर्यवेक्षक देश : अफगानिस्तान व मंगोलिया
    • 14 संवाद साझेदार : अज़रबैजान, आर्मेनिया, बहरीन, मिस्र, कंबोडिया, कतर, कुवैत, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, तुर्की एवं श्रीलंका।

SCO का वैश्विक प्रभाव 

  • इस समूह में दुनिया के लगभग 24% स्थलीय क्षेत्र (यूरेशिया का 65%) और दुनिया की 42% आबादी शामिल है। 
  • वर्ष 2024 तक SCO देशों का संयुक्त सांकेतिक जी.डी.पी. लगभग 23% है जबकि पी.पी.पी. पर आधारित इसकी जी.डी.पी. दुनिया की कुल जी.डी.पी. का लगभग 36% है।
  • SCO में क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना (RATS) भी शामिल है।

SCO के प्रमुख लक्ष्य

  • सदस्य राज्यों के बीच आपसी विश्वास, मैत्री एवं अच्छे पड़ोसी की भावना को मजबूत करना
  • राजनीति, व्यापार, अर्थव्यवस्था, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, संस्कृति, शिक्षा, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण आदि क्षेत्रों में सदस्य राज्यों के बीच प्रभावी सहयोग को प्रोत्साहित करना
  • क्षेत्र में शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता को संयुक्त रूप से सुनिश्चित करना तथा बनाए रखना
  • एक नई लोकतांत्रिक, निष्पक्ष एवं तर्कसंगत अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक व आर्थिक अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देना।

SCO के प्रमुख सिद्धांत 

  • आंतरिक रूप से SCO ‘शंघाई भावना’ का पालन करता है। 
    • शंघाई भावना : पारस्परिक विश्वास, पारस्परिक लाभ, समानता, परामर्श, सभ्यताओं की विविधता के लिए सम्मान एवं साझा विकास की खोज। 
  • बाह्य रूप से यह गुटनिरपेक्षता, अन्य देशों या क्षेत्रों में अहस्तक्षेप तथा खुलेपन के सिद्धांत का पालन करता है।

SCO शासनाध्यक्ष परिषद (SCO CHG), 2024 के बारे में

  • इस्लामाबाद में यह बैठक SCO के शासनाध्यक्ष परिषद (CHG) की 23वीं बैठक है। इसका आयोजन 15 से 16 अक्तूबर, 2024 के मध्य किया गया।
    • इसकी प्रथम बैठक वर्ष 2001 में अल्माटी (कजाकिस्तान) में संपन्न हुई थी। 
  • इस सम्मेलन में मुख्यत: चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग, रूस के प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तीन और ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, बेलारूस, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान व ईरान के नेता शामिल हुए। भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बैठक में हिस्सा लिया।
    • मंगोलिया ने पर्यवेक्षक के रूप में भाग लिया।

सम्मेलन के प्रमुख परिणाम 

  • इस बैठक के बाद जारी संयुक्त विज्ञप्ति में SCO सदस्य देशों ने शांतिपूर्ण, सुरक्षित, समृद्ध एवं पारिस्थितिक रूप से स्वच्छ पृथ्वी के निर्माण के लिए सुरक्षा, व्यापार, अर्थव्यवस्था, निवेश और सांस्कृतिक व मानवीय संबंधों सहित विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग को अधिक विकसित करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।
  • इस शिखर सम्मेलन के दौरान 8 महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिनमें SCO के बजट, इसके सचिवालय के संचालन और क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी प्रयासों जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
    • ये समझौते सुरक्षा, व्यापार एवं आर्थिक विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग के लिए संगठन की प्रतिबद्धता को उजागर करते हैं
  • इसके अतिरिक्त नेताओं ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं सूचना सुरक्षा में सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
  • शिखर सम्मेलन के प्रतिभागियों ने वैश्विक शांति एवं विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्तावों का भी समर्थन किया।

भारतीय विदेश मंत्री की पाकिस्तान यात्रा 

  • भारत का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने किया जो लगभग 9 वर्षों में पहली बार किसी भारतीय विदेश मंत्री का पाकिस्तान दौरा है। भारतीय विदेश मंत्री ने SCO सम्मेलन को संबोधित किया।
  • वर्ष 2015 के बाद से भारत एवं पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच पहली सीधी बातचीत में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तानी उप-प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री मुहम्मद इशाक डार ने 24 घंटे से भी कम समय में दो बार बात की।
  • इससे पूर्व पाकिस्तान का दौरा करने वाली भारतीय विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज थीं। 
    • वे 8-9 दिसंबर, 2015 को अफगानिस्तान के संबंध में आयोजित ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद गई थीं। उस समय भारत के विदेश सचिव रहे एस. जयशंकर सुषमा स्वराज के प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। 
  • पिछले वर्ष बिलावल भुट्टो जरदारी SCO विदेश मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने के लिए गोवा आए थे। वे वर्ष 2011 के बाद भारत का दौरा करने वाले पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्री थे।

विदेश मंत्री के संबोधन के प्रमुख बिंदु

  • SCO को ‘तीन बुराइयों’ आतंकवाद, अलगाववाद एवं उग्रवाद का मुकाबला करने में दृढ़ व अडिग रहने की आवश्यकता है। इनसे निपटने का SCO का प्राथमिक लक्ष्य वर्तमान समय में अधिक महत्वपूर्ण है।
  • इसके लिए ईमानदारीपूर्ण संवाद, विश्वास, अच्छे पड़ोसी होने और SCO चार्टर के प्रति प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।
  • आपसी सहयोग ‘सम्मान एवं संप्रभु समानता’ और वास्तविक साझेदारी पर आधारित होना चाहिए तथा क्षेत्रीय अखंडता व संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए।
  • यदि हम केवल वैश्विक प्रथाओं, विशेषकर व्यापार व पारगमन का ही चुनाव करते हैं तो SCO प्रगति नहीं कर सकता है। ऋण एक गंभीर चिंता का विषय है और विश्व, सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करने में पीछे रह गया है।
  • विभिन्न प्रकार के व्यवधान, जैसे- चरम जलवायु घटनाएं, आपूर्ति श्रृंखला अनिश्चितताएं, वित्तीय अस्थिरता, वृद्धि एवं विकास को प्रभावित कर रहे हैं।

भारतीय परिप्रेक्ष्य से इस सम्मेलन के प्रमुख निष्कर्ष

  • ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के विचार पर संवाद विकसित किया गया। 
  • SCO स्टार्टअप फोरम, कार्यात्मक समूह, इनोवेशन एवं पारंपरिक चिकित्सा जैसी पहलों के परिणामों का SCO सदस्यों द्वारा स्वागत किया गया।
  • डिजिटल सार्वजानिक अवसंरचना एवं डिजिटल समावेशन SCO सहयोग ढांचे का हिस्सा बन रहे हैं। 
  • SCO संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मिशन लाइफ से प्रेरणा ले रहा है।
  • जलवायु-अनुकूल एवं पौष्टिक अनाज (जैसे- बाजरा) के उपयोग को बढ़ावा देकर वैश्विक खाद्य सुरक्षा व पोषण को बढ़ाना।
  • अंतर्राष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और SCO चार्टर के लक्ष्यों एवं सिद्धांतों के अनुसार निष्पक्ष व संतुलित कनेक्टिविटी परियोजनाओं को बनाए रखना।
  • डब्ल्यू.टी.ओ. को केंद्र में रखते हुए नियम-आधारित, गैर-भेदभावपूर्ण, खुले, निष्पक्ष, समावेशी व पारदर्शी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली पर पुन: जोर देना।
  • संरक्षणवादी कार्रवाइयों, एकतरफा प्रतिबंधों व व्यापार प्रतिबंधों का विरोध करना जो बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को कमजोर करते हैं और वैश्विक सतत विकास को बाधित करते हैं।

निष्कर्ष

भारतीय विदेश मंत्री की हालिया यात्रा भारत-पाकिस्तान के सुस्त संबंधों के मध्य शुरूआती बर्फ पिघलाने का कार्य कर सकती है, हालांकि अभी दोनों देशों के संबंधों के भविष्य के बारे में अनिश्चितता बनी हुई है। अनिश्चितता के बावजूद भारत के साथ कूटनीतिक रूप से जुड़कर पाकिस्तान इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित कर सकता है। SCO जैसे बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने से द्विपक्षीय तनाव त्वरित हल नहीं हो सकते हैं किंतु यह भविष्य में अधिक निरंतर संवाद का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

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