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शांगरी-ला डायलॉग

संदर्भ

31 मई से 2 जून तक सिंगापुर में 21वें शांगरी-ला डायलॉग 2024 (Shangri-La Dialogue- 2024) का आयोजन किया गया। 

SANGRILA

क्या है शांगरी-ला डायलॉग

  • यह एशिया की बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों पर सहयोग के आयोजित किया जाने वाला एक प्रमुख रक्षा और सुरक्षा शिखर सम्मेलन है। 
    • विगत एक दशक में शांगरी-ला डायलॉग अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा नीति निर्णयकर्ताओं के बीच विचारों के आदान-प्रदान के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्वतंत्र मंचों में से एक बन गया है।
  • आयोजनकर्ता : इसका आयोजन एक स्वतंत्र थिंक-थैंक, इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS), सिंगापुर द्वारा किया जाता है।
  • भागीदार देश : इसमें 28 एशिया-प्रशांत देशों के रक्षा मंत्री, मंत्रालयों के स्थायी प्रमुख और सैन्य प्रमुख भाग लेते हैं।
    • मेज़बान देश सिंगापुर के अलावा, इस वार्ता में भाग लेने वाले प्रमुख देश हैं : ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, रूस यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
  • इस शिखर सम्मेलन का नाम सिंगापुर के शांगरी-ला होटल के नाम पर रखा गया है, जहाँ यह 2002 से आयोजित किया जा रहा है।

शांगरी-ला वार्ता 2024 : प्रमुख बिंदु  

  • एशिया-प्रशांत क्षेत्र में प्रतिरोध और शांति का आश्वासन : एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनके लिए प्रतिरोध और शांति के आश्वासन के बीच सावधानीपूर्वक संतुलन बनाए रखना ज़रूरी है जिससे आक्रामकता को हतोत्साहित किया जा सके।
  • सहयोग और छोटे देशों की सुरक्षा चिंताएं : छोटे देशों के लिए जनसंख्या का आकार और संसाधन जैसे सीमाएं इसकी सुरक्षा संबंधी चिंताओं को विशेष रूप से गंभीर बनाती हैं। एशिया और दुनिया के अन्य हिस्सों में इन चुनौतियों से निपटने के लिए विभिन्न रणनीतियों की आवश्यकता होगी।
  • म्यांमार : शांति के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों के बीच कूटनीतिक अवसर : म्यांमार में शांति स्थापित करने के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत किए हैं, जो संघर्ष में शामिल पक्षों के आकलन को भी दर्शातें है।
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त राज्य अमेरिका की रणनीतिक साझेदारियां : 2022 में अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीति शुरू करने के बाद से, अमेरिका ने चीन-अमेरिका के बीच जारी रणनीतिक प्रतिस्पर्धा, इंडो-पैसिफिक में तनाव, यूक्रेन-रूस युद्ध और इजरायल-गाजा संघर्ष की पृष्ठभूमि में पूरे क्षेत्र में अपनी रणनीतिक साझेदारी का विस्तार किया।
  • प्रतिस्पर्धा के बीच संकट प्रबंधन को बढ़ाना : यद्यपि अमेरिका और चीन ने हाल के वर्षों में बढ़े तनाव के बाद अपने द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने का प्रयास किया है, फिर भी क्षेत्र में महाशक्तियों के बीच जारी प्रतिस्पर्धा और संभावित क्षेत्रीय टकराव के बारे में चिंताएं बनी हुई हैं।
  • हिंद महासागर और प्रशांत सुरक्षा को जोड़ना : हिंद और प्रशांत महासागरों में जलवायु परिवर्तन से लेकर अवैध मछली पकड़ने, समुद्री संचार लाइनों के साथ ऊर्जा और आपूर्ति श्रृंखला की कमजोरियों और बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों तक कई समान और साझा सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। 
    • इन दोनों ही क्षेत्रों में आसियान, हिंद महासागर रिम एशोसिएशन और पेसिफिक आइलैंड्स फोरम जैसे अलग-अलग बहुपक्षीय संगठन हैं लेकिन उनकी पहुँच सीमित है, ऐसे में क्वाड जैसे मिनीलेटरल और उनकी छोटी सदस्यता अंतर-क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा दे सकती है।
  • वैश्विक शांति और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए समाधानों की पुनःकल्पना : क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य में नई चुनौतियाँ उभर रही है जिनमें यूरोप और मध्य पूर्व में चल रहा संघर्ष एक प्रमुख चिंता का विषय है।
    • उभरती और विघटनकारी प्रौद्योगिकियाँ सेनाओं के संचालन के तरीके को बदल रही हैं और विकास की गतिशीलता को बदल रही हैं।
    • प्राकृतिक आपदाएँ और जलवायु परिवर्तन राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मानवीय प्रतिक्रिया बुनियादी ढाँचे को अधिक चुनौतीपूर्ण बना रहा है।

निष्कर्ष 

शांगरी-ला वार्ता ने इसमें भाग लेने वाले देशों के बीच रक्षा कूटनीति को बढ़ाने में योगदान दिया है साथ ही एशिया प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा स्थापित करने के विभिन्न दृष्टिकोणों के बीच समायोजन का प्रयास किया है इसके साथ ही कुछ समाधानों जैसे वैश्विक मानवीय कार्यों का समन्वय, समुद्री कानून प्रवर्तन एवं विश्वास का निर्माण आदि पर बल दिया है।

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