(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामाजिक विकास) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 व 2: सामाजिक सशक्तीकरण, स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय) |
संदर्भ
23 सितंबर को प्रत्येक वर्ष सांकेतिक भाषा दिवस (Sign Language Day) मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर में बधिर (Deaf) लोगों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सांकेतिक भाषा के महत्व को रेखांकित करने के लिए मनाया जाता है।
सांकेतिक भाषा के बारे में
सांकेतिक भाषा एक दृश्य-हाव-भाव आधारित भाषा है जिसमें हाथों के संकेत, चेहरे के भाव एवं शारीरिक हावभाव का प्रयोग कर संवाद किया जाता है। यह बधिर व्यक्तियों के लिए संचार का प्रमुख माध्यम है।
उत्पत्ति एवं विशेषताएँ
- सांकेतिक भाषा की शुरुआत विभिन्न देशों में स्थानीय स्तर पर हुई और हर क्षेत्र में इसके अपने अलग-अलग रूप विकसित हुए।
- यह ध्वनि पर आधारित न होकर दृश्य संकेतों पर आधारित होती है।
- इसमें व्याकरण एवं वाक्य संरचना होती है जो इसे एक पूर्ण भाषा बनाती है।
- भारतीय सांकेतिक भाषा (ISL) का अपना अलग शब्दकोश एवं व्याकरण है।
भारत एवं विश्व में बधिर जनसंख्या
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया में लगभग 43 करोड़ लोग किसी न किसी स्तर की श्रवण अक्षमता से प्रभावित हैं।
- भारत में अनुमानतः 1.8 करोड़ लोग बधिर या श्रवण बाधित हैं।
- इनमें से अधिकांश के पास औपचारिक शिक्षा, कौशल प्रशिक्षण एवं रोजगार के अवसर सीमित हैं।
सांकेतिक भाषा दिवस 2025 के बारे में
- तिथि: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बधिर लोगों के मानवाधिकारों को साकार करने में सांकेतिक भाषा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 23 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के रूप में घोषित किया है।
- भारत में आयोजन: भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (ISLRTC) द्वारा
- थीम : सांकेतिक भाषा के अधिकार के बिना कोई मानवाधिकार नहीं (No Human Rights Without Sign Language Rights)
उद्देश्य
- सांकेतिक भाषा के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना
- बधिर लोगों को शिक्षा, रोजगार एवं सामाजिक जीवन में समान अवसर उपलब्ध कराना
- एक समावेशी समाज की ओर कदम बढ़ाना
भारत में प्रयास
भारत में वर्ष 2015 में ISLRTC की स्थापना हुई ताकि भारतीय सांकेतिक भाषा के शोध, प्रशिक्षण एवं प्रसार को बढ़ावा दिया जा सके। शिक्षा मंत्रालय और सामाजिक न्याय मंत्रालय मिलकर सांकेतिक भाषा को मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रहे हैं।
प्रमुख पहलें
- ISLRTC द्विवार्षिक न्यूज़लेटर : शोध एवं समुदाय की उपलब्धियों को साझा करने का मंच
- PGDISLI एवं PGDTISL कोर्स : शिक्षक व दुभाषिए तैयार करने के लिए स्नातकोत्तर डिप्लोमा
- ऑनलाइन ISL प्रशिक्षण कार्यक्रम : पूरे देश में सुलभ, शहरी-ग्रामीण अंतर को कम करने हेतु
- 100 STEM शब्दावली का विकास : विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा में सुविधा
- 3,189 ISL ई-कंटेंट वीडियो : सबसे बड़ा डिजिटल रिपॉजिटरी
- 18 पुस्तकों का ISL संस्करण : बच्चों एवं युवाओं के लिए साहित्य सुलभ करना
- Project Inclusion App में ISL एकीकरण : समावेशी शिक्षा को प्रोत्साहन
भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (ISLRTC)
- वित्त मंत्री ने 2010-11 के केंद्रीय बजट भाषण में भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (ISLRTC) की स्थापना की घोषणा की थी।
- वर्ष 2011 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू), दिल्ली के एक स्वायत्त केंद्र के रूप में आई.एस.एल.आर.टी.सी. की स्थापना को मंजूरी दी थी। बाद में यह केंद्र बंद कर दिया गया।
- वर्ष 2015 में इस केंद्र को दिल्ली स्थित अली यावर जंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र के साथ एकीकृत करने का निर्णय लिया। हालाँकि, बधिर समुदाय ने इस निर्णय का विरोध किया।
- अंततः सितंबर 2015 में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (MSJE) के अंतर्गत एक संस्था के रूप में नई दिल्ली में आई.एस.एल.आर.टी.सी. की स्थापना को मंज़ूरी दी गयी।
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