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मधुमेह के उपचार के लिए स्मार्ट इंसुलिन

चर्चा में क्यों ?

  • वैज्ञानिकों ने मधुमेह के उपचार के लिए एक स्मार्ट इंसुलिन विकसित करने में सफलता प्राप्त की है
  • इसका नाम ‘NNC2215’ है। 
  • यह व्यक्ति के रक्त शर्करा के स्तर में उतार-चढ़ाव के अनुसार वास्तविक समय में प्रतिक्रिया करता है।

स्मार्ट इंसुलिन ‘NNC2215’ 

  • इसका विकास ब्रिटोल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने डेनमार्क, यू.के. और चेक गणराज्य की कंपनियों के साथ मिलकर किया है। 
  • इस स्मार्ट इंसुलिन में एक ऑन-ऑफ स्विच है 
    • यह स्विच इसे रक्त शर्करा के स्तर में परिवर्तनों के लिए वास्तविक समय में प्रतिक्रिया करने में सक्षम बनाता है।
  • यह एक रिंग के आकार की संरचना और एक ग्लूकोसाइड अणु है जो आकार में ग्लूकोज जैसा दिखता है।
  • जब रक्त शर्करा का स्तर कम होता है, तो ग्लूकोसाइड रिंग की संरचना से बंध जाता है
    • इससे इंसुलिन निष्क्रिय अवस्था में रहता है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर और कम होने से रोका जा सकता है।
  • लेकिन, जैसे-जैसे रक्त शर्करा बढ़ता है, ग्लूकोसाइड की जगह ग्लूकोज ले लेता है
    • इससे इंसुलिन अपना आकार बदलने लगता है और सक्रिय हो जाता है, जिससे रक्त शर्करा के स्तर को सुरक्षित सीमा तक लाने में मदद मिलती है।

मधुमेह

  • इस बीमारी में रक्त में ब्लड ग्लूकोज (रक्त शर्करा) की मात्रा आवश्यकता से बहुत अधिक हो जाती है।
  • यह 2 प्रकार की होती है -
    1. टाइप 1 मधुमेह
    2. टाइप 2 मधुमेह

टाइप 1 मधुमेह

  • टाइप 1 मधुमेह को ‘चाइल्डहुड डायबिटीज़’ भी कहते हैं।
  • यह एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया के कारण होता है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली, इंसुलिन हार्मोन का स्राव करने वाली अग्न्याशय की बीटा कोशिकाओं को नष्ट कर देती है।  
    • इसके लिये आनुवंशिक कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। 
  • इंसुलिन हार्मोन रक्त में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने के लिये जिम्मेदार होता है। 
  • टाइप 1 मधुमेह से मुख्यत: बच्चे और किशोर प्रभावित होते हैं। 

टाइप 2 मधुमेह

  • यह मधुमेह का सबसे आम प्रकार है। 
  • इसमें शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं करती हैं। 
  • इसमें अग्न्याशय से इंसुलिन का निर्माण तो होता है परंतु इसकी मात्रा कम होती है 
  • यह हमारे रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य श्रेणी में रखने के लिए पर्याप्त नहीं होता है। 
  • टाइप 2 मधुमेह किसी भी उम्र में विकसित हो सकता  है

भारत में  मधुमेह

  • भारत की मेटाबोलिक गैर-संचारी रोग स्वास्थ्य रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 11% आबादी मधुमेह से पीड़ित है जबकि 15.3% आबादी पूर्व मधुमेह (Pre-Diabetes) से प्रभावित है। 
  • शहरी भारत में 16.4% जबकि ग्रामीण आबादी में 8.9% जनसंख्या मधुमेह से पीड़ित है।
  • शहरी आबादी का लगभग 15.4% और ग्रामीण भारत का 15.2% प्री-डायबिटिक चरण में हैं।
  • उत्तर प्रदेश में मधुमेह का प्रसार सबसे कम 4%, जबकि गोवा में सबसे अधिक 26.4% है  
  • WHO के अनुसार भारत में 18 वर्ष से अधिक आयु के 77 मिलियन लोग मधुमेह (टाइप 2) से पीड़ित हैं और लगभग 25 मिलियन प्रीडायबिटिक हैं

प्रश्न  - टाइप 1 मधुमेह के सन्दर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है ?

(a) इसे चाइल्डहुड डायबिटीज़ भी कहा जाता है।

(b) यह एक ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया के कारण होता है

(c) इसमें शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं करती हैं।

(d) इससे मुख्य रूप से बच्चे और किशोर प्रभावित होते हैं।

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