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हिम तेंदुआ 

(प्रारंभिक परीक्षा के लिए – हिम तेंदुआ और उससे संबंधित संरक्षण के प्रयास)
(मुख्य परीक्षा के लिए, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 3 – पर्यावरण संरक्षण)

चर्चा में क्यों

  • अरुणाचल प्रदेश में नामदफा राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व में लुप्तप्राय हिम तेंदुआ की उपस्थिति का पता लगाने के लिए एक सर्वेक्षण किया जा रहा है।

हिम तेंदुआ

  • हिम तेंदुआ का वैज्ञानिक नाम ‘पैंथेरा अनकिया’ (Panthera Uncia) है।
  • यह मध्य एशिया और दक्षिणी एशिया के 12 देशों - भारत, नेपाल, भूटान, चीन, मंगोलिया, रूस, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में पाया जाता है।
  • भारत में यह लद्दाख, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में पाया जाता है।
  • भारत में हिम तेंदुआ की जनसँख्या लगभग 400 से 700 के बीच में है।
  • इन्हें 'पहाड़ों के भूत' के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इनके संकोची स्वाभाव तथा इनके रंग के कारण इन्हें देखना मुश्किल हो जाता है।
  • इनकी खाल पर बहुत लंबे और मोटे सफेद तथा भूरे रंग के फर होते हैं।
  • उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सड़क समेत अन्य निर्माण कार्य इनके आवास को प्रभावित कर रहे है।
  • हिम तेंदुआ के शिकार (भरल, कस्तूरी मृग, हिमालयन थार) की कमी, हिमालयी क्षेत्रों में रह रहे लोगों के साथ बढ़ता संघर्ष इनकी आबादी को प्रभावित कर रहा है।
  • हिम तेंदुओं के शिकार के कारण भी इनकी संख्या में कमी आ रही है।
  • प्रति वर्ष 23 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस (International Snow Leopard Day) मनाया जाता है।

संरक्षण स्थिति -

  • IUCN की विश्व संरक्षण प्रजातियों की रेड लिस्ट में सुभेद्य के रूप में  सूचीबद्ध।
  • लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) के परिशिष्ट-I में सूचीबद्ध।
  • प्रवासी प्रजातियों पर सम्मेलन (CMS) के परिशिष्ट I में सूचीबद्ध।
  • भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची-I में सूचीबद्ध।

हिम तेंदुआ के संरक्षण के लिए भारतीय प्रयास

  • भारत का पहला हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में खोला जायेगा।
  • भारत सरकार प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड (पीएसएल) के माध्यम से हिम तेंदुआ और उसके निवास स्थान का संरक्षण कर रही है। 
    • पीएसएल को 2009 में लॉन्च किया गया था।
  • भारत द्वारा हिम तेंदुओं की रक्षा और संरक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में प्रमुख पहल करते हुए भारत में हिम तेंदुआ की संख्या का आकलन करने के लिए 2019 में प्रथम राष्ट्रीय प्रोटोकॉल की शुरुआत की गयी। 
  • भारत वैश्विक हिम तेंदुआ एवं पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण (GSLEP) कार्यक्रम का भी हिस्सा है।
  • हिम तेंदुआ पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम के लिए 22 गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची में है।
  • हिम तेंदुआ के संरक्षण के लिए उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और सिक्किम में केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ मिलकर यूएनडीपी तथा वैश्विक पर्यावरण सुविधा द्वारा सिक्योर हिमालय प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है।
  • हिम तेंदुआ के संरक्षण के लिए 2020 में हिमाल रक्षक नाम के एक सामुदायिक स्वयंसेवी कार्यक्रम की शुरुआत की गयी। 
  • पदमजा नायडू हिमालयन प्राणी उद्यान दार्जिलिंग द्वारा हिम तेंदुआ संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम शुरू किया गया।

हिम तेंदुआ के संरक्षण के लिए वैश्विक प्रयास 

  • वर्ष 2013 में 12 ‘स्नो लेपर्ड’ रेंज देशों (अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत, कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, मंगोलिया, नेपाल, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज़्बेकिस्तान) द्वारा बिश्केक घोषणा पर हस्ताक्षर किये गए थे।
    • इस अवसर पर ‘वैश्विक हिम तेंदुआ और पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण’ (GSLEP) कार्यक्रम की शुरुआत भी की गई थी।
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