New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM The June Exclusive Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6 June 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM The June Exclusive Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6 June 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM

दक्षिण एशिया प्रेस स्वतंत्रता रिपोर्ट, 2024–25

(प्रारंभिक परीक्षा : अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रम, रिपोर्ट एवं सूचकांक)

संदर्भ 

हाल ही में, दक्षिण एशिया प्रेस स्वतंत्रता रिपोर्ट का 23वां संस्करण जारी किया गया।  

दक्षिण एशिया प्रेस स्वतंत्रता रिपोर्ट के बारे में 

  • प्रकाशन : यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ (IFJ) द्वारा दक्षिण एशिया मीडिया एकजुटता नेटवर्क (SAMSN) के सहयोग से प्रकाशित की गई है। 
  • शीर्षक : ‘फ्रंटलाइन डेमोक्रेसी: राजनीतिक उथल-पुथल के बीच मीडिया’ 
  • समयावधि : यह रिपोर्ट 1 मई, 2024 से 30 अप्रैल, 2025 की अवधि को कवर करती है।
  • शामिल देश : रिपोर्ट में भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान एवं मालदीव में प्रेस की स्वतंत्रता की स्थिति की समीक्षा की गई है।

प्रमुख निष्कर्ष

  • मीडिया अधिकारों के उल्लंघन: दक्षिण एशिया में 250 से अधिक मीडिया अधिकारों के उल्लंघन दर्ज किए गए। 
  • पत्रकारों की गिरफ्तारी एवं मृत्यु : 69 पत्रकारों को गिरफ्तार किया या हिरासत में लिया गया, जबकि 20 पत्रकारों की ड्यूटी के दौरान मृत्यु हुई। 

विभिन्न देशों की स्थिति 

  • भूटान : भूटान को पहले प्रेस स्वतंत्रता के लिए जाना जाता था किंतु अब सरकारी नियंत्रण एवं ‘डिजिटल मीडिया नीति 2024’ के माध्यम से स्वतंत्र आवाजों को नियंत्रित किया जा रहा है।
  • पाकिस्तान : पाकिस्तान में पत्रकारों के लिए विगत दो दशकों का यह सबसे हिंसक वर्ष रहा। पत्रकारों को राजनीतिक दलों और सैन्य प्रतिष्ठानों की आलोचना करने पर शारीरिक हमलों एवं जबरन गुमशुदगी का सामना करना पड़ा।
    • कई पत्रकार स्वायत्त पत्रकारिता छोड़कर विदेश में शरण लेने को मजबूर हुए।
  • श्रीलंका : आर्थिक संकट एवं सरकार विरोधी आंदोलनों के दौरान पत्रकारों पर हमले हुए।
  • बांग्लादेश : डिजिटल सुरक्षा अधिनियम, 2018 का दुरुपयोग कर आलोचनात्मक पत्रकारों को दबाने का प्रयास किया गया।
  • मालदीव : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनी रही, परंतु मीडिया स्वायत्तता पर राजनीतिक हस्तक्षेप की आशंका है।
  • अफगानिस्तान : तालिबान शासन में महिलाओं पत्रकारों की पूर्ण अनुपस्थिति रही और स्वतंत्र मीडिया का लगभग अंत हुआ।

भारत की वर्तमान स्थिति

इस रिपोर्ट के ‘India: Propaganda and the Press’ खंड में भारत में मीडिया की स्वतंत्रता को लेकर निम्नलिखित चिंताजनक प्रवृत्तियों को रेखांकित किया गया है:

  • कानूनी दबाव एवं उत्पीड़न : सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों व मीडिया संस्थानों पर मानहानि, देशद्रोह, यू.ए.पी.ए. एवं पी.एम.एल.ए. जैसे कड़े कानूनों का उपयोग किया जा रहा है। इससे पत्रकारिता जगत में स्व-सेंसरशिप की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
  • राजनीतिक हस्तक्षेप एवं प्रचारतंत्र : राजनीतिक दलों के ‘आईटी सेल’ के माध्यम से झूठी सूचनाओं और घृणा भाषण (हेट स्पीच) का प्रसार एक सामान्य प्रवृत्ति बन गई है।
  • वित्तीय दबाव एवं संस्थागत नियंत्रण : सरकार की आलोचना करने वाले चैनलों एवं पोर्टलों पर प्रतिशोधात्मक कार्रवाई के रूप में सरकारी विज्ञापनों को रोकना, आयकर (IT) विभाग व प्रवर्तन निदेशालय (ED) की छापेमारी, मीडिया संस्थानों पर वित्तीय दबाव डालना जैसे तरीकों का उपयोग किया जा रहा है 

प्रेस स्वतंत्रता के सामने प्रमुख खतरे

  • विघटनकारी सूचना एवं दुष्प्रचार : सोशल मीडिया एवं आई.टी. सेल के माध्यम से गलत जानकारी का प्रसार।
  • कानूनी दमन : कठोर कानूनों का उपयोग करके पत्रकारों को डराना एवं गिरफ्तार करना।
  • निगरानी एवं जासूसी : पत्रकारों पर सरकारी निगरानी एवं जासूसी गतिविधियाँ।
  • AI संबंधी खतरे : कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से पत्रकारों की निगरानी एवं सेंसरशिप।

रिपोर्ट की सिफारिशें

  • पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रेस सुरक्षा कानून लागू किए जाएँ।
  • सरकारें डिजिटल अधिकारों की रक्षा करें और इंटरनेट शटडाउन को नियंत्रित करें।
  • सरकारी हस्तक्षेप से मुक्त स्वतंत्र मीडिया आयोग का गठन किया जाए।
  • AI-निगरानी पर वैश्विक मानक बनाए जाएँ ताकि प्रेस की स्वतंत्रता संरक्षित रह सके।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR