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स्टॉकहोम +50

‘स्टॉकहोम +50’एक उच्च-स्तरीय बैठक है,जिसका आयोजन‘ मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र के पहले सम्मेलन (स्टॉकहोम सम्मेलन, 1972) की 50 वीं वर्षगांठ पर स्वीडन सरकार द्वारा किया जाएगा।

स्टॉकहोम सम्मेलन, 1972

  • मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, जिसे स्टॉकहोम सम्मेलन भी कहा जाता है, पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र का पहला सम्मेलन था। इसे स्टॉकहोम में 5 से 16 जून 1972 के बीच आयोजित किया गया था।
  • बैठक के परिणामी दस्तावेज (स्टॉकहोम घोषणा) में कई ऐसे सिद्धांत शामिल थे जो पर्यावरण प्रबंधन के लिये अभी भी महत्त्वपूर्ण हैं।
  • बैठक के कुछ प्रमुख परिणाम, 1) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यू.एन.ई.पी.) की स्थापना तथा 2) हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस आयोजित करना, थे।
  • उस वक़्तचिंताएँ मुख्यतः स्थानीय पर्यावरण से जुड़ी हुई थीं; जलवायु परिवर्तन या ओज़ोन परत के क्षरण से जुड़ी कोई बात नहीं की गई थी।
  • सम्मेलन में मुख्यतः, पर्यावरण में फ़ैल रही विषाक्तता (जल एवं वायु प्रदूषण) पर चर्चा की गई थी।
  • पर्यावरण प्रदूषण अभी भी चिंता का विषय है, क्योंकि देशों ने स्थानीय स्तर पर स्वच्छता की दिशा में तो कार्य किया लेकिन वैश्विक वातावरण को वृहत रूप से प्रदूषित कर दिया।

स्टॉकहोम + 50 से उम्मीदें

  • स्टॉकहोम +50 का उद्देश्य पर्यावरण संतुलन की दिशा में एक ठोस कार्रवाई सुनिश्चित करना है।
  • इसका उद्देश्य जलवायु-तटस्थ, लचीली और समावेशी अर्थव्यवस्था प्राप्त करने के लिये उत्पादन पैटर्न और प्रकृति-आधारित समाधानों को लक्षित करना है।
  • इच्छुक सरकारों और अन्य साझेदारों के साथ इन लक्ष्यों पर कार्य किया जाएगा।
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