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भू-प्रेक्षण उपग्रह का सफल प्रक्षेपण

चर्चा में क्यों

हाल ही में, इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV- C52) के माध्यम से ‘भू-प्रेक्षण उपग्रह’ (EOS -04) के साथ दो अन्य उपग्रहों का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया।

भू-प्रेक्षण उपग्रह 

  • 1,710 किग्रा. भारित इस उपग्रह को 529 किमी. दूर स्थित सूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun Synchronous Polar Orbit) में स्थापित किया गया।
  • ई.ओ.एस.-04 एक रडार-इमेजिंग उपग्रह है, जिसे कृषि, वानिकी और वृक्षारोपण, मृदा नमी एवं जल विज्ञान तथा बाढ़ मानचित्रण जैसे अनुप्रयोगों के लिये मौसम की सभी स्थितियों में उच्च गुणवत्ता वाले प्रतिबिंबों को उपलब्ध कराने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • इस मिशन में शामिल दो अन्य छोटे उपग्रह हैं- ‘इंस्पायरसैट-1’ (INSPIREsat-1) और ‘आई.एन.एस.-2टी.डी.’ (INST-2TD)।
  • गौर करने योग्य है कि ‘आई.एन.एस.-2टी. डी.’ एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह है, जो भारत-भूटान संयुक्त उपग्रह (आई.एन.एस.-2बी.) का पूर्ववर्ती है। इसमें एक थर्मल इमेजिंग कैमरा है, जो वनस्पति मानचित्रण के अलावा भूमि और जल की सतह के तापमान आकलन में मदद कर सकता है।
  • दूसरी ओर, इंस्पायरसैट-1 उपग्रह आयनमंडल की गतिविधियों के साथ-साथ सूर्य के कोरोना में होने वाली ऊष्मीय प्रक्रिया का अध्ययन करेगा। विदित है कि इस उपग्रह को भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान, अमेरिका के कोलोराडो विश्वविद्यालय, सिंगापुर के नानयांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और ताइवान के राष्ट्रीय केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया था।
  • उल्लेखनीय है कि यह इसरो के नए अध्यक्ष एस. सोमनाथ के नेतृत्व में पहला प्रक्षेपण है। 
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