स्वालबार्ड द्वीपसमूह में असामान्य गर्मी और बदलती समुद्री धाराओं के कारण वर्ष 2024 में ग्लेशियरों के पिघलने की संभावना रिकॉर्ड स्तर पर है। वर्ष 2024 में स्वालबार्ड में तीव्र गर्मी के कारण ग्लेशियर पिघलने के कारण समुद्र-स्तर में वृद्धि तेज़ हुई।
ग्लेशियर पिघलने के कारण
- आर्कटिक प्रवर्धन : आर्कटिक में तापमान वृद्धि वैश्विक औसत से लगभग चार गुना अधिक
- अटलांटिक महासागर के जल का आर्कटिक समुद्रों तक विस्तार
- ध्रुवीय क्षेत्र में हीटवेव
परिणाम
- बढ़ते वैश्विक समुद्र स्तर से दुनिया भर के तटीय समुदायों को खतरा
- मीठे पानी के जलाशयों और आर्कटिक जैव विविधता का नुकसान
- पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने का बढ़ता जोखिम, जिससे मीथेन (एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस) का उत्सर्जन
स्वालबार्ड द्वीप समूह के बारे में
- स्थान एवं भौगोलिक स्थिति: आर्कटिक महासागर (Arctic Ocean) में स्थित
- नॉर्वे (Norway) के प्रशासनिक नियंत्रण में
- मुख्य द्वीप: स्पिट्सबर्गेन, नॉरडॉस्टलांडेट, एजॉय इत्यादि
- अक्षांशीय विस्तार: लगभग 74° से 81° उत्तरी अक्षांश के बीच
विशेषताएँ
- यह आर्कटिक क्षेत्र का सबसे उत्तरी बसा हुआ क्षेत्र है।
- यहाँ की आबादी बहुत कम (~2,500) है और अधिकांश वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्रों से जुड़ी है।
- जलवायु: अत्यंत ठंडी किंतु गर्म अटलांटिक धारा (North Atlantic Current) के प्रभाव से अपेक्षाकृत कम ठंडी।
- यहाँ पर ध्रुवीय भालू, आर्कटिक लोमड़ी, सील एवं विभिन्न पक्षी पाए जाते हैं।
महत्त्व
- वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र: जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियर पिघलने एवं आर्कटिक जैव विविधता पर शोध
- स्वालबार्ड सीड वॉल्ट
- पूरी दुनिया के कृषि बीजों का सुरक्षित भंडारण स्थल
- वैश्विक खाद्य सुरक्षा हेतु स्थापित
- इसे प्राय: ‘Doomsday Vault’ कहा जाता है।
- रणनीतिक महत्त्व : आर्कटिक क्षेत्र में बर्फ पिघलने से नए समुद्री मार्ग खुल रहे हैं जिससे इस क्षेत्र का भू-राजनीतिक महत्त्व बढ़ रहा है।