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बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम; भारतीय अर्थव्यवस्था)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ

हाल ही में बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 लागू हुआ है। इसका उद्देश्य भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में शासन को मजबूत करना, जमाकर्ताओं की सुरक्षा बढ़ाना, ऑडिट गुणवत्ता में सुधार करना और सहकारी बैंकों को आधुनिक नियामक ढांचे के अनुरूप बनाना है।

पृष्ठभूमि

  • भारत की बैंकिंग प्रणाली ने विगत कई दशकों में महत्वपूर्ण रूपांतरण देखा है
    • कागज़ आधारित बैंकिंग से डिजिटल बैंकिंग तक
    • जन-धन योजना के माध्यम से वित्तीय समावेशन
    • आधार आधारित पहचान प्रणाली
    • ग्रामीण एवं शहरी बैंकिंग के बीच की दूरी को कम करना
  • इन परिवर्तनों के साथ बैंकिंग क्षेत्र में नियमन, शासन, रिपोर्टिंग मानदंड एवं ग्राहक सुरक्षा को भी अद्यतन करने की आवश्यकता बढ़ी। 
  • इसी संदर्भ में बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 आया है जो 5 प्रमुख बैंकिंग कानूनों में व्यापक सुधार करता है।

India-Banking-Laws

बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 के बारे में

  • यह अधिनियम निम्न 5 कानूनों में संशोधन करता है:
  1. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 
  2. बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 
  3. भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955 
  4. बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण एवं हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 
  5. बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण एवं हस्तांतरण) अधिनियम, 1980

मुख्य उद्देश्य

  • बैंकिंग शासन को मजबूत करना
  • ऑडिट गुणवत्ता में सुधार
  • आधुनिक नामांकन सुविधा
  • सहकारी बैंकों के संचालन को अधिक पारदर्शी बनाना
  • नियामक रिपोर्टिंग को आधुनिक मानकों के अनुरूप बनाना

मुख्य बिंदु

1. आधुनिक नामांकन ढांचा (Nomination Framework)

  • एक खाते में 4 तक नॉमिनी रखने की अनुमति
  • समानकालिक नामांकन → प्रतिशत का कुल 100%
  • क्रमिक नामांकन → मृत्यु के बाद आसान उत्तराधिकार
  • लॉकर (Locker) के लिए भी निर्बाध नामांकन व्यवस्था

2. ‘पर्याप्त हित’ (Substantial Interest) की नई परिभाषा

  • सीमा 5 लाख से बढ़ाकर 2 करोड़
  • उद्देश्य: शासन मानकों को मजबूत करना

3. सहकारी बैंकों में शासन सुधार

  • निदेशक का कार्यकाल 8 से बढ़ाकर 10 वर्ष
  • 97वें संविधान संशोधन के अनुरूप लोकतांत्रिक संरचना लागू

4. पब्लिक सेक्टर बैंकों में ऑडिट सुधार

  • PSBs अब ऑडिटर का पारिश्रमिक तय कर सकेंगे
  • बिना दावे वाली राशि का IEPF में हस्तांतरण
  • पारदर्शिता एवं विश्वसनीयता में वृद्धि

5. प्रक्रिया एवं रिपोर्टिंग सुधार

  • ‘अंतिम शुक्रवार’ जैसे पुराने शब्द हटाकर
    • रिपोर्टिंग को ‘महीने का अंतिम दिन’ या ‘पखवाड़े का अंतिम दिन’ कर दिया गया
  • डिजिटल प्रक्रियाओं के अनुरूप समय-सीमाएँ अपडेट

Banking-Laws

सुधारों का प्रभाव

  • जमाकर्ता सुरक्षा (Depositor Protection) में वृद्धि
    • सरल नामांकन
    • आसान दावा निपटान
    • परिवारों को त्वरित सहायता
  • बेहतर शासन गुणवत्ता
    • ‘Substantial Interest’ सीमा बढ़ने से पारदर्शिता
    • सहकारी बैंकों में लोकतांत्रिक नियंत्रण मज़बूत
  • वित्तीय पारदर्शिता (Financial Transparency)
    • IEPF में धनराशि का ट्रांसफर
    • ऑडिट में सुधार
  • बैंकिंग प्रक्रियाओं की दक्षता में वृद्धि
    • रिपोर्टिंग मानकों का आधुनिकीकरण
    • कामकाज में स्वचालन व समय की बचत

महत्व

  • यह अधिनियम भारत की बैंकिंग प्रणाली को डिजिटल अर्थव्यवस्था के अनुरूप बनाता है।
  • वित्तीय समावेशन को मजबूती देता है।
  • PSBs एवं सहकारी बैंकों दोनों की पारदर्शिता बढ़ाता है।
  • नियमन व अनुपालन में एकरूपता लाता है।
  • निवेशकों एवं जमाकर्ताओं दोनों का भरोसा बढ़ाता है।
  • बैंकिंग क्षेत्र की भविष्य की चुनौतियों साइबर जोखिम, डिजिटल बैंकिंग, फिनटेक – को ध्यान में रखते हुए संरचनात्मक आधार मजबूत करता है।

चिंताएँ

  • सहकारी बैंकों में शासन सुधार लागू करने में समय लग सकता है।
  • नामांकन सुधारों की डिजिटल जागरूकता अभी ग्रामीण क्षेत्रों में कम है।
  • IEPF ट्रांसफर पर बैंकों और ग्राहकों के बीच विवाद की संभावना है।
  • नए रिपोर्टिंग मानकों को अपनाने के लिए तकनीकी निवेश की आवश्यकता है।
  • ऑडिट सुधारों का प्रभाव तभी दिखेगा जब PSBs पेशेवर ऑडिटरों को पर्याप्त स्वतंत्रता देंगे।

आगे की राह

  • ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल जागरूकता अभियान
  • सहकारी बैंकों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण
  • ऑडिट प्रथाओं में और अधिक मानकीकरण
  • बैंकिंग प्रक्रियाओं में पूर्ण डिजिटल एकीकरण
  • IEPF से जुड़े ग्राहकों के दावों की प्रक्रिया को सरल बनाना

निष्कर्ष

बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 देश की बैंकिंग प्रणाली को अधिक पारदर्शी, आधुनिक, सुरक्षित व ग्राहक-केंद्रित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। तेजी से बदलती डिजिटल अर्थव्यवस्था के युग में यह सुधार भारत को एक ऐसी बैंकिंग प्रणाली प्रदान करता है जो स्थिरता, दक्षता एवं विश्वास इन तीनों स्तंभों को मजबूत करती है।

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