New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

श्रम उत्पादकता में वृद्धि की आवश्यकता

संदर्भ 

हाल ही में, भारत सहित एशिया की विभिन्न विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के बीच श्रम उत्पादकता को लेकर एक अध्ययन किया गया जिसमें चीन, वियतनाम, कंबोडिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि देश शामिल हैं।

श्रम उत्पादकता का प्रभाव 

  • श्रम उत्पादकता में वृद्धि किसी भी अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक विकास क्षमता का महत्वपूर्ण आयाम है जो सतत आर्थिक विकास, जीवन स्तर में सुधार एवं अधिक प्रतिस्पर्धात्मकता प्राप्त करने के लिए एक आवश्यक पूर्व शर्त है।
  • विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में प्राय: अंतर-उद्योग श्रम उत्पादकता के बीच व्यापक अंतर देखने को मिलता है। 

अध्ययन से संबंधित प्रमुख निष्कर्ष 

एशियाई देशों की स्थिति 

  • एशिया की विभिन्न विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में भिन्न-भिन्न समयावधि के दौरान विभिन्न गति से जी.वी.ए. (GVA) एवं रोजगार दोनों में संरचनात्मक परिवर्तन देखे गए। हालाँकि, विशेषकर भारत में इन परिवर्तनों की गति मंद रही है।
  • चीन की स्थिति भारत की तुलना में बेहतर रही है। अध्ययन में शामिल देशों में चीन स्पष्ट रूप से श्रम उत्पादकता वृद्धि की गति में अग्रणी रहा है। 
  • म्यांमार, वियतनाम एवं लाओस जैसे देशों में भी श्रम उत्पादकता वृद्धि दर तीव्र रही है, वहीं पाकिस्तान, फिलीपींस, मलेशिया एवं इंडोनेशिया जैसे देशों का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है।

उद्योगवार स्थिति

  • प्राथमिक क्षेत्र के संबंध में विकासशील एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में श्रम उत्पादकता का प्रदर्शन अमेरिका के सापेक्ष स्थिति में काफी निराशाजनक रहा है।  
    • भारत का श्रम उत्पादकता सूचकांक वर्ष 1990 में 3.3% से बढ़कर वर्ष 2018 में 5.4% हो गया है।
    • हालाँकि, श्रम उत्पादकता के प्रदर्शन में आसियान देशों की अर्थव्यवस्थाएँ कुछ हद तक बेहतर (5.3% से 7.2% के मध्य) रही हैं जबकि अन्य अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति काफी निराशाजनक रही है।
  • द्वितीयक क्षेत्र में श्रम उत्पादकता सूचकांक के संबंध में चीन एवं अमेरिका के बीच अंतर रैखिक रूप से कम हो गया है। 
    • आसियान अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है। हालाँकि, अन्य अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति अभी भी बदतर है।
  • विपणन योग्य सेवाओं के संबंध में चीन (वर्ष 1990 में 12.6% से वर्ष 2018 में 22.9%) और विशेष रूप से भारत (वर्ष 1990 में 6.6% से वर्ष 2018 में 22.8%) के मध्य श्रम उत्पादकता वृद्धि में स्पष्ट रूप से अभिसरण देखा जा सकता है जबकि बाकि देशों की स्थिति में अभिसरण का आभाव दिखाई देता है।  

भारत में द्वितीयक क्षेत्र में निम्न श्रम उत्पादकता के कारण

  • अपर्याप्त निवेश
  • कौशल का आभाव
  • अवसंरचनात्मक अपर्याप्तताएं 
  • नवाचार एवं तकनीकी अकुशलताएँ आदि 

आगे की राह

  • श्रम उत्पादकता के संदर्भ में भारत सहित अन्य विकासशील एशियाई अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर चीन की तुलना में बहुत धीमी है। विशेष रूप से द्वितीयक क्षेत्र में यह प्रभाव अधिक दिखाई देता है।
  • इस अंतर को पाटने के लिए विशेषकर भारत को विभिन्न उपयुक्त सुधारात्मक उपाय अपनाने की आवश्यकता है, जिसमें शिक्षण एवं प्रशिक्षण प्रदान करना, कौशल निर्माण व विकास, कृषि का आधुनिकीकरण, कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना, ग्रामीण औद्योगीकरण को बढ़ावा देना एवं एस.एम.ई. (SME) को मजबूत बनाना आदि शमिल हैं।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X