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मध्य-पूर्व को डब्लू.एम.डी. मुक्त क्षेत्र बनाने की आवश्यकता

संदर्भ 

मध्य-पूर्व में संघर्षों की आवृत्ति को देखते हुए यहाँ सामूहिक विनाश के हथियारों (Weapons Of Mass Destruction) से मुक्त क्षेत्र की स्थापना न केवल क्षेत्र की स्थिरता बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी एक तत्काल आवश्यकता है। इस क्षेत्र के उथल-पुथल भरे इतिहास और संघर्ष तथा गहरे अविश्वास के साथ-साथ अतीत में रासायनिक हथियारों की तैनाती के उदाहरणों को देखते हुए डब्लू.एम.डी.-उपयोग का संभावित पुनरुत्थान चिंताजनक बना हुआ है। 

डब्लू.एम.डी.-मुक्त क्षेत्र स्थापित करने की आवश्यकता 

हालिया संघर्ष 

  • इस क्षेत्र में हाल की गतिविधियों जैसे हमास और ईरान द्वारा इज़राइल पर किए गए हमले तथा गाजा पट्टी व ईरान पर इजराइल की प्रतिक्रिया के कारण इस क्षेत्र में निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देना और भी आवश्यक हो गया है।
  • लंबे समय से चले आ रहे इजरायल-अरब संघर्ष सहित मध्य-पूर्व में राजनीतिक गतिशीलता और सुरक्षा चिंताओं ने डब्लू.एम.डी. मुक्त क्षेत्र की स्थापना की जटिलताओं में योगदान दिया है।

परमाणु हथियार संपन्न देश 

इज़राइल के पास कथित तौर पर परमाणु हथियार हैं, लेकिन उसने कभी भी आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि या खंडन नहीं किया है साथ ही इज़रायल एन.पी.टी. का पक्षकार देश भी नहीं है।

जैविक एवं रासायनिक हथियारों का मुद्दा 

  • अन्य क्षेत्रों की ही तरह मध्य-पूर्व भी जैविक और विषाक्त हथियार सम्मेलन (Biological and Toxins Weapons Convention : BWC) में उल्लिखित नियमों और दायित्वों के अधीन है। 
    • हालाँकि, इज़रायल ने प्राय: स्थानीय राजनीतिक अस्थिरता और नवाचार पर इसके प्रभाव का हवाला देते हुए बी.डब्लू.सी. पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।
  • इसी प्रकार मध्य-पूर्व में रासायनिक हथियारों का मुद्दा महत्वपूर्ण चिंता का विषय रहा है और क्षेत्र में ऐसे हथियारों के प्रसार और उपयोग को संबोधित करने के प्रयास किए गए हैं।
  • दिसंबर 2023 में इज़रायल पर हमास के विरुद्ध सफेद फॉस्फोरस का उपयोग करने का आरोप लगाया गया था।
    • वर्ष 2008 में भी गाजा पट्टी में इजराइल द्वारा स्वीकृत सैन्य अभियान के दौरान भी इसी तरह के आरोप लगाए गए थे। 
    • हालाँकि इज़रायल ने इन आरोपों को सिरे से ख़ारिज कर दिया था।

साइबर हमले

  • हाल ही में इज़राइल से जुड़े एक हैकिंग समूह ने ईरान में 70% गैस स्टेशनों को कथित तौर पर हैक कर प्रतिबंधित कर दिया है। 
    • साइबर हमले जमीनी स्तर पर तनाव बढ़ा सकते हैं और पावर ग्रिड, टेलीफोन सिस्टम, परिवहन सिस्टम और मेडिकल रिकॉर्ड सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर हमला कर सकते हैं। 
    • साइबर हमलों में एक बड़ी चिंता तनाव उत्पन्न करने के लिए गलत सूचना फैलाने की क्षमता है। 

ईरान की परमाणु गतिविधियाँ 

  • इज़रायल के अघोषित परमाणु हथियार कार्यक्रम के साथ ही इस क्षेत्र में ईरान की परमाणु गतिविधियाँ भी चिंता का विषय हैं। 
  • ऐसे में क्षेत्र के सभी देशों को परमाणु अप्रसार प्रयासों का अनुपालन करने की आवश्यकता होगी। 

डब्लू.एम.डी. मुक्त क्षेत्र स्थापित करने के प्रयास 

  • संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन डब्ल्यू.एम.डी. मुक्त क्षेत्र के विचार को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से इस क्षेत्र के देशों के बीच चर्चा को सुविधाजनक बनाने व बातचीत को बढ़ावा देने में शामिल रहे हैं।
  • हालाँकि, भू-राजनीतिक तनाव, सुरक्षा विचारों और व्यापक क्षेत्रीय राजनीतिक परिदृश्य के कारण एक व्यापक समझौते तक पहुँचना कठिन साबित हुआ है।
  • मध्य-पूर्व डब्लू.एम.डी. मुक्त क्षेत्र की स्थापना के संबंध में वर्ष 1995 में परमाणु हथियारों के अप्रसार पर संधि (Non-Proliferation Treaty : NPT) का समीक्षा और विस्तार सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। 
    • इसमें एन.पी.टी. के अधोहस्ताक्षरित पक्ष वर्ष 2020 तक मध्य पूर्व परमाणु-हथियार मुक्त क्षेत्र स्थापित करने पर सहमत हुए थे। 
    • हालाँकि अभी तक इस संबंध में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं देखी गई है।

परमाणु अप्रसार के लिए क्षेत्रीय संधियाँ

  • रारोटोंगा की संधि : यह परमाणु परीक्षण और रेडियोधर्मी कचरे के समुद्री डंपिंग पर रोक लगाती है। 
  • कोरियाई परमाणु निरस्त्रीकरण समझौता : इसमें यूरेनियम संवर्धन और प्लूटोनियम पृथक्करण पर विशिष्ट प्रतिबंध शामिल हैं। 
  • पेलिंडाबा संधि : अफ़्रीकी परमाणु-हथियार-मुक्त क्षेत्र संधि, जिसे "पेलिंडाबा संधि" के नाम से भी जाना जाता है, ने अफ़्रीकी महाद्वीप पर परमाणु-हथियार-मुक्त क्षेत्र की स्थापना की। यह 12 अप्रैल 1996 को काहिरा, मिस्र में हस्ताक्षर के लिए खुली और 15 जुलाई 2009 को लागू हुई।
  • मध्य एशियाई संधि : यह सदस्य राज्यों के क्षेत्रों पर पूर्व परमाणु गतिविधियों से संबंधित पर्यावरणीय सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करती है और एक अतिरिक्त प्रोटोकॉल का पालन करना अनिवार्य बनाती है।

आगे की राह  

  • राजनयिक पहल : मध्य पूर्व में डब्ल्यू.एम.डी. मुक्त क्षेत्र बनाने के  संबंध में मध्य पूर्वी देशों के बीच संवाद को बढ़ावा देने और विश्वास निर्माण की राजनयिक पहल की जा सकती हैं। 
  • इसमें संयुक्त राष्ट्र और अरब लीग जैसे क्षेत्रीय संगठन शामिल हो सकते हैं, जो पहले से ही परमाणु हथियारों के खिलाफ आंदोलन में बड़े पैमाने पर शामिल रहे हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय समर्थन : डब्ल्यू.एम.डी. मुक्त क्षेत्र समझौतों को आगे बढ़ाने के इच्छुक मध्य पूर्वी देशों को अंतर्राष्ट्रीय समर्थन और तकनीकी, वित्तीय एवं राजनीतिक सहायता क्षेत्रीय निरस्त्रीकरण को प्रोत्साहित कर सकती है।
  • जवाबदेहिता एवं निरीक्षण तंत्र : डब्ल्यू.एम.डी. मुक्त क्षेत्र समझौतों के अनुपालन की पुष्टि और जवाबदेहिता को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत प्रणाली स्थापित करना आवश्यक है। 
  • इसमें अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी, रासायनिक हथियार निषेध संगठन और अन्य संबंधित निकायों जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा नियमित निरीक्षण शामिल हो सकते हैं।
  • डब्लू.एम.डी. मुक्त क्षेत्र समझौतों को मध्य पूर्व की अद्वितीय सुरक्षा चुनौतियों और गतिशीलता से निपटने के लिए तैयार किया जाना चाहिए। 
  • यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि कोई भी देश परमाणु, रासायनिक या जैविक एजेंटों का दोहरा उपयोग न करें।
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