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एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) चर्चा में क्यों

चर्चा में क्यों ?

  • वर्ष -2025 APEC शिखर सम्मेलन की मेजबानी दक्षिण कोरिया के ग्योंगजू में होगी, जिसका विषय है “Building a Sustainable Future”

प्रमुख बिन्दु :-

  • एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) एक क्षेत्रीय आर्थिक मंच है, जिसकी स्थापना 1989 में हुई थी, ताकि इसके 21 सदस्य अर्थव्यवस्थाओं के बीच मुक्त व्यापार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा दिया जा सके। 
  • मुख्यालय –सिंगापुर 
  • इसका उद्देश्य सतत आर्थिक विकास, व्यापार और निवेश को बढ़ाना, और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करना है। 
  • APEC गैर-बाध्यकारी, आम सहमति-आधारित दृष्टिकोण पर काम करता है, जो व्यापार उदारीकरण, डिजिटल अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, और क्षमता निर्माण जैसे मुद्दों पर केंद्रित है।
  • सदस्य: 21 अर्थव्यवस्थाएँ, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, दक्षिण कोरिया आदि शामिल हैं, जो वैश्विक जीडीपी का लगभग 60% और वैश्विक व्यापार का 47% हिस्सा हैं।

व्यापार तनाव और नीति अनिश्चितता (Trade Tensions and Policy Uncertainty)

  • अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते टैरिफ युद्ध ने क्षेत्रीय व्यापार को प्रभावित किया है।
  • APEC रिपोर्ट 2025 के अनुसार:
    • क्षेत्र का GDP विकास 2.6% तक गिर सकता है (2024: 3.6%)
    • निर्यात वृद्धि: 0.4%, आयात वृद्धि: 0.1%
  • ट्रंप प्रशासन के संभावित टैरिफ और चीन के rare earths निर्यात प्रतिबंधों ने अनिश्चितता बढ़ाई है।

आर्थिक विकास और समावेशी वृद्धि (Economic Growth and Inclusive Development)

  • वैश्विक मंदी के संकेतों के बीच APEC क्षेत्र, जो वैश्विक GDP का 60% है, में असमान विकास देखा जा रहा है।
  • महंगाई कम हो रही है, लेकिन निवेश कमजोर है।
  • 2025 प्राथमिकताएँ:
    • औपचारिक अर्थव्यवस्था में संक्रमण (Lima Roadmap 2025–2040)
    • स्वदेशी लोगों की आर्थिक भागीदारी

डिजिटल अर्थव्यवस्था और AI (Digital Economy and AI)

  • APEC इंटरनेट और डिजिटल अर्थव्यवस्था रोडमैप (AIDER) 2025 में समाप्त हो रहा है।
  • नई चुनौतियाँ:
    • AI नैतिकता
    • डेटा गोपनीयता
    • डिजिटल विभाजन

जलवायु परिवर्तन और स्थिरता (Climate Change and Sustainability)

  • भू-राजनीतिक तनावों के बीच जलवायु मुद्दे प्रमुख बने हुए हैं।
  • Bangkok Goals on Bio-Circular-Green Economy को आगे बढ़ाने पर जोर।
  • 2025 में चर्चा के विषय:
    • ऊर्जा सहयोग
    • खाद्य सुरक्षा
    • आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान
  • रिपोर्ट्स में सतत विकास को “क्षेत्रीय सहयोग का आधार” बताया गया है।

भू-राजनीतिक चुनौतियाँ (Geopolitical Challenges)

  • क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा स्थितियाँ APEC को प्रभावित कर रही हैं।
  • प्रमुख घटनाएँ:
    • यूक्रेन युद्ध
    • मध्य पूर्व संघर्ष
    • US–China प्रतिस्पर्धा

भारत और एपीईसी (APEC)

 APEC (Asia-Pacific Economic Cooperation) की स्थापना 1989 में हुई थी।
यह एक क्षेत्रीय आर्थिक मंच है जिसका उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मुक्त व्यापार, निवेश और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना है।

  • सदस्य देश: 21
  • मुख्यालय: सिंगापुर
  • प्रमुख उद्देश्य:
    • व्यापार बाधाओं को कम करना
    • निवेश और आर्थिक साझेदारी बढ़ाना
    • सतत एवं समावेशी विकास को प्रोत्साहन देना

भारत की स्थिति :

भारत APEC का सदस्य नहीं है,
लेकिन 1990 के दशक से ही सदस्यता के लिए प्रयासरत है।

भारत की सदस्यता का इतिहास :

वर्ष

घटनाक्रम

1991

भारत ने APEC में सदस्यता की इच्छा जताई

1997

भारत ने औपचारिक रूप से आवेदन किया, पर APEC ने नए सदस्यों पर अस्थायी रोक (moratorium) लगा दी

2007

इस रोक को 10 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया

2012 और 2018

भारत ने फिर से APEC में शामिल होने की रुचि जताई, पर कोई निर्णय नहीं हुआ

 APEC में भारत के शामिल न होने के कारण :

  1. भौगोलिक दलील APEC की सदस्यता "एशिया-प्रशांत क्षेत्र" तक सीमित मानी गई, जबकि भारत को “हिंद-प्रशांत” क्षेत्र का भाग माना जाता है।
  2. आर्थिक उदारीकरण की गति 1990 के दशक में भारत का आर्थिक उदारीकरण सीमित था, जबकि APEC देश अधिक खुले और बाजार-आधारित थे।
  3. चीन का विरोध चीन ने भारत की सदस्यता पर असहमति जताई, क्योंकि वह APEC के भीतर भारत के प्रभाव को सीमित रखना चाहता था।
  4. APEC की “Moratorium Policy” 1997 के बाद से APEC ने नए सदस्यों को शामिल करने पर रोक लगा रखी है।

भारत के लिए APEC की उपयोगिता :

  1.  एशिया-प्रशांत आर्थिक क्षेत्र में एकीकरण
    • यह क्षेत्र विश्व की GDP का लगभग 60% और विश्व व्यापार का 48% हिस्सा रखता है।
    • इसमें शामिल होने से भारत को व्यापक बाजारों तक पहुंच मिल सकती है।
  2. व्यापार व निवेश में बढ़ोतरी
    • APEC सदस्य देशों के बीच शुल्क कम हैं, जिससे भारतीय निर्यात को लाभ होगा।
  3. राजनयिक लाभ
    • चीन, अमेरिका, जापान जैसे प्रमुख देशों के साथ नीति संवाद के लिए यह मंच उपयोगी होगा।
  4.  आर्थिक सुधारों को प्रोत्साहन
    • APEC सदस्यता भारत को व्यापार सुगमता, डिजिटल व्यापार और क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखला सुधारों की दिशा में प्रेरित करेगी।

भारत की वर्तमान रणनीति :

  • भारत सीधे सदस्य न होते हुए भी “APEC Observer” और “Partner Dialogue” मंचों में भाग लेता है।
  • भारत का फोकस अब BRICS ,"Indo-Pacific Economic Framework (IPEF)", QUAD,RCEP वैकल्पिक संवादों पर अधिक है, जिससे वह अप्रत्यक्ष रूप से APEC क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों में जुड़ा हुआ है।
  • भारत अमेरिकी टैरिफ के कारण बहुविकल्प में ध्यान दे रहा है 
  • जिसमे अलग अलग देशों के साथ विभिन्न एग्रीमेंट कर रहा है जिसमें ब्रिटेन,और आस्ट्रेलिया के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर चर्चा हो रही है 
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