New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM Mid Year Mega Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 17th June 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM Mid Year Mega Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 17th June 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM

वन्यजीव ट्रॉफी एवं संबंधित मुद्दे

(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम)

संदर्भ

केरल सरकार ने वन्यजीव ट्रॉफी और वन्यजीवों से संबंधित वस्तुओं को घोषित करने के लिए केंद्र सरकार से एक और अवसर प्रदान करने की मांग की है।

वन्यजीव ट्रॉफी के बारे में

  • यह किसी भी वन्य प्राणी के शरीर का संरक्षित भाग होता है, जैसे कि दांत, खाल, नाखून, सींग, हड्डियाँ या कोई भी ऐसा अवशेष जो सजावट या संग्रह के रूप में रखा जाता है।
  • यह ट्रॉफी अक्सर शिकार के स्मृति-चिह्न के रूप में रखी जाती है।

पृष्ठभूमि

  • ऐतिहासिक रूप से, वन्यजीव ट्रॉफी को शिकार के दौरान प्राप्त किया जाता रहा है।
    • विशेष रूप से औपनिवेशिक काल में, जब शिकार को शाही और सामाजिक प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता था।
  • भारत में आजादी के बाद, वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ने और प्रजातियों के संकटग्रस्त होने के कारण शिकार पर प्रतिबंध लगाया गया।
  • वर्ष 1972 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम लागू होने के बाद, ऐसी ट्रॉफी का स्वामित्व और हस्तांतरण नियंत्रित किया गया।
  • फिर भी, कई परिवारों के पास पुरानी ट्रॉफी हैं, जो विरासत में मिली हैं और जिन्हें अभी भी कानूनी रूप से घोषित करना बाकी है।

संबंधित नियम और कानून

  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 40 के अनुसार, अनुसूची-I में सूचीबद्ध प्रजातियों से संबंधित किसी भी वन्यजीव वस्तु, ट्रॉफी के स्वामित्व को मुख्य वन्यजीव वार्डन या अधिकृत अधिकारी के समक्ष 30 दिनों के भीतर घोषित करना अनिवार्य है। 
  • इस प्रावधान का उल्लंघन करने पर 3-7 वर्ष की जेल और कम से कम 25,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है।
  • केवल ऐसी ट्रॉफी को ही वैध घोषित किया जा सकता है जिन्हें व्यक्ति ने वैध रूप से प्राप्त किया हो और उसके उत्तराधिकारी अब उसे घोषित करना चाहते हों।

जैव विविधता पर प्रभाव

  • वन्यजीव ट्रॉफी की प्रथा, अत्यधिक शिकार के कारण जैव विविधता के लिए हानिकारक रही है।
    • अनियंत्रित शिकार ने कई प्रजातियों, जैसे बाघ, तेंदुआ, और गैंडा, को विलुप्ति के कगार पर पहुंचा दिया।
  • ट्रॉफी के लिए शिकार ने पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बिगाड़ा, क्योंकि शीर्ष शिकारी और महत्वपूर्ण प्रजातियां कम होने से खाद्य श्रृंखला प्रभावित हुई।
  • इसके अलावा, अवैध ट्रॉफी का व्यापार और प्रदर्शन वन्यजीवों के प्रति असंवेदनशीलता को बढ़ावा देता है, जो संरक्षण के प्रयासों को कमजोर करता है।

क्या है केरल राज्य सरकार की मांग

  • केरल राज्य सरकार के अनुसार, राज्य के कई नागरिकों के पास वैध रूप से प्राप्त की गई ट्रॉफी हैं, लेकिन उनके कानूनी उत्तराधिकारी इन्हें समय पर घोषित नहीं कर पाए।
    • हाल ही में, लोकप्रिय गायक वेदान को बाघ के दांत से बने लॉकेट पहनने पर हिरासत में लिया गया।
    • साथ ही, प्रसिद्ध अभिनेता मोहनलाल पर हाथी दांत की जोड़ी और मूर्तियों के अवैध स्वामित्व के कई मामले अदालतों में लंबित हैं।
  • केंद्र सरकार द्वारा ऐसी वस्तुओं को घोषित करने की अंतिम समय सीमा 18 अक्टूबर, 2003 को समाप्त हो चुकी है।
  • इन परिस्थितियों में राज्य सरकार चाहती है कि जिन लोगों ने जानबूझकर नहीं, बल्कि जानकारी के अभाव या प्रक्रिया की जटिलता के कारण घोषणा नहीं की, उन्हें एक बार और अवसर दिया जाए।

आगे की राह

  • केंद्र सरकार द्वारा एक बार की क्षमा योजना (Amnesty Scheme) लागू की जाए, जिसमें केवल वैध विरासत से संबंधी मामलों को शामिल किया जाए।
  • वन विभाग को पारदर्शी प्रक्रिया के साथ प्रमाणिक दस्तावेजों की जांच कर ट्रॉफी के सत्यापन का अधिकार दिया जाए।
  • जन जागरूकता अभियान चलाए जाएं जिससे लोग समझ सकें कि अवैध रूप से वन्यजीव ट्रॉफी रखना एक गंभीर अपराध है।
  • दीर्घकालिक रूप से, जैव विविधता संरक्षण और अवैध शिकार पर रोक के लिए कठोर निगरानी तंत्र विकसित किए जाएं।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR