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विश्व मौसम विज्ञान संगठन

पृष्ठभूमि

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की शुरुआत वर्ष 1873 में अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) के रूप में हुई थी।
  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1950 में IMO को पुनर्गठित कर विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की स्थापना की गई।
  • इसे वर्ष 1951 में संयुक्त राष्ट्र की एक विशेषीकृत एजेंसी घोषित किया गया।
  • मुख्यालय : जेनेवा, स्विट्जरलैंड
    • इसका नेतृत्व महासचिव (Secretary-General) द्वारा किया जाता है।
    • वर्तमान महासचिव प्रो. सेलेस्टे साउलो (अर्जेंटीना)
  • 23 मार्च, 1950 को विश्व मौसम विज्ञान संगठन की स्थापना के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष 23 मार्च को विश्व मौसम विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • विश्व मौसम विज्ञान दिवस 2025 थीम: Closing the Early Warning Gap Together

विश्व मौसम विज्ञान संगठन अधिदेश (Mandate)

  • विश्व भर में मौसम विज्ञान, जलवायु, जल विज्ञान एवं संबंधित पर्यावरणीय क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
  • मौसम, जलवायु एवं जल संसाधनों से संबंधित डाटा संग्रह, विश्लेषण व आदान-प्रदान को सुगम बनाना।
  • मौसम संबंधी आपदाओं के पूर्वानुमान व प्रबंधन के लिए देशों को तकनीकी सहयोग प्रदान करना।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन की संरचना

WMO की संचालन व्यवस्था निम्नलिखित निकायों द्वारा होती है-

विश्व मौसम विज्ञान कांग्रेस

  • सर्वोच्च नीति-निर्धारण निकाय
  • प्रत्येक चार वर्षों में बैठक
  • सभी सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व होता है

कार्यकारी परिषद्

  • कांग्रेस के निर्णयों को लागू करना
  • WMO की गतिविधियों की निगरानी
  • वर्ष में एक बार बैठक

क्षेत्रीय संघ

  • 6 भौगोलिक क्षेत्रों के अनुसार समूहित-
    • अफ्रीका
    • एशिया
    • दक्षिण अमेरिका
    • उत्तरी अमेरिका, मध्य अमेरिका तथा कैरिबियन समूह
    • दक्षिण-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र
    • यूरोप
  • क्षेत्रीय स्तर पर कार्य समन्वय।

तकनीकी आयोग

  • वैज्ञानिक और तकनीकी सलाह देने वाली इकाइयाँ (जैसे-Commission for Weather, Climate, Hydrology)

सदस्य राष्ट्र

  • वर्तमान में WMO के 193 सदस्य देश और क्षेत्र हैं।
    • जिसमें 187 सदस्य राज्य और 6 क्षेत्र शामिल हैं।
  • भारत भी एक सक्रिय सदस्य है।
  • सदस्य देश अपने राष्ट्रीय मौसम सेवा विभाग (जैसे भारत का IMD) के माध्यम से प्रतिनिधित्व करते हैं।

वित्तपोषण (Funding)

  • मुख्य रूप से सदस्य देशों के वार्षिक योगदान से वित्तपोषित।
  • कुछ परियोजनाओं को दानदाता एजेंसियों या संयुक्त राष्ट्र के अन्य निकायों से भी पूंजी प्राप्त होती है।
  • बजट सदस्य देशों द्वारा अनुमोदित होता है।

कार्यप्रणाली एवं गतिविधियाँ

WMO निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों में कार्य करता है-

  • मौसम पूर्वानुमान प्रणाली (Global Observing System, Global Data Processing and Forecasting System)
  • जलवायु निगरानी (Climate Watch System, Global Framework for Climate Services)
  • जल संसाधन प्रबंधन (Hydrological Information System)
  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण (Early Warning Systems for Cyclones, Floods)
  • वायुमंडलीय अनुसंधान एवं प्रदूषण निगरानी (Global Atmosphere Watch: GAW)
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं तकनीकी सहायता (विकासशील देशों के लिए क्षमता निर्माण)

प्रमुख परियोजनाएँ एवं कार्यक्रम

विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) विश्व स्तर पर मौसम, जलवायु, जल विज्ञान एवं पर्यावरण से जुड़ी कई प्रमुख परियोजनाओं व कार्यक्रमों का संचालन करता है। इसमें मुख्य रूप से शामिल हैं:

जलवायु सेवाओं के लिए वैश्विक ढाँचा (GFCS)

  • उद्देश्य : मौसम एवं जलवायु संबंधी सेवाओं को कृषि, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन, जल व ऊर्जा क्षेत्रों से जोड़ना।
  • विशेषता: जलवायु सूचना को निर्णय निर्माण में उपयोगी बनाना।
  • भारत सहित कई विकासशील देशों में जलवायु लचीली नीतियों के निर्माण में योगदान।

वैश्विक अवलोकन प्रणाली (GOS)

  • उद्देश्य: वायुमंडलीय, समुद्री, जलविज्ञान और पृथ्वी निगरानी नेटवर्क का संचालन ।
  • विशेषता: उपग्रहों व स्थलीय स्टेशनों से डाटा संग्रह; ये डाटा मौसम पूर्वानुमान और जलवायु मॉडलिंग के लिए आधार है।

विश्व मौसम निगरानी (WWW)

  • उद्देश्य: वैश्विक स्तर पर मौसम निगरानी, डाटा संप्रेषण और
  • इसके दो प्रमुख भाग है :
    • वैश्विक दूरसंचार प्रणाली
    • वैश्विक डाटा प्रोसेसिंग और पूर्वानुमान प्रणाली
  • यह प्रणाली दैनिक मौसम सेवा का आधार है।

वैश्विक वातावरण निगरानी (GAW)

  • उद्देश्य : वायुमंडलीय रसायनों, प्रदूषण, ओजोन, ग्रीनहाउस गैसों की निगरानी।
  • विशेषता: GHGs, एयरोसोल्स और UV विकिरण की माप; जलवायु परिवर्तन के विज्ञान में योगदान।
  • वैश्विक जल विज्ञान स्थिति और आउटलुक प्रणाली (HydroSOS)
  • उद्देश्य: विश्व स्तर पर जल संसाधनों की निगरानी और रिपोर्टिंग।
  • विशेषता: सूखा और बाढ़ जैसी आपदाओं की निगरानी; नीति-निर्माण में सहायक।

गंभीर मौसम पूर्वानुमान कार्यक्रम (SWFP)

  • उद्देश्य: विकासशील देशों को गंभीर मौसम (जैसे चक्रवात, आँधी) का समय रहते पूर्वानुमान देने में सक्षम बनाना।
  • उदाहरण: दक्षिण एशिया में चक्रवात पूर्वानुमान में सहायता ।

फ्लैश फ्लड मार्गदर्शन प्रणाली (FFGS)

  • उद्देश्य : अचानक बाढ़ (flash floods) की भविष्यवाणी औरचेतावनी देना।
  • साझेदार : WMO, World Bank, USAID और अन्य क्षेत्रीयसंस्थाएँ।
  • भारत सहित कई देशों में लागू।

एकीकृत सूखा प्रबंधन कार्यक्रम (IDMP)

  • साझेदारी : WMO + Global Water Partnership (GWP)
  • उद्देश्य: सूखा जोखिम को कम करना, अनुकूलन रणनीति विकसित करना।

तटीय जलप्लावन पूर्वानुमान प्रदर्शन परियोजना (CIFDP)

  • उद्देश्य: तटीय क्षेत्रों में बाढ़ पूर्वानुमान और चेतावनी प्रणाली स्थापित करना।
  • विशेष महत्त्व: समुद्र-स्तर वृद्धि और चक्रवातों के प्रभाव से निपटना।

जलवायु जोखिम एवं पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ (CREWS)

  • उद्देश्य: सबसे कमजोर देशों में जलवायु जोखिमों के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को मजबूत करना।
  • वित्तपोषण: फ्राँस, जर्मनी, लक्जमबर्ग, स्विट्जरलैंड आदि।
  • भारत में भी क्षमता निर्माण हेतु सहयोग।

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का वर्गीकरण

  • अधिकतम निरंतर वायु वेग के आधार पर, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को निम्नानुसार नामित किया जाता है-
    • उष्णकटिबंधीय दबाव यह स्थिति तब होती है जब अधिकतम निरंतर वायु वेग 63 किमी./घंटा से कम होता है।
    • उष्णकटिबंधीय तूफान जब अधिकतम निरंतर वायु वेग 63 किमी./घंटा से अधिक होता है। इसे तब भी एक नाम दिया जाता है।
    • तूफान, टाइफून, उष्णकटिबंधीय चक्रवात, बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान : जब अधिकतम निरंतर वायु वेग 116 किमी./घंटा 63 समुद्री मील से अधिक हो।

WMO दीर्घकालिक रणनीतिक योजना 2020-2030

विजन

  • एक ऐसे विश्व का निर्माण जहाँ सभी देश, विशेषकर सबसे अधिक संवेदनशील देश, चरम मौसम और जलवायु घटनाओं के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों के प्रति अधिक सक्षम और लचीले हों।

लक्ष्य

इसके तहत WMO ने पाँच दीर्घकालिक रणनीतिक लक्ष्य निर्धारित किए हैं-

  • बेहतर पूर्व चेतावनी और सेवाएँ
    • मौसम, जलवायु, जल और पर्यावरणीय सेवाओं को बेहतर बनाना।
    • विशेष रूप से प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली (EWS) को सशक्त करना।
  • वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार
    • मौसम, जलवायु और जल विज्ञान में अनुसंधान और तकनीकी उन्नयन को बढ़ावा देना।
    • डाटा तक समान पहुँच और साझा करना
    • वैश्विक स्तर पर पर्यवेक्षण, पूर्वानुमान और अनुसंधान के लिए डाटा का एकीकरण और सुलभता।
  • क्षमता निर्माण और सहयोग
    • विकासशील देशों के लिए प्रशिक्षण, संसाधन और सहायता कार्यक्रम ।
    • दक्षिण-दक्षिण सहयोग (South-South Cooperation) को बढ़ावा देना।
  • WMO की शासन प्रणाली और कार्यप्रणाली का आधुनिकीकरण
    • संगठन की पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता को बढ़ाना।

प्रमुख प्राथमिकता क्षेत्र

  • जलवायु परिवर्तन अनुकूलन एवं शमन (Adaptation and Mitigation)
  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण (Disaster Risk Reduction)
  • सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) में योगदान
  • वातावरण और स्वास्थ्य (Environment and Health)
  • महासागरीय सेवाएँ और समुद्र-स्तरीय निगरानी
  • क्षमता निर्माण एवं लैंगिक समानता

मुख्य क्रियान्वयन घटक

  • ग्लोबल बेसिक ऑब्ज़र्विंग नेटवर्क (GBON)
  • WMO एकीकृत वैश्विक अवलोकन प्रणाली (WIGOS)
  • जलवायु सेवाओं के लिए वैश्विक रूपरेखा (GFCS)
  • WMO सूचना प्रणाली (WIS)
  • फ्लैश फ्लड गाइडेंस सिस्टम (FFGS)
  • जलवायु जोखिम और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली पहल (CREWS)

इस रणनीतिक योजना के आधार पर ही वर्ष 2020-23 और वर्ष 2024-27 जैसी मध्यम अवधि की योजनाएँ बनाई गई हैं।

रणनीतिक योजना 2020-2023

  • यह पहली चरण की कार्यान्वयन योजना (Implementation of LTP 2020-2030) है।
  • मुख्य फोकस
    • नए गवनेन्स स्ट्रक्चर लागू करना 
    • प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को सशक्त करना
    • क्षमता विकास को जमीनी स्तर पर लागू करना
    • डाटा और मॉडल साझा करने की नींव रखना

मुख्य प्राथमिकताएँ

  • सभी तक मौसम और जलवायु सेवा पहुँचाना (Leave no one behind)
  • वैश्विक प्रेक्षण प्रणालियों को मजबूत करना
  • अनुसंधान और नवाचार को जोड़ना

रणनीतिक योजना 2024-2027

  • यह दूसरे चरण की कार्यान्वयन योजना, जो वर्ष 2020-2030 विजन की दिशा में ठोस परिणामों पर केंद्रित है।
  • मुख्य फोकस
    • अर्ली वार्निंग फॉर ऑल (EW4ALL) पहल का व्यापक विस्तार
    • जलवायु सेवाओं को नीति-निर्माण से जोड़ना
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बिग डाटा व मशीन लर्निंग जैसी तकनीकों को सेवाओं में शामिल करना
    • जल संकट और जलवायु लचीलापन को प्राथमिकता

नई प्राथमिकताएँ

  • अर्ली वार्निंग फॉर ऑल का स्केल-अप
  • एकीकृत जल एवं जलवायु सेवाएँ
  • बेहतर डाटा-साझाकरण नीति (Open Data Policy)
  • अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी और क्षेत्रीय सहयोग
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