New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 19th Jan. 2026, 11:30 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 09th Jan. 2026, 11:00 AM New Year offer UPTO 75% + 10% Off | Valid till 03 Jan 26 GS Foundation (P+M) - Delhi : 19th Jan. 2026, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 09th Jan. 2026, 11:00 AM

LVM3 सेमी क्रायोजेनिक स्टेज

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास)

संदर्भ 

इसरो की घोषणा के अनुसार सेमी-क्रायोजेनिक चरण से लैस LVM3 की पहली उड़ान वर्ष 2027 में निर्धारित है।

क्या है LVM3 

  • यह भारत का सबसे शक्तिशाली परिचालन प्रक्षेपण यान है जिसे GSLV Mk III के नाम से भी जाना जाता है। 
  • वहन क्षमता: भू-स्थैतिक स्थानांतरण कक्षा (Geostationary Transfer Orbit: GTO) में 4 टन और निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit: LEO) में 10 टन तक भार ले जाने में सक्षम।
  • उपयोग : चंद्रयान-2, वनवेब प्रक्षेपण और गगनयान परीक्षण उड़ानों जैसे प्रमुख मिशनों में।
  • तीन चरणों वाला LVM3 रॉकेट दिसंबर 2014 में अपनी पहली प्रायोगिक उड़ान पूरी कर चुका है।

क्या है नया सेमी-क्रायोजेनिक चरण

  • वर्तमान मुख्य चरण: द्रव प्रणोदकों (UH25 + N2O4) का उपयोग 
  • नया चरण: केरोसिन (RP-1) और द्रव ऑक्सीजन (LOX) का उपयोग करेगा जो अधिक सुरक्षित, कुशल एवं पर्यावरण अनुकूल है।
  • सेमी-क्रायोजेनिक चरण को इसे और भी अधिक शक्तिशाली बनाने, लागत कम रखते हुए पेलोड क्षमता बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • द्रव प्रणोदन प्रणाली केंद्र (LPSC) द्वारा SCE-200 इंजन परियोजना के तहत विकसित किया जा रहा है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी 2024 में तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित इसरो प्रणोदन परिसर (IPRC) में अर्ध-क्रायोजेनिक एकीकृत इंजन और चरण परीक्षण सुविधा (SIET) का लोकार्पण किया था।

सेमी-क्रायोजेनिक इंजन के लाभ

  • पारंपरिक द्रव इंजनों की तुलना में उच्च प्रणोदन और बेहतर दक्षता
  • विदेशी तकनीक पर निर्भरता में कमी 
  • भविष्य के भारी भारवाहक प्रक्षेपण यानों और मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए महत्त्वपूर्ण

गगनयान और भविष्य के लिए प्रासंगिकता

  • अगली पीढ़ी के पुन: प्रयोज्य रॉकेटों के लिए अर्ध-क्रायोजेनिक इंजन एकीकरण आवश्यक है।
  • गहन अंतरिक्ष अभियानों, भारी उपग्रह प्रक्षेपणों और भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशन रसद के लिए भारत की क्षमता को बढ़ाता है।

चुनौतियाँ

  • जटिल इंजन परीक्षण और योग्यता
  • मौजूदा LVM3 प्रणालियों के साथ एकीकरण
  • मानवयुक्त मिशनों के लिए विश्वसनीयता सुनिश्चित करना

निष्कर्ष

अर्ध-क्रायोजेनिक चरण के साथ वर्ष 2027 का LVM3 प्रक्षेपण आत्मनिर्भर, उच्च-प्रणोद प्रक्षेपण प्रणालियों की ओर भारत के अग्रसर होने में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है जो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में स्वदेशी प्रगति को चिह्नित करता करने के साथ ही उन्नत अंतरिक्ष अन्वेषण का मार्ग प्रशस्त करता है।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR