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अब्राहम समझौता और भारत

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2  : भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव)

संदर्भ

भारतीय वायु सेना प्रमुख का हालिया इज़राइल दौरा यह अध्ययन करने के लिये एक  बेहतर दृष्टिकोण प्रदान करता है कि भारत, वर्ष 2020 में संयुक्त अरब अमीरात के नेतृत्व में इज़राइल और अरब राज्यों के मध्य हस्ताक्षरित ‘अब्राहम समझौते’ का लाभ कैसे प्राप्त कर रहा है।

सहयोग में वृद्धि

  • वायु सेना प्रमुख की यात्रा के दौरान भारत ने अबू धाबी के तट पर संयुक्त अरब अमीरात के साथ ‘जायद तलवार’ नौसैनिक अभ्यास भी किया, जिससे दोनों देशों के मध्य तेज़ी से विकसित हो रहे ‘रणनीतिक सहयोग’ परिलक्षित हो रहे हैं।
  • दिसंबर 2020 में भारतीय थल सेना प्रमुख ने संयुक्त अरब अमीरात व सऊदी अरब का दौरा किया, ऐसा करने वाले वे भारतीय थल सेना के पहले प्रमुख बने।
  • इन यात्राओं की नींव भारतीय नौसेना के तत्कालिक प्रमुख द्वारा वर्ष 2017 में निर्धारित की गई थी, जिन्होंने संयुक्त अरब अमीरात और ओमान का दौरा किया था।
  • तदोपरांत भारत ने ओमान के साथ ‘डुक्म पोर्ट’ के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। इस समझौते में भारतीय नौसेना द्वारा ‘शुष्क डॉक’ का प्रयोग भी शामिल था।
  • उक्त उदाहरण भारत और पश्चिम एशियाई क्षेत्र के मध्य रक्षा मोर्चे पर तेज़ी से हुए विकास को प्रदर्शित करते हैं।

यथास्थिति की समाप्ति

  • इन समझौतों ने भारत की महत्त्वपूर्ण रणनीतिक बाधा को दूर किया है। पूर्व में भारत को अरब देशों और इज़राइल के साथ संबंधों में बेहद सावधानीपूर्वक कदम उठाना पड़ता था।
  • इस यथास्थिति में अब परिवर्तन देखने को मिल रहा है, जिसमें इज़राइल ने अबू धाबी में अपने प्रथम राजनयिक मिशन का उद्घाटन किया तथा विगत कुछ महीनों में दोनों देशों के मध्य सीधी उड़ानें, व्यापार और पर्यटन संबंधी क्रियाकलाप आरंभ हुए।
  • भारत ने इस क्षेत्र में ‘शांति और स्थिरता’ प्रदान करने वाले तंत्र का समर्थन करते हुए समझौते का स्वागत किया था।
  • िगत कुछ समय से पश्चिम एशिया की सामरिक महत्ता को देखते हुए भारत अपने कदमों को बढ़ा रहा है।
  • वर्ष 2015 में भारतीय वायुसेना की सऊदी अरब की अपेक्षाकृत कम महत्त्वपूर्ण यात्रा से लेकर वर्ष 2018 में ईरानी नौसैनिक युद्धपोतों की मेज़बानी, फारस की खाड़ी तथा विस्तारित हिंद महासागर क्षेत्र के जलमार्गों की सुरक्षा की तत्परता भारतीय रणनीतिक सोच को प्रदर्शित करती है।

नवीन घटनाक्रम

  • हालिया दिनों में ईरान, इज़राइल तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के मध्य फारस की खाड़ी में तनाव बढ़ने के समय भारतीय नौसेना ने ‘ऑपरेशन संकल्प’ को अंजाम दिया, जिसमें भारतीय युद्धपोतों को एक दिन में औसतन 16 भारतीय पोतों को एस्कॉर्ट किया गया।
  • इस क्षेत्र में ईरान और इज़राइल के मध्य बढ़ते तनाव के समय व्यापारी पोतों पर ‘कोवर्ट अटैक’ में भी बढ़ोत्तरी देखी गई है।
  • अब्राहम समझौता, यह सुनिश्चित करने के लिये भी किया गया था कि ‘दुबई और अबू धाबी’ जैसे ‘अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र’ यरूशलेम और तेहरान के बीच विवाद के शिकार न हों।
  • हालाँकि, सभी अरब देश उन भू-राजनीतिक परिवर्तनों के साथ नहीं हैं, जिन्हें समझौते ने आगे बढ़ाया है। इज़राइल के विभिन्न प्रयासों के बावजूद सऊदी अरब इस व्यवस्था से दूरी बनाए हुए है।
  • सऊदी अरब ने समझौते की प्रशंसा तो की है, लेकिन ये भी कहा है कि वह ‘फिलीस्तीन मुद्दे को अपनी आवश्यकताओं में सबसे ऊपर रखता है।
  • भारत का दृष्टिकोण वर्ष 2021 में भी परिवर्तित नहीं हुआ है, क्योंकि वह अभी भी अपनी वार्षिक तेल आवश्यकताओं का 80 प्रतिशत से अधिक आयात करता है, जिसमें से अधिकांश अभी भी इराक और सऊदी अरब जैसे आपूर्तिकर्ताओं से आता है।

ईरान लिंक

  • भारत और पश्चिम एशियाई देशों के साथ संबंध सुधारने में ईरान भी भविष्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, क्योंकि अफगानिस्तान संकट के और गहराने की आशंका है।
  • जुलाई में, कंधार से अपने राजनयिक कर्मचारियों को सुरक्षित निकालने के लिये भारत ने ईरानी हवाई क्षेत्र और उसकी सुविधाओं का प्रयोग किया।
  • इस संदर्भ में ‘चाबहार पोर्ट और चाबहार-जाहेदान रेल परियोजना’ (परियोजना पर चर्चा अभी भी जारी है) जैसी अन्य कनेक्टिविटी परियोजनाएँ महत्त्वपूर्ण बनी हुई हैं।
  • भारत के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री की ईरान यात्रा तथा ईरान के रक्षा मंत्री की भारत यात्रा, दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय संबंधों में बढ़ती बाधाओं के बावजूद रणनीतिक सहयोग को रेखांकित करती है।

निष्कर्ष

  • पश्चिम एशिया में भारत के रणनीतिक कदम आर्थिक विकास तथा वैश्विक व्यवस्था में सहयोग को प्रतिबिंबित करेंगे।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् से लेकर इंडो-पैसिफिक तक भारत से अपेक्षा की जाएगी कि वह अपनी अधिक मुखर, कूटनीतिक और सैन्य रूप से अपनी वैदेशिक और रणनीतिक नीतियों को संचालित करे।
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