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भारतनेट परियोजना

(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय की सामायिक घटनाएँ ; मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 : विषय : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास, सूचना प्रौद्योगिकी।)

हाल ही में, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) ने तमिलनाडु में भारतनेट परियोजना के लिये 1,950 करोड़ रूपए के टेंडर के आदेश दियेहैं।

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग :

  • यह विभाग वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तत्त्वाधान में आता है।
  • वर्ष 1995 में यह विभाग निर्मित हुआ था और वर्ष 2000 में औद्योगिक विकास विभाग में विलय के साथ इसका पुनर्गठन हुआ।
  • फरवरी 2019 में इसका नाम औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग से बदलकर उद्योग संवर्धन और आतंरिक व्यापार विभाग कर दिया गया।

कार्य:

  • जुलाई 1991 में शुरू हुई,भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगतिशील उदारीकरण प्रक्रिया के साथ, इस विभाग की भूमिका और कार्यों में लगातार बदलाव आया है।
  • औद्योगिक क्षेत्र के विनियमन और प्रशासन के साथ ही यह विभाग अब निवेश और प्रौद्योगिकी प्रवाह को सुविधाजनक बनाने और उदारीकृत वातावरण में औद्योगिक विकास की निगरानी करने का कार्य भी कर रहा है।

प्रमुख बिंदु:

  • भारतनेट एक फ्लैगशिप मिशन है जिसे भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (BBNL) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
    • यह कम्पनी अधिनियम, 1956 के तहत 1000 करोड़ रुपये की अधिकृत पूँजी के साथ भारत सरकार द्वारा स्थापित एक प्रकार का विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicle-SPV) है।
  • शुरुआत में यह मिशन संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत ही शुरू किया गया था लेकिन जुलाई,2016 में यह मंत्रालय,संचार मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में विभाजित हो गया था।
    • वर्तमान में, यह मिशन संचार मंत्रालय के तहत दूरसंचार विभाग द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (National Optical Fiber Network-NOFN) अक्तूबर,2011 में शुरू किया गया था और वर्ष 2015 में इसे भारतनेट परियोजना के रूप में नया नाम दिया गया था।

राष्ट्रीय ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (National Optical Fiber Network):

  • ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी को सूचना सुपर हाइवे के रूप में ग्राम पंचायतों तक पहुँचाने के लिये एक मज़बूत और बुनियादी ढाँचे के निर्माण हेतु इस नेटवर्क की परिकल्पना की गई थी।
    • संचार मंत्रालय ने देश भर में (विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में) ब्रॉडबैंड सेवाओं की सार्वभौमिक और समान पहुँच सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय ब्रॉडबैंड मिशन की शुरुआत की थी।

उद्देश्य:

  • ग्रामीण भारत में ई-गवर्नेंस, ई-स्वास्थ्य, ई-शिक्षा, ई-बैंकिंग, इंटरनेट और अन्य सेवाएँ अबाध रूप से पहुँचाने के लिये यह एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना थी।
  • देश के सभी 2,50,000 ग्राम पंचायतों को जोड़ने के लिये और सभी ग्राम पंचायतोंको 100 एम.बी.पी.एस. की इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिये।
  • इस नेटवर्क को देश में जाल के रूप में फैलाने के लिये सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (बी.एस.एन.एल., रेलटेल और पावर ग्रिड) द्वारानए फाइबर तंतुओं (डार्क फाइबर) का उपयोग किया गया।
  • देश की अधिकाधिक ग्राम पंचायतों को इस फाइबर नेटवर्क से जोड़ने के लिये भी यथासम्भव प्रयास किये गए।
  • इस पूरी परियोजना को यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (USOF) द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है, जिसे देश के ग्रामीण और दूरदराज़ क्षेत्रों में दूरसंचार सेवाओं में सुधार के लियेबनाया गया था।

कार्यान्वयन:

  • यह परियोजना एक केंद्र-राज्य सहयोगी परियोजना है।भारतनेटपरियोजना के कार्यान्वयन के तीन चरण इस प्रकार हैं:
    • पहला चरण: दिसम्बर,2017 तक भूमिगत ऑप्टिक फाइबर केबल (ओ.एफ.सी.) लाइनों को बिछाकर ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी के साथ एक लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ना।
    • दूसरा चरण: देश की सभी ग्राम पंचायतों को भूमिगत फाइबर, बिजली लाइनों, आदि के द्वारा कनेक्टिविटी प्रदान करना। इसे मार्च,2019 तक पूरा किया जाना निर्धारित था।
    • तीसरा चरण: वर्ष 2019 से वर्ष 2023 तक अत्याधुनिक नेटवर्क द्वारा ज़िलों और ब्लॉकों के बीच रिंग टोपोलॉजी के द्वारा फाइबर नेटवर्क स्थापित करना।
  • ध्यातव्य है कि दूसरे चरण में राज्यों की भागीदारी महत्त्वपूर्ण हो गई, जिसमें मुख्यतःबिजली के खम्भों पर ओ.एफ.सी. बिछाने का कार्य शामिल था। यह भारतनेट रणनीति में एक नए तरीके का निर्माण था क्योंकि ओ.एफ.सी.की हवा से हवा में कनेक्टिविटी मोड के कई फायदे हैं, जिनमें कम लागत, त्वरित कार्यान्वयन, आसान रख रखाव और मौजूदा बिजली लाइन के बुनियादी ढाँचे का उपयोग शामिल है।

डार्क फाइबर (Dark fiber)

  • यह एक प्रकार का अप्रयुक्त ऑप्टिकल फाइबर है, जिसे बिछाया तो गया है लेकिन वर्तमान में फाइबर-ऑप्टिक संचार में इसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। विदित है कि फाइबर-ऑप्टिक केबल प्रकाश कणों के रूप में सूचना प्रसारित करता है, लेकिन'डार्क' फाइबर प्रकाश कणों के माध्यम से सूचना प्रसारित नहीं करता है अतः इसे डार्क फाइबर कहते हैं।
  • अधिक बैंडविड्थ की आवश्यकता होने पर लागत पुनरावृत्ति से बचने के लिये कम्पनियाँ अतिरिक्त ऑप्टिकल फाइबर बिछाती हैं।
  • इसे अनलिट फाइबर के रूप में भी जाना जाता है।

(स्रोत: द हिंदू)

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