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बायो-सिमिलर उत्पाद तथा पेटेंट

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, सामान्य विज्ञान)

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक सम्पदा अधिकारों से सम्बंधित विषय)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, एक भारतीय फॉर्मा कम्पनी के एक बायो-सिमिलर उत्पाद ‘इंसुलिन ग्लारजीन/ग्लेरगीन’ (Insulin Glargine) को अमेरिका द्वारा अनुमोदन प्रदान कर दिया गया है। यू.एस.एफ़.डी.ए. द्वारा इस उत्पाद को अनुमोदित किये जाने के बाद कुछ सवाल पैदा हो गये हैं।

सरल अणु और जटिल बीमारियाँ

  • औद्योगिक क्रांति के बाद आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के प्रारम्भ से ही अधिकांश बीमारियों का उपचार करने के लिये सरल अणुओं (Simple Molecules) का प्रयोग किया जा रहा है। हालाँकि इस प्रकार के फॉर्मुलेशन कुछ बीमारियों के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी हैं, लेकिन वे कैंसर जैसी अधिक जटिल बीमारियों के खिलाफ विशेष रूप से प्रभावी नहीं हैं।
  • सरल अणुओं में केवल कुछ परमाणु होते हैं जो सहसंयोजक बंधों (Covalent Bonds) द्वारा संयोजित होते हैं। कार्बन डाईऑक्साइड सरल अणुओं का एक उदाहरण है।
  • मनुष्यों की प्रतिरक्षा प्रणाली का विकास विशेष रूप से बाह्य रोगाणुओं से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिये लाखों वर्षों में हुआ है। लेकिन कैंसर जैसी बीमारी इन ज़्यादातर बीमारियों की तरह नहीं है क्योंकि यह बीमारी किसी बाह्य रोगाणु के कारण नहीं होती है।
  • दरअसल कैंसर, इंसान के विकास की क़ुदरती प्रक्रिया का नतीजा है। यह कोशिकाओं के अनियंत्रित तरीके से विभाजन का परिणाम है जो शरीर को भीतर से नष्ट करती हैं।
  • अतः शरीर में कोशिकाओं के उत्परिवर्तन से रक्षा करने के लिये सरल अणुओं का प्रयोग करना एक व्यर्थ प्रक्रिया है।

बायोलॉजिक (Biologic)

  • बायोलॉजिक किसी जीवित प्रणाली जैसे सूक्ष्मजीव, पौधे या जंतु-कोशिकाओं में निर्मित होता है। अधिकांश बायोलॉजिक बहुत बड़े, जटिल अणु या अणुओं का मिश्रण होते हैं। कई बायोलॉजिक्स का निर्माण पुनर्संयोजक (Recombinant) डी.एन.ए. तकनीक का उपयोग करके किया जाता है।
  • किसी बायोलॉजिक अथवा किसी जैविक या प्राकृतिक स्रोत से पृथक किये गए जटिल प्रोटीन आवश्यक हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा कोशिकाओं का अनुसरण कर सकें। इससे कैंसर से लड़ने में मदद मिल सकती है।

बायो-सिमिलर (Biosimilar)

  • बायो-सिमिलर एक जैविक उत्पाद है जोकि यू.एस.एफ़.डी.ए. द्वारा अनुमोदित बायोलॉजिक, जिसे संदर्भ उत्पाद कहा जाता है, के सामान विकसित किया जाता है। बायो-सिमिलर को कभी-कभी संदर्भ उत्पाद के जेनेरिक स्वरुप की तरह मान लिया जाता है।
  • हालाँकि, बायो-सिमिलर किसी अन्य बायोलॉजिक का सटीक प्रतिरूप नहीं है। सभी जैविक उत्पादों में प्राकृतिक परिवर्तनशीलता की एक सम्भावना होती है, अतः किसी जीवित कोशिका से प्राप्त होने वाले उत्पाद की बिल्कुल सटीक प्रति उत्पन्न करना सम्भव नहीं है। संदर्भ उत्पाद सहित सभी बायोलॉजिक्स कुछ भिन्नता प्रदर्शित करते हैं।

फॉर्मा उद्योग और पेटेंट की उपयोगिता

  • फार्मास्युटिकल उद्योग की विशेषता गहन रूप से अनुसंधान और विकास प्रक्रिया है, जो इस उद्योग की सफलता का आधार है।
  • किसी नई दवा को विकसित करने में 5 वर्ष भी लग सकते हैं। साथ ही, उत्पाद का चिकित्सकीय परीक्षण करने और नियामक एजेंसियों से आवश्यक अनुमोदन प्राप्त करने के लिये अतिरिक्त 10 वर्षों की भी आवश्यकता हो सकती है।
  • यह एक पूँजी गहन प्रक्रिया है अतः फार्मा कम्पनी के योगदान को सुरक्षित करने का एकमात्र तरीका पेटेंट कानूनों के माध्यम से उनके निवेश की रक्षा करना है। इस प्रकार से, कम्पनियों को अनुसंधान में और अधिक निवेश करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सकता है जो नई दवाओं की निरंतर आपूर्ति को सुनिश्चित कर सकता हैं।
  • एक बार किसी दावा का पेटेंट समाप्त हो जाने के बाद अन्य कम्पनियाँ उस दवा के संश्लेषण का पता लगाकर उसी के समरूप (नक़ल करके) अपने उत्पाद का विपणन (Marketing) कर सकती हैं।
  • उदाहरण के तौर पर, एस्पिरिन (Aspirin) एक सरल आणविक दवा है जिसकी उत्पाद प्रक्रिया को दोहराना काफी आसान है।

पेटेंट समाप्त होने के बाद बायोलॉजिक का समरूप बनाना मुश्किल

  • बायोलॉजिक्स को जीवित कोशिकाओं से प्राप्त किया जाता है और प्रायः जटिल निर्माण प्रक्रियाओं का उपयोग करके उत्पादित किया जाता है।
  • अधिकांश आधुनिक बायोलॉजिक को टबों या बायोरिएक्टर के अंदर एकत्रित किया जाता है जिसमें आनुवंशिक रूप से डिज़ाइन किये हुए सूक्ष्म जीव (रोगाणु) या कोशिका का सम्वर्धन होता है जिसमें प्रायः दशकों लग सकते हैं अत: इस प्रक्रिया की नकल करना आसान नहीं है।
  • सभी पेटेंटों की समय सीमा समाप्त होने पर किसी बायोलॉजिक के समरूप अपने उत्पाद का विपणन करने के लिये कुछ विशेषज्ञता की ज़रुरत होती है। इसमें भारत की बायोकॉन कम्पनी काफ़ी आगे है।
  • पिछले कुछ वर्षों से, बायोकॉन कुछ प्रसिद्ध बायोलॉजिक के प्रतिरूप बनाकर या उनकी नकल करके एक प्रकार से बायोसिमिलर पाइपलाइन का निर्माण कर रहा है और इसका उपयोग कैंसर, मधुमेह और गठिया के इलाज़ में किया जा रहा है। सभी फार्मा कम्पनियों के लिये इस बाज़ार में प्रवेश करना बहुत आसान नहीं है।

अमेरिका में किसी दवा के विपणन का महत्त्व

  • दवाओं की बिक्री के लिये अमेरिकी बाज़ार काफी महत्त्वपूर्ण है। यहाँ दवायें महंगी होती हैं और दवा कम्पनियाँ इसका लाभ उठा रही हैं।
  • ज़रूरी नहीं कि यह उपभोक्ताओं के लिये अच्छा हो, लेकिन यह उन सम्भावित भारतीय निर्माताओं के लिये एक आकर्षक बाजार प्रदान करता है जो अपने उत्पादों को कहीं और बेचना चाहते हैं।
  • अमेरिका में किसी दवा के विपणन का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक महत्त्व होता है जिससे उसकी वैश्विक पहचान में सहायता मिलती है।
  • जटिल अनुसंधान के क्षेत्र में भारतीय फार्मास्युटिकल कम्पनियों की बढ़ती विशेषज्ञता भारतीय फार्मा क्षेत्र के लिये अच्छी है जो जेनेरिक दवाओं के निर्माण के लिये प्रसिद्ध है।
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