(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि; संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन) |
संदर्भ
जेलीफिश एक रीढ़विहीन समुद्री जीव है जो विश्व भर के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को बाधित कर रहा है। जलवायु परिवर्तन और समुद्री प्रदूषण से जेलीफिश की आबादी में वृद्धि हुई है, जिससे ऐसी घटनाएँ बढ़ी हैं। 10 अगस्त, 2025 को फ्रांस के ग्रेवलाइन्स परमाणु ऊर्जा संयंत्र में जेलीफिश के झुंड से तीन रिएक्टर बंद हो गए।
जेलीफिश के बारे में
- जेलीफिश रीढ़विहीन समुद्री जीव हैं, जो सिनिडेरिया (Cnidaria) समूह से संबंधित हैं।
- ये मुख्यत: पानी और जेली जैसे पदार्थ से बने होते हैं, जिनका शरीर पारदर्शी या अर्ध-पारदर्शी होता है।
- ये उथले तटों से लेकर गहरे समुद्र तक विश्व के सभी महासागरों में पाए जाते हैं।
- इनका जीवन चक्र दो चरणों में होता है: पॉलिप (स्थिर) और मेड्यूसा (तैरने वाला)।
जेलीफिश की विशेषताएँ
- जेलीफिश का शरीर घंटी के आकार का होता है, जिसमें तैरने के लिए तंतु (टेंटेकल्स) होते हैं।
- इनकी तंतुओं में डंक मारने वाली कोशिकाएँ (नेमाटोसिस्ट) होती हैं, जो शिकार पकड़ने और सुरक्षा के लिए उपयोगी हैं।
- इनका आकार कुछ मिलीमीटर से लेकर 2 मीटर तक हो सकता है।
- जेलीफिश में कोई मस्तिष्क या केंद्रीय तंत्रिका तंत्र नहीं होता है, केवल एक साधारण तंत्रिका जाल होता है।
जेलीफिश के प्रमुख गुण
- जेलीफिश का शरीर 95% पानी, प्रोटीन एवं खनिजों से बना होता है।
- ये तेजी से प्रजनन करते हैं, जिसे ‘जेलीफिश ब्लूम’ कहा जाता है। इसमें लाखों जेलीफिश एक साथ इकट्ठा हो जाते हैं।
- इनका डंक त्वचा पर जलन, लालिमा या गंभीर मामलों में न्यूरोटॉक्सिक प्रभाव पैदा कर सकता है।
- मृत जेलीफिश भी जेल जैसी अवस्था में बदलकर समस्याएँ पैदा कर सकते हैं।
जेलीफिश : परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिए खतरा
- परमाणु संयंत्रों को रिएक्टर और टरबाइन को ठंडा करने के लिए पानी की निरंतर आपूर्ति चाहिए।
- जेलीफिश के झुंड (लगभग 1 मिलियन) संयंत्रों के जल intake पाइप की स्क्रीनिंग क्षेत्र को अवरुद्ध करते हैं।
- इससे पानी का प्रवाह रुकता है, जिससे टरबाइन, कंडेंसर, और बॉयलर को नुकसान का खतरा बढ़ता है।
- मृत जेलीफिश जेल बनकर स्क्रीन से गुजर सकते हैं, जिससे संयंत्र के आंतरिक हिस्सों में समस्या होती है।
ऐसी घटनाओं में वृद्धि के कारण
- जलवायु परिवर्तन : समुद्र का तापमान बढ़ने से जेलीफ़िश की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है क्योंकि गर्म पानी उनके प्रजनन के लिए अनुकूल होता है।
- समुद्री प्रदूषण : औद्योगिक एवं प्लास्टिक कचरा समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को असंतुलित करता है, जिससे जेलीफ़िश के शिकारी (जैसे- मछलियाँ व कछुए) कम हो जाते हैं।
- अत्यधिक मत्स्यन (Overfishing) : जेलीफ़िश को खाने वाली कई प्रजातियाँ घट रही हैं, जिससे उनका संतुलन बिगड़ रहा है।
- तटीय औद्योगिकीकरण : परमाणु और ताप विद्युत संयंत्र प्रायः समुद्र के किनारे स्थित होते हैं जिससे जेलीफ़िश ब्लूम के दौरान आसानी से जल अंतर्ग्रहण प्रणाली में खिंच जाती हैं।
- प्राकृतिक समुद्री चक्र : कुछ मौसमों में जेलीफ़िश स्वाभाविक रूप से अधिक संख्या में पाई जाती हैं और जब यह ब्लूम होता है तो अचानक लाखों की संख्या में तटवर्ती क्षेत्रों में पहुँच जाती हैं।
प्रभाव
- परमाणु संयंत्रों पर : रिएक्टर बंद होने से बिजली उत्पादन में रुकावट, आर्थिक क्षति
- कर्मचारियों पर : जेलीफिश हटाने की प्रक्रिया जोखिम भरी होने से डंक मारने का खतरा
- पर्यावरण पर : EDF के अनुसार, ग्रेवलाइन्स में कोई पर्यावरणीय क्षति नहीं हुई किंतु बार-बार रुकावटें चिंता का विषय
- वैश्विक स्तर पर : वर्ष 2011 में इज़राइल, जापान, स्कॉटलैंड और वर्ष 2013 में स्वीडन में संयंत्र बाधित
रोकथाम और बचाव
- जेलीफिश को दूर रखने के लिए उन्नत स्क्रीनिंग सिस्टम, जैसे- महीन जाल या बुलबुले की दीवारें
- समुद्री पर्यावरण की निगरानी और जेलीफिश ब्लूम की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली
- जलवायु परिवर्तन और समुद्री प्रदूषण को कम करने के लिए दीर्घकालिक उपाय
- जेलीफिश डंक के लिए त्वचा को सिरके या गर्म पानी से धोना, डंक हटाने के लिए चिमटी का उपयोग
- गंभीर मामलों में चिकित्सा सहायता, जैसे- एंटीहिस्टामाइन या स्टेरॉयड क्रीम
- संयंत्रों में जेलीफिश हटाने के लिए विशेष उपकरण और प्रशिक्षित कर्मचारी