New
GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM Mid Year Mega Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 17th June 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM Mid Year Mega Sale UPTO 75% Off, Valid Till : 17th June 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi: 27 June, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj: 22 June, 5:30 PM

कोविड टीकाकरण : बढ़ता असमंजस

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाओं से संबंधित प्रश्न)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - स्वास्थ्य संबंधी विषय; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 - आपदा एवं आपदा प्रबंधन से संबंधित मुद्दे)

संदर्भ

  • कोविड-19 महामारी के भयावह परिणाम होने के बावज़ूद लोगों के मन में इसकी वैक्सीन को लेकर असमंजस का माहौल बना हुआ है। 
  • यह भय या संकोच SARS-CoV-2 के विरुद्ध 70-85% की झुंड प्रतिरक्षा (herd immunity) की सीमा तक पहुँचने की सामूहिक क्षमता को विफल कर रहा है।    

टीकाकरण के निहितार्थ

  • सरकारों, उद्योगों, शिक्षाविदों और अन्य संगठनों के सहयोगात्मक प्रयासों की बदौलत कोविड-19 टीकों को रिकॉर्ड गति से विकसित किया गया है। 
  • टीकाकरण का प्राथमिक उद्देश्य व्यक्तियों को गंभीर संक्रमण से बचाना है। टीकाकरण झुंड प्रतिरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ आबादी की रक्षा भी करता है। 
  • िश्व स्तर पर, पोलियो, चेचक, मेनिन्जाइटिस आदि के खिलाफ टीकाकरण को बड़ी सफलता मिली है, परंतु कोविड-19 के विरुद्ध टीका लगाने से लोग कतरा रहे हैं।  

ैक्सीन हिचकिचाहट

  • वैक्सीन रोल-आउट से पहले वर्ष 2020 में आयोजित एक सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि दुनिया भर में तीन वयस्कों में से एक (32%) ने कहा कि वे कोविड-19 वैक्सीन नहीं लेंगे। भारत के संदर्भ में इस सर्वेक्षण में केवल 18% के साथ बेहतर प्रदर्शन करते हुए लोगों ने कहा कि वे वैक्सीन नहीं लेंगे। 
  • सर्वेक्षण के प्रकाशन से भारत में टीके के प्रति झिझक बढ़ गई है, जिसका कुछ हद तक कारण इसकी जटिलता या  अधिक संख्या में होने वाली मौतें हैं। 
  • प्रभावित करने वाले कारकों में लाभ की सीमा के बारे में जागरूकता का अभाव, गलत जानकारी के आधार पर भय, टीके तक पहुँच की कमी, नागरिक स्वतंत्रता अवधारणाएँ, लागत, सांस्कृतिक मुद्दे और आत्मविश्वास की कमी की विभिन्न परतें (इरादे का अविश्वास, सिस्टम में आत्मविश्वास की कमी) शामिल हैं। यह षड्यंत्र के सिद्धांतों और दुष्प्रचार द्वारा फैलाया गया है। 
  • विशेषकर वैक्सीन के संबंध में सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलाई जा रही है। साथ ही, इसमेंएंटी-वैक्सएक्सर्सके रूप में ऐसे माता पिता भी शामिल हैं, जो अपने बच्चों का टीकाकरण नहीं करवाना चाहते हैं। 'निःशुल्क लाभभागी' वे हैं जो टीके नहीं चाहते हैं, लेकिन झुंड प्रतिरक्षा के लाभ को प्राप्त करना चाहते हैं।

िचकिचाहट के परिणाम

  • वैक्सीन हिचकिचाहट के परिणाम अत्यंत विनाशकारी हैं। यदि हर्ड इम्युनिटी विकसित नहीं होती है, तो महामारी का प्रकोप और भी बढ़ जाएगा।  
  • ीकाकरण की दर जितनी धीमी होगी, संक्रमण का प्रसार उतना ही अधिक होगा तथा वायरस के उत्परिवर्तन और नए रूपों के उभरने की संभावना भी उतनी ही अधिक होगी।

आगे की राह

  • ैक्सीन संबंधी आशंकाओं को दूर करने के लिये, इस संदर्भ में जागरूकता का प्रसार किया जाना चाहिये, लोगों को यह बताया जाना आवश्यक है कि कोविड के विरुद्ध लगाए जाने वाले टीके के साइड इफेक्ट होने की संभावना अत्यंत  कम है।
  • ोशल मीडिया के माध्यम से व्यावहारिक जानकारी प्रदान करने, टीकों तक आसान पहुँच सुनिश्चित करने और प्रशिक्षित फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं की मदद लेने की आवश्यकता है।
  • साथ ही, टीकों या अन्य क्षेत्रों से संबंधित मौजूदा और नई गतिविधियों और रणनीतियों की पहचान करना, जो टीके की हिचकिचाहट को सफलतापूर्वक संबोधित कर सकते हैं।
  • इसके अतिरिक्त, इस संदर्भ में संभावित प्रभाव के आकलन के आधार पर गतिविधियों और रणनीतियों को प्राथमिकता प्रदान की जानीचाहिये।

    निष्कर्ष

    वैक्सीन झिझक के मुद्दे को तत्काल संबोधित करने की आवश्यकता है। वर्तमान में वैक्सीन के संदर्भ में अधिक से अधिक लोगों को जागरूक किये जाने की आवश्यकता है। जिससे लोग वैक्सीन के वैज्ञानिक एवं चिकित्सकीय पक्ष से अवगत हो सकें और उचित मार्गदर्शन भी प्राप्त कर सकें।

    « »
    • SUN
    • MON
    • TUE
    • WED
    • THU
    • FRI
    • SAT
    Have any Query?

    Our support team will be happy to assist you!

    OR