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विलवणीकरण संयंत्र

(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 : विषय - संरक्षण,पर्यावरण प्रभाव का आकलन)

चर्चा में क्यों ?

  • विश्व भर में, विलवणीकरण को जल संकट को रोकने के लिये एक सम्भावित समाधान के रूप में देखा जा रहा है। हाल ही में, महाराष्ट्र ने मुम्बई में एक अलवणीकरण संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की, जो इस प्रकार के संयंत्र का प्रयोग करने वाला देश का चौथा राज्य बन गया।
  • ध्यातव्य है कि इससे पूर्व तमिलनाडु, गुजरात और आंध्र प्रदेश में भी विलवणीकरण संयंत्र स्थापित किये जा चुके हैं।

विलवणीकरण

  • लवण व खनिजों को खारे जल से अलग करने की प्रक्रिया विलवणीकरण कहलाती है, जैसे- मृदा विलवणीकरण।
  • सामान्य रूप से खारे जल को मीठे जल में बदलने के लिये विलवणीकरण किया जाता है ताकि यह पीने योग्य या सिंचाई के लिये उपयुक्त बना रहे।
  • उन क्षेत्रों में, जहाँ ताज़े जल की उपलब्धता सीमित है या कम हो रही है, वहाँ ताज़े जल को उपलब्ध कराने के लिये आजकल विलवणीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

विलवणीकरण संयंत्र

  • विलवणीकरण संयंत्र खारे जल को पेयजल में बदलता है।
  • दुनिया का सबसे बड़ा विलवणीकरण संयंत्र संयुक्त अरब अमीरात में जेबेल अली संयंत्र (चरण 2) है।
  • इस प्रक्रिया के लिये सबसे अधिक प्रयुक्त होने वाली तकनीक निर्वात आसवन और रिवर्स ऑस्मोसिस है, रिवर्स ऑस्मोसिस (RO) के द्वारा जल से दूषित पदार्थों को दबाव का उपयोग करके अर्धपारगम्य झिल्ली (Semipermeable Membrane) के माध्यम से बाहर निकाला जाता है।

भारत में प्रयोग

  • विलवणीकरण संयंत्रों का प्रयोग काफी हद तक मध्य पूर्व के समृद्ध देशों तक सीमित है। हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में इनको स्थापित किया गया है।
  • भारत में, तमिलनाडु इस तकनीक का उपयोग करने में अग्रणी रहा है, चेन्नई में वर्ष 2010 में दो और फिर वर्ष 2013 एक विलवणीकरण संयंत्र स्थापित किया गया।

पारिस्थितिकी पर असर

  • विलवणीकरण शुद्ध पेयजल उत्पन्न करने का एक महँगा तरीका माना जाता है क्योंकि इसके लिये उच्च मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  • इसके अलावा, एक मुख्य समस्या इससे निकलने वाले उपोत्पादों, विशेषकर उच्च सांद्रता वाले खारे जल का निपटान है। हालाँकि ज़्यादातर जगहों पर इसे वापस समुद्र में डाल दिया जाता है, लेकिन इससे संयंत्र के आसपास की स्थानीय पारिस्थितिकी को गम्भीर नुकसान पहुंचने की शिकायतें भी सामने आई हैं।
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