New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Festive Month Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 30th Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

घटता विदेशी मुद्रा भंडार

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।)

संदर्भ

देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर 2021 के लगभग 642 बिलियन डॉलर से गिरकर सितंबर 2022 के मध्य तक लगभग 546 बिलियन डॉलर हो गया है। विदित है कि नौ महीनों में भारत के भंडार में लगभग 98 बिलियन डॉलर की गिरावट आई है और वर्तमान में मुद्रा भंडार लगभग दो वर्षों में सबसे निचले स्तर पर है।

विदेशी मुद्रा भंडार

  • विदेशी मुद्रा भंडार किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा में आरक्षित संपत्ति है। इसमें विदेशी मुद्राएं, बॉन्ड, ट्रेजरी बिल और अन्य सरकारी प्रतिभूतियां शामिल हो सकती हैं।
  • विदेशी मुद्रा भंडार में रखी गई ये संपत्तियां नकद, विदेशी विपणन योग्य प्रतिभूतियों, मौद्रिक स्वर्ण, विशेष आहरण अधिकार (SDR) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) आरक्षित रूपो में हो सकती हैं।
  • अधिकांश भंडार अमेरिकी डॉलर, ब्रिटिश पाउंड (GBP), यूरो (EUR), चीनी युआन (CNY) और जापानी येन (JPY) जैसी सबसे अधिक कारोबार वाली एवं व्यापक रूप से स्वीकृत मुद्राओं के रूप में स्थापित किये जाते हैं।

महत्त्व 

  • विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग देनदारियों का समर्थन करने और मौद्रिक नीति को प्रभावित करने के लिये किया जाता है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार रखने का मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय भुगतान करना और विनिमय दर जोखिमों से बचाव करना है।
  • वे देश के मौद्रिक प्राधिकरण द्वारा नियंत्रित होते हैं और आर्थिक झटके से निपटने के लिये इनका उपयोग किया जाता है।
  • वे बाजार में विश्वास उत्पन्न करने के साथ ही विदेशी मुद्रा बाजारों में हस्तक्षेप करने की क्षमता का निर्माण करते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के प्रमुख कारण

  • डॉलर का बहिर्वाह 
    • विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का मुख्य कारण विगत 12 महीनों में डॉलर के प्रवाह में प्रवृत्तियों के उत्क्रमण और डॉलर के बहिर्वाह में वृद्धि है।
  • रुपए के मूल्य (मूल्यह्रास) में गिरावट 
    • रुपए के मूल्य (मूल्यह्रास) में गिरावट भी विदेशी मुद्रा भंडार में कमी का एक प्रमुख कारण है।
    • बाह्य खातों में बढ़ते असंतुलन और डॉलर की मजबूती के कारण रुपए के मूल्य में तेजी से गिरावट आ रही है।
    • इसके लिये भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कुछ हस्तक्षेप किया और रुपए की विनिमय दर की अस्थिरता को कम करने तथा अत्यधिक गिरावट को रोकने के लिये डॉलर की बिक्री की, जिससे विदेशी मुद्रा भण्डार में कमी आई।

चिंताएँ

  • आर.बी.आई. के हस्तक्षेप के बावजूद विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से कमी चिंता का प्रमुख कारण रही है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार के आयात कवर में तीव्र कमी भी चिंता का विषय रही है क्योंकि यह बाह्य क्षेत्र में सुभेद्यता में वृद्धि करती है।
    • विदेशी मुद्रा भंडार का आयात कवर लगभग 17.4 महीने (मार्च 2021) से घटकर 13.1 महीने (दिसंबर 2021) हो गया था। 
  • घाटे में वृद्धि 
    • बढ़ते चालू खाते और व्यापार घाटे से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी से भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ेगा।
    • वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल और अगस्त के मध्य व्यापार घाटा दोगुने से अधिक बढ़कर 125 अरब डॉलर तक पहुंच गया है।
  • निर्यात में कमी 
    • देश का निर्यात भी 20 महीनों में पहली बार अगस्त में 1.15% घटकर 33 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है।

सरकारी प्रयास

  • सरकार ने डॉलर के प्रवाह में सुधार और बहिर्वाह को कम करने के लिये कई प्रयास किये हैं।
  • विदेशी निवेशकों को अल्पकालिक कॉर्पोरेट ऋण खरीदने और अधिक सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश करने की अनुमति है।
  • सरकार ने अनिवासी भारतीयों के लिये बैंक जमा दरों और कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिये बाह्य वाणिज्यिक उधारी की वार्षिक सीमा में भी वृद्धि की है।
  • साथ ही, सरकार ने रुपए में विदेशी व्यापार के निपटान की अनुमति देने का फैसला किया है जिससे डॉलर की मांग को कम करने में मदद मिलेगी।

आगे की राह 

  • व्यापार घाटे और चालू खाता घाटे को कम करने पर ध्यान दिया जाना चाहिये और पूंजी खाते से उत्पन्न अधिशेष को सुधारने की दिशा में काम करना चाहिये।
  • हाल के महीनों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह में वृद्धि एक सकारात्मक संकेत है और इस प्रवृत्ति का समर्थन करने के लिये प्रयास किये जाने चाहिये।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थीं, आने वाले महीनों में इसमें गिरावट की संभावना है, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार के आयात कवर पर तनाव कम होगा।

निष्कर्ष

रुपए के महत्वपूर्ण मूल्यह्रास और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी ने बढ़ती मुद्रास्फीति, पूंजी का पलायन और बढ़ते आयात बिल के साथ अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। यह नीति निर्माताओं को इन मुद्दों को हल करने के लिये आर.बी.आई. के साथ मिलकर काम करने के लिये बाध्य करता है जो भारत के आर्थिक हितों को प्रभावित कर रहे हैं।

« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X