New
Holi Offer: Get 40-75% Discount on all Online/Live, Pendrive, Test Series & DLP Courses | Call: 9555124124

भूमिगत जल और यूरेनियम संदूषण

(प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा प्रश्न पत्र-3)

चर्चा में क्यों?

एक अध्ययन के अनुसार, बिहार के 10 जिलों में भूमिगत जल में यूरेनियम संदूषण की समस्या सामने आई है।

पृष्ठभूमि-

मैनचेस्टर विश्वविद्यालय, यूनाइटेड किंगडम और महावीर कैंसर संस्थान तथा अनुसंधान केंद्र, पटना द्वारा भूमिगत जल सम्बंधी एक अध्ययन किया गया। अप्रैल के प्रथम सप्ताह में 'इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एनवायरमेंट रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ' में इससे सम्बंधित अध्ययन को प्रकाशित किया गया है। अब भी वे भूजल में यूरेनियम के स्रोत का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। यह अध्ययन विशेष रुप से भूमिगत जल में आर्सेनिक की स्थिति का पता लगाने के उद्देश्य से किया गया था, परंतु जांच में यूरेनियम प्रदूषण का पता चला है।

अध्ययन के प्रमुख बिंदु-

  • भूजल के यूरेनियम से प्रदूषित होने वाले बिहार के 10 जिलों में सुपौल, गोपालगंज, सिवान, सारण, पटना, नालंदा, नवादा, औरंगाबाद, गया और जहानाबाद शामिल हैं।
  • सर्वाधिक यूरेनियम सांद्रता सुपौल जिले में पाई गई है, जहाँ जल में यूरेनियम की सांद्रता 80 माइक्रोग्राम प्रति लीटर है। इन 10 जिलों में यूरेनियम की सांद्रता विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित सीमा से बहुत अधिक है।
  • बिहार में भूजल में यूरेनियम की सांद्रता अधिकांशत: उत्तर-पश्चिमी व दक्षिण-पूर्वी बेल्ट के साथ गंडक नदी के पूर्व और गंगा नदी के दक्षिण में पाई गई है। गंगा के दक्षिण में, विशेषकर दक्षिण-पश्चिमी जिलों में यूरेनियम की सांद्रता अधिक है।
  • इससे पूर्व हुए एक अध्ययन में भारत के 16 राज्यों में भूजल में व्यापक मात्रा में यूरेनियम पाया गया है।
  • इससे पूर्व बिहार के भोजपुर जिले में सर्वप्रथम वर्ष 2003 में भूमिगत जल में आर्सेनिक का पता चला था, जबकि वर्तमान में राज्य के 22 जिलों में भूमिगत जल में आर्सेनिक पाया गया है। आमतौर पर आर्सेनिक की उच्च सांद्रता, गंगा के उत्तरी भागो में जल को प्रदूषित कर रही है। इन आर्सेनिक युक्त जल से गेंहूँ के फसल की सिचाईं होती है। गेंहूँ की फसल आर्सेनिक को अवशोषित करती है, जिस कारण यह अधिक नुकसानदायक है।

क्या है यूरेनियम?

  • यूरेनियम एक रेडियो-एक्टिव तत्व है। आवर्त सारणी में यह एक्टिनाइड श्रेणी का तत्त्व है। इसके कई समस्थानिक हैं, जिसमें से U-238 की अर्ध-आयु काफी ज्यादा होती है। इसी कारण यह काफी दिनों तक प्रकृति में विद्यमान रहता है।
  • यूरेनिनाइट यूरेनियम की मानव शरीर में जैविक अर्ध-आयु सामान्यत: 15 दिन होती है, परंतु हड्डियों में यह 70 से 200 दिनों तक रह सकता है। जैविक अर्ध आयु से तात्पर्य मानव शरीर में उपस्थित किसी तत्त्व की मात्रा को आधा होने में लगा औसत समय है।

यूरेनियम संदूषण के प्रमुख कारण-

  • यूरेनियम युक्त चट्टानों तथा जल के आपसी अंत:क्रिया के कारण यूरेनियम का जल में आ जाना।
  • इसके अलावा मानव-जनित और भू-जनित हानिकारक तत्त्व तलछटीय जलभृत तंत्र से होकर गहरे जलभृतों में पहुँच रहे हैं। जलभृत चट्टानों (Aquifer Rock) में यूरेनियम का पाया जाना भी इसका एक कारण है।
  • भूजल के अत्यधिक दोहन से ऑक्सीकरण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिससे भूजल में यूरेनियम व अन्य तत्त्वों की मात्रा में वृद्धि होती है।
  • इसके अतिरिक्त यूरेनियम की अन्य रासायनिक पदार्थों से आपसी अंत:क्रिया भी भूमिगत जल में इसकी घुलनशीलता को बढ़ाती है। मानव के क्रियाकलापों के चलते भूजल स्तर में कमी और नाइट्रेट प्रदूषण यूरेनियम के संदूषण में और वृद्धि कर सकते हैं।

जल में यूरेनियम की सांद्रता का प्रभाव-

  • जल में यूरेनियम के कारण अस्थि विषाक्तता (Bone Toxicity) और वृक्क की कार्यप्रणाली में समस्या (Impaired Renal Function) सहित कई प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव हो सकते हैं। इसके अलावा यह कैंसर का कारक भी बन सकता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार, भारत के लिये जल में यूरेनियम की अनुमन्य मात्रा 30 माइक्रोग्राम प्रति लीटर तय की गई है। यह मानक अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण अभिकरण के अनुरूप है। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अनुसार भी जल में यूरेनियम की उच्चतम मात्रा यही है।

नोट: पृथ्वी की सतह के भीतर स्थित उस संरचना को जलभृत कहा जाता हैं, जिसमे मुलायम चट्टानों, छोटे-छोटे पत्थरों, चिकनी मिट्टी और गाद के भीतर सूक्ष्म कणों के रूप में अधिक मात्रा में जल भरा रहता है। जलभृत की सबसे उपरी परत को वाटर-टेबल कहा जाता है। मूलतः स्वच्छ भूजल वाटर-टेबल के नीचे स्थित जलभृत में ही पाया जाता है।

Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR