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भारत-ऑस्ट्रेलिया वर्चुअल समिट: गठजोड़ का नया मॉडल

(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय व वैश्विक समूह और भारत से सम्बंधित अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

चर्चा में क्यों?

4 जून, 2020 को भारत और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों द्वारा ऑनलाइन माध्यम से वर्चुअल समिट का आयोजन किया गया, जिसमें दोनों देशों के द्विपक्षीय सम्बंधों पर चर्चा करने के साथ ही आपसी सम्बन्धों को और मजबूत बनाने पर बल दिया गया। यह पहला अवसर है जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसी विदेशी नेता (ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन) के साथ द्विपक्षीय वर्चुअल समिट में हिस्सा लिया है।

वर्चुअल समिट के मुख्य बिंदु

वर्चुअल समिट में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सात महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये जाने के साथ ही दो सयुंक्त घोषणाएँ भी की गईं। दोनों देशों के मध्य हुए समझौतों में एक-दूसरे के सैन्य ठिकानों एवं साजो-सामान की पहुँच से सम्बंधित समझौते भी शामिल हैं। ये समझौते और घोषणाएँ निम्न हैं:

1. साइबर और साइबर-एनेबल्ड क्रिटिकल तकनीकी सहयोग समझौता
2. खनन तथा दुर्लभ व रणनीतिक खनिजों के प्रसंस्करण के क्षेत्र में सहयोग हेतु समझौता ज्ञापन (M.o.U.)
3. म्यूच्यूअल लॉजिस्टिक सपोर्ट के प्रबंधन सम्बंधी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर
4. रक्षा विज्ञान तथा तकनीक में सहयोग हेतु समझौता
5. प्रशासन में सुधार के लिये सहयोग पर समझौता
6. व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग हेतु करार
7. जल-संसाधन प्रबंधन के लिये समझौता

I. दोनों देशों के मध्य रणनीतिक साझेदारी पर सयुंक्त घोषणा।
II. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग पर सयुंक्त घोषणा।

  • वर्चुअल समिट में दोनों पक्षों द्वारा बढ़ते आतंकवाद के मुद्दों पर तथा विश्व व्यापार संगठन (W.T.O.) में सुधारों के साथ-साथ कोविड-19 महामारी से निपटने हेतु उपायों पर भी चर्चा की गई।
  • इस ऑनलाइन द्विपक्षीय वार्ता के पश्चात दोनों पक्षों द्वारा साझा रक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये रक्षा सहयोग बढ़ाने एवं सैन्य अभ्यास सहित अन्य गतिविधियों को बढ़ावा देने पर सहमति प्रदान की गई।
  • वर्चुअल समिट में कहा गया कि भारत तथा ऑस्ट्रेलिया के मध्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ दोनों देश सम्प्रभुता तथा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का पालन करते हुए नियम आधारित समुद्री व्यवस्था को लेकर प्रतिबद्ध हैं।
  • भारत और ऑस्ट्रेलिया के साझा समुद्री सुरक्षा हितों पर ज़ोर देने के साथ ही नौसैनिक सहयोग बढ़ाने पर भी सहमती बनी है। ऑस्ट्रेलिया ने सयुंक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार तथा इसमें भारत की सदस्यता को लेकर भारत के पक्ष का समर्थन किया है।
  • नागरिक उद्देश्यों हेतु परमाणु कार्यक्रम के सम्बंध में दोनों देशों द्वारा द्विपक्षीय सहयोग पर बल देने के साथ ही वैश्विक स्तर पर परमाणु अप्रसार नियमों को और कठोर बनाने पर ज़ोर दिया गया। ऑस्ट्रेलिया ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (N.S.G.) राष्ट्रों में भारत की सदस्यता का समर्थन किया है।
  • दोनों देशों के साथ आने का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य चीन को सांकेतिक रूप से संदेश देना भी है कि वह अन्य देशों की सम्प्रभुता का पालन करने के साथ-साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाये रखे।

भारत-ऑस्ट्रेलिया सम्बंध

  • दोनों देशों के सम्बंध वर्ष 2009 में सामरिक गठजोड़ के स्तर पर पहुँचे तथा कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग गतिविधियों को एक नई दिशा मिली। वर्ष 2017 में विदेश नीति पर श्वेत पत्र में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हिंद महासागर के देशों में महत्त्वपूर्ण नौवहन शक्ति तथा ऑस्ट्रेलिया के अग्रिम सहयोगी के रूप में मान्यता प्रदान की थी।
  • भारत और ऑस्ट्रेलिया के मध्य विगत वर्षों में आर्थिक सम्बंध बेहतर हुए हैं। वर्ष 2018-19 में दोनों देशों के मध्य कारोबार 21 अरब डॉलर का था। दोनों देश व्यापार तथा निवेश में वृद्धि को लेकर कार्य कर रहे हैं।
  • ऑस्ट्रेलिया के सुपर पेंशन फण्ड ने भारत में नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फण्ड (N.I.I.F.) में एक अरब डॉलर का निवेश किया है।
  • विगत कुछ वर्षों में ऑस्ट्रेलिया ने भारत के साथ नौवहन सहयोग बढ़ाने पर भी बल दिया है। ऑस्ट्रेलिया एवं भारत ने पहला द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास वर्ष 2015 में किया था। वर्ष 2019 में बंगाल की खाड़ी में इस प्रकार का तीसरा अभ्यास संपन्न किया गया था।
  • ऑस्ट्रेलिया सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर भी भारत का समर्थक रहा है।

आगे की राह

  • भारत ऑस्ट्रेलिया के साथ अपने सम्बंधों को व्यापक तौर पर और मजबूत करने के लिये प्रतिबद्ध है। यह न केवल दोनों देशों के लिये महत्त्वपूर्ण है, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र और वैश्विक स्थिरता के लिये भी आवश्यक है।
  • वैश्विक महामारी के इस काल में भारत-ऑस्ट्रेलिया के समग्र सामरिक गठजोड़ की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण होगी तथा विश्व को इस महामारी के आर्थिक एवं सामाजिक दुष्प्रभावों से शीघ्र ही बाहर आने के लिये एक समन्वित और एकजुट पहल की आवश्यकता है।
  • भारत सरकार वर्तमान संकट को एक अवसर के रूप में देख रही है। भारत में लगभग सभी क्षेत्रों में व्यापक सुधारों की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। शीघ्र ही इन सुधारों के परिणाम जमीनी स्तर पर देखने को मिल सकते हैं। भारत-ऑस्ट्रेलिया सम्बंधों को सशक्त बनाने का यह उपयुक्त समय और अवसर है एवं मित्रता को और मजबूत बनाने के लिये दोनों देशों के पास असीम सम्भावनाएँ हैं।
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